"उमर": अवतरणों में अंतर

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== मदीने की ज़िंदगी ==
[[चित्र:Sword of Umar ibn al-Khittab-mohammad adil rais.JPG|thumb|100px|हज़रत उमर की तलवार ]]
मदीना इस्लाम का एक नया केन्द्र बन चुका था। सन हिजरी [[इसलामी कैलंडर]] का निर्माण किया जो इस्लाम का पंचांग कहलाता है। 624 ई में मुसलमानों को बद्र की जंग लड़ना पड़ा जिसमें हज़रत उमर ने भी अहम् किरदार निभाया। बद्र की जंग में मुसलमानों की फतह हुई तथा मक्का के मुशरिकों की हार हुई। बद्र की जंग के एक साल बाद मक्का वाले एकजुट हो कर मदीने पे हमला करने आ गए, जंग उहुद नामक पहाड़ी के पास हुई।
 
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== मुहम्म्द साहब की वफ़ात (मृत्यु) ==
8 जून सन् 632 को मुहम्मद साहब दुनिया को अलविदा कह गये। उमर तथा कुछ लोग ये विश्वास ही ना रखते थे कि मुहम्मद साहब की मुत्यु भी हो सकती है। ये ख़बर सुनकर उमर अपने होश खो बैठे, अपनी तलवार निकाल ली तथा ज़ोर-ज़ोर से कहने लगे कि जिसने कहा कि नबी की मौत हो गई है मैमैं उसका सर तन से जुदा कर दूंगा। इस नाज़ुक मौके़ पर तभी हज़रत [[अबु बकर|अबू बक्र]] ने मुसलमानों को एक खु़तबा अर्थात भाषण दिया जो बहुत मशहूर है:
{{quote| "जो भी कोई मुहम्म्द की इबादत करता था वो जान ले कि वह हमारे बीच नहीं रहे, तथा जो अल्लाह की इबादत करता है ये जान ले कि अल्लाह ज़िन्दा है कभी मरने वाला नहीं"}}
फिर क़ुरआन की आयत पढ़ कर सुनाई:
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{{commons category}}
* [http://www.bogvaerker.dk/Bookwright/Umar.html Excerpt from ''The History of the Khalifahs''] - जलालुद्दीन सुयूती
* [http://www.lailahailallah.net/Khutbahs/Khutbah40.asf Sirah of Amirul Muminin Umar Bin Khattab (r.a.a.)] - शेख सय्यद मुहम्मद बिन यह्या अल-हुसैनी अल-निनोई
 
[[श्रेणी:ख़लीफ़ा]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/उमर" से प्राप्त