"पंचायत": अवतरणों में अंतर
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[[भारत]] की [[पंचायती राज]] प्रणाली में [[गाँव]] या छोटे कस्बे के स्तर पर '''ग्राम पंचायत''' या '''ग्राम सभा''' होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही [[भारत|भारतवर्ष]] के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में '''पंचायत''' का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सार्वजनिक जीवन का प्रत्येक पहलू इसी के द्वारा संचालित होता था।
== परिचय एवं इतिहास ==
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=== ब्रिटिश काल ===
अंग्रेजी शासनकाल में पंचायत-व्यवस्था को सबसे अधिक धक्का पहुँचा और वह यह [[व्यवस्था]] छिन्न-भिन्न हो गई। फिर भी ग्रामों के सामाजिक जीवन में पंचायतें बनी रहीं। प्रत्येक जाति अथवा वर्ग की अपनी अलग-अलग पंचायतें थीं जो उसके सामाजिक जीवन को नियंत्रित करती थीं और पंचायत की व्यवस्था एवं नियमों का उल्लंघन करनेवाले को कठोर दंड दिया जाता था। शासन की ओर से इन पंचायतों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं किया जाता था। आरंभ से ही अंग्रेजों की नीति यह रही कि शासन का काम, यथासंभव, अधिकाधिक राज्य कर्मचारियों के हाथों में ही रहे। इसके परिणामस्वरूप फौजदारी और दीवानी अदालतों की स्थापना, नवीन राजस्व नीति, पुलिस व्यवस्था, गमनागमन के साधनों का विकास आदि कारणों से ग्रामों का स्वावलंबी जीवन और स्थानीय स्वायत्तता धीरे-धीरे समाप्त हो चली।
परंतु आगे चलकर अंग्रेजों ने भी यह अनुभव किया कि उनकी केंद्रीकरण की नीति से शासनभार दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी ओर राष्ट्रीय जाग्रति के कारण स्वायत्तशासन की माँग भी बढ़ रही थी। अतएव उन्हें विकेंद्रीकरण की दिशा में कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा। प्रारंभ में जिला बोर्डों और म्युनिसिपल बोर्डों की स्थापना की गई। सन् 1907 के विकेंद्रीकरण संबंधी शाही कमीशन ने पंचायतों के महत्व को स्वीकर किया और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि किसी भी स्थायी संगठन की नींव, जिससे जनता का सक्रिय सहयोग प्रशासन के साथ हो, ग्रामों में ही होनी चाहिए। कमीशन ने सिफारिश की कि कुछ चुने हुए ग्रामों में, जो पारस्परिक दलबंदी और झगड़ों से मुक्त हों, पंचायतें स्थापित की जाएँ और प्रारंभ में उन्हें सीमित अधिकार दिए जाएँ। तत्कालीन भारत सरकार ने 1915 ई. में कमीशन की सिफारिशों को सिद्धांतत: तो स्वीकर कर लिया परंतु व्यवहार में उनकी पूर्णतया उपेक्षा की गई। बहुत ही कम ग्रामों में पंचायतें बनी; जो बनीं, वे भी सरकार द्वारा पूरी तरह नियंत्रित थी।
भारत सरकार के 1919
=== स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद ===
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