"कुमाऊँनी भाषा": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: →
पंक्ति 12:
 
कुमांऊँ क्षेत्र में लगभगग २० प्रकार की बोलियाँ बोली जाती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:- जोहारी, मझ कुमारिया, दानपुरिया, अस्कोटि, सिराली, सोरयाली, चुगरख्यैली, कमईया, गंगोला, खसपरजिया, फल्दकोटि, पछाइ, रौचभैसि.
== कुमांऊँनी बोली की उपबोलियाँ ==
{{Div col|4}}
पंक्ति 38:
 
== कुमांऊँनी बोली का लुप्त होता स्वरूप ==
कुमांऊँनी बोली शनै-शनै लगभग लुप्त होने के कगार पर है। जिसके कई कारण है। पलायन, शहरीकरण, लिपिबद्ध न हो पाना इत्यादि। कुमांऊँनी जानने वाले लगभग सभी लोग हिन्दी समझ सकते हैं। हिन्दी भाषा के इस क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के कारण यह भाषा तेजी़ से लुप्त होने की स्थिति में पहुँच चुकी है। नगरीय क्षेत्रों में बहुत कम लोग यह भाषा बोलते हैं और बहुत से मामलों में यदि माता पिता कुमांऊँनी या [[गढ़वाली भाषा|गढ़वाली]] जानते भी हैं तो उनके बच्चे इन भाषाओं को नहीं जानते हैं। बहुत से अन्य मामलों में बच्चे कुमांऊँनी समझ तो सकते हैं लेकिन बोल नहीं सकते। बहुत से कुमांंऊँनी परिवारों में पुरानी दो पीढ़ी के लोग जब नई पीढ़ी के लोगों से कुमांऊँनी में संवाद करते हैं तो उन्हें उत्तर हिन्दी में मिलता है।
 
== कुमांऊँ के प्रमुख लेखक व साहित्यकार ==
पंक्ति 45:
* [[शिवानी]]
* [[हिमांशु जोशी]]
* [[पंकज बिष्ट ]]
 
== इन्हें भी देखें ==