"नमाज़": अवतरणों में अंतर

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प्रत्येक मुसलमान के लिए प्रति दिन पाँच समय की नमाज पढ़ने का विधान है।
* नमाज़ -ए-फ़जर (उषाकाल की नमाज)-यह पहली नमाज है जो प्रात: काल सूर्य के उदय होने के पहले पढ़ी जाती है।
* नमाज-ए-जुह्र (अवनतिकाल की नमाज) यह दूसरी नमाज है जो मध्याह्न सूर्य के ढलना शुरु करने के बाद पढ़ी जाती है।
* नमाज -ए-अस्र (दिवसावसान की नमाज)- यह तीसरी नमाज है जो सूर्य के अस्त होने के कुछ पहले होती है।
* नमाज-ए-मग़रिब (सायंकाल की नमाज)- चौथी नमाज जो सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है।
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== नमाजों की अहमियत ==
कुरान अपनी एक आयत मेमें बयान फर्माता है:
{{cquote|'''"वस्तअ-ईनू बिस्सबरे वस्स्लात"'''}}
''ऐ ईमान वालों सब्र और नमाजों से काम लो''
 
साफ जाहिर है नमाज़ खालिस बन्दे की आसानी के लिए अल्लाह की नेमत है। 5 नमाजों की मिसाल ऐसी है, मानो आपके द्वार पर 5 पवित्र नहरे॥ दिन मेमें 5 बार आप उनमे स्नान कर के क्या अपवित्र रह सकते हैं? वैसे ही आप अपने मन को इन नहरों मेमें स्नान करवा दुनिया द्वारा दी गई कलिख और मैल को धो डालते हैं। अल्लाह का डर और उसकी मदद आप को कामयाब इन्सान बनाने में मदद देतें हैं।
 
== ग्रान्धिक अर्थ (लुगवी मानी) ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नमाज़" से प्राप्त