"श्याम नारायण पाण्डेय": अवतरणों में अंतर

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== जीवनी ==
[[श्याम नारायण पाण्डेय]] का जन्म श्रावण कृष्ण पंचमी सम्वत् 1964, तदनुसार ईसवी सन् 1907 में [[ग्राम]] डुमराँव, मऊ, [[आजमगढ़]] ([[उत्तर प्रदेश]]) में हुआ। आरम्भिक शिक्षा के बाद आप [[संस्कृत]] अध्ययन के लिए [[काशी]] चले आये। यहीं रहकर [[काशी विद्यापीठ]] से आपने [[हिन्दी]] में साहित्याचार्य किया। द्रुमगाँव (डुमराँव) में अपने घर पर रहते हुए ईसवी सन् 1991 में 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। मृत्यु से तीन वर्ष पूर्व [[आकाशवाणी]] [[गोरखपुर]] में अभिलेखागार हेतु उनकी आवाज में उनके जीवन के संस्मरण रिकार्ड किये गये।
 
== कृतियाँ ==
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हल्दीघाटी में वीर शिरोमणि [[महाराणा प्रताप]] के जीवन और जौहर में चित्तौड की ''[[पद्मिनी|रानी पद्मिनी]]'' के आख्यान हैं। [[हल्दीघाटी]] के नाम से विख्यात [[राजस्थान]] की इस ऐतिहासिक वीर भूमि के लोकप्रिय नाम पर लिखे गये हल्दीघाटी महाकाव्य पर उनको उस समय का सर्वश्रेष्ठ सम्मान ''देव पुरस्कार'' प्राप्त हुआ था। अपनी ओजस्वी वाणी के कारण आप [[कवि सम्मेलन]] के मंचों पर अत्यधिक लोकप्रिय हुए। उनकी आवाज मरते दम तक चौरासी वर्ष की आयु में भी वैसी ही कड़कदार और प्रभावशाली बनी रही जैसी युवावस्था में थी।
 
उनका लिखा हुआ [[महाकाव्य]] जौहर भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यह महाकाव्य [[चित्तौड]] की महारानी [[पद्मिनी]] के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर लिखा था<ref name="skdhil">Das, Sisir Kumar, "A Chronology of Literary Events / 1911&ndash#x2013;1956", in Das, Sisir Kumar and various, [http://books.google.com/books?id=sqBjpV9OzcsC&printsec=frontcover ''History of Indian Literature: 1911-1956: struggle for freedom: triumph and tragedy, Volume 2''], 1995, published by [[Sahitya Akademi]], ISBN 978-81-7201-798-9, retrieved via Google Books on December 23, 2008</ref>।.
 
* [[हल्दीघाटी (काव्य)|हल्दीघाटी]]