"नाथूला दर्रा": अवतरणों में अंतर

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भारत की ओर से यह दर्रा सिक्किम की राजधानी [[गान्तोक]] शहर से तकरीबन {{convert|54|km|abbr=on}} पूरब में स्थित है। केवल भारतीय नागरिक ही यहाँ जा सकते हैं और इसके लिए भी उन्हें गान्तोक से पारपत्र (पास) बनवाना होता है।
 
नाथू ला दर्रा, चीन और भारत के बीच आपसी समझौतों द्वारा स्थापित तीन खुले व्यापार की चौकियों में से एक है, जबकि दो अन्य हैं - हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला और उत्तराखण्ड स्थित लिपु लेख।<ref name="zee">{{cite web| url=http://www.zeenews.com/articles.asp?aid=307263&sid=NAT | title=Nathula reopens for trade after 44 years | work="ज़ी न्यूज" | date=6 जुलाई 2006 | accessdate=6 जुलाई 2006}}</ref> 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिए जाने के बाद, साल 2006 में कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के बाद नाथू ला को खोला गया। दर्रे कह खोला जाना हिन्दू और बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस क्षेत्र में मौजूद कई तीर्थ स्थलों की दूरी कम कर देता है, साथ ही इसके खुलने से भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने के कारण इस इलाके की अर्थव्यवस्था को गति मिलने की आशा की गयी थी हालाँकि, व्यापार कुछ ख़ास वस्तुओं तक ही सीमित है और सप्ताह के दिन भी सीमित हैं जिन दिनों यह मार्ग व्यापार हेतु खोला जाता है।
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</ref> उस दौर में ज्यादातर व्यापार मारवाड़ी समुदाय द्वारा संचालित किया जाता था जो 200 अधिकृत फर्म में से लगभग 95% के मालिक थे।<ref name="toi-2"/>
 
जुलाई 2006 से, सोमवार और गुरुवार को व्यापार खुला रहता है।<ref name = "bbc-1"/> भारत से होने वाले निर्यात जिन्हें करमुक्त किया गया है, कृषि उपकरण, कम्बल, तांबे निर्मित वस्तुयें, कपड़े, साइकिल, कॉफ़ी, चाय, जौ, चावल, गेहूँ, आटा, मेवे, फल, सब्जियाँ, वनस्पति घी, तंबाकू, मसाले, जूते, मिट्टी का तेल, स्टेशनरी, बटुए, दुग्घ विनिर्मित उत्पाद, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, डाई (रंग), और स्थानीय जड़ी-बूटियाँ हैं। चीनी निर्यातों में बकरी का चमड़ा, भेड़ चर्म, ऊन, कच्चा रेशम, याक की पूँछ, याक के बाल, चीनी मिट्टी, बोराक्स, मक्खन, साधारण नमक, घोड़े, बकरियाँ और भेड़ों को व्यापार कर (ड्यूटी) से मुक्त रखा गया है।<ref name="zee"/><ref name="trade items">{{cite web
| url = http://pib.nic.in/release/release.asp?relid=20154
| title = Trade Between India And China Through Nathu La Pass
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[[File:Rumtek monastery.jpg|thumb|तिब्बती तीर्थ यात्री बौद्ध धर्म के पवित्र मठों में से एक [[रुमटेक मठ|रुम्तेक मठ]] की यात्रा करने इस दर्रे से आ सकते हैं।]]
भारतीय ओर से, दर्रे तक बुधवार, गुरुवार, शनिवार, और रविवार को केवल भारतीय नागरिक ही जा सकते हैं<ref name = "Soil"/> और इसके लिए उन्हें एक दिन पूर्व गान्तोक से अनुमति लेनी होती है।<ref name="Permissions">{{cite web|url=http://www.scstsenvis.nic.in/Sikkim%20chapter.pdf |title=Ecodestination of India-Sikkim Chapter |accessdate=1 दिसम्बर 2006 |author=एन्विस दल |date=4 जून 2006 |format=PDF |work=Eco-destinations of India |publisher=दि एनवायरमेंटल इनफार्मेशन सिस्टम (ENVIS), पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार |page=45 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20070619234731/http://www.scstsenvis.nic.in/Sikkim%20chapter.pdf |archivedate=19 जून 2007 }}</ref> यह दर्रा खासतौर पर उन तिब्बती तीर्थयात्रियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो प्रसिद्ध और पवित्र माने जाने वाले बौद्ध मठों में से एक [[रुमटेक मठ|रुम्तेक मठ]] की यात्रा करना चाहते हों। हिन्दुओं के लिए, यह दर्रा मानसरोवर झील की यात्रा के समय को पन्द्रह दिनों से घटा का दो दिन की बना देता है।<ref name="review">{{cite news |first =जी॰ |last = विनायक|url = http://www.rediff.com/news/2004/jul/28spec2.htm|title = Nathu La: closed for review| language=en | trans_title= नाथू ला पुनरीक्षण हेतु बंद |work = दि रेडिफ स्पेशल |publisher = [[रीडिफ़.कॉम]]|date = 28 जुलाई 2004|accessdate = 26 नवम्बर 2006}}</ref>
 
भारतीय सरकार का एक प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीव उत्पादों, जैसे शेर और तेंदुए की खाल, हड्डियाँ, भालू का गाल ब्लैडर, [[ऊदबिलाव]] के फर और शाहतूश ऊन का अवैध व्यापार होगा और ये सामान नाथूला से होकर भारतीय बाजार में आने लगेंगे। भारत सरकार पुलिस और क़ानून प्रवर्तक एजेंसियों को इस व्यापार हेतु संवेदनशील बनाने के लिए प्रोग्राम चला रही है। अभी इस तरह का ज्यादातर अवैध व्यापार नेपाल के रास्ते होता है।<ref>{{cite web| url=http://www.hindu.com/2006/06/23/stories/2006062322050300.htm | title=Doubts over traffickers using re-opened Nathula Pass | language=en | trans_title=दुबारा खुले नाथूला दर्रे के तस्करों द्वारा प्रयोग का सन्देह | work=[[द हिन्दू]] | accessdate=6 जुलाई 2006 |date=23 जून 2006 | first=बिन्दु शाजन | last=पेराप्प्दन}}</ref>
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वर्तमान में सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, भारत की ओर न्यू जलपाईगुड़ी में और तिब्बत की ओर जियांगज़ी में हैं।
 
चीनी सरकार रेलमार्ग को याडोंग तक लाना चाहती है जो नाथू ला से कुछ ही किलोमीटर (मील) की दूरी पर है।<ref>[http://www.atimes.com/atimes/South_Asia/JE15Df01.html Asia Times Online :: South Asia news, business and economy from India and Pakistan<!-- Bot generated title -->]</ref> इसके अलावा, भारतीय सरकार दार्जिलिंग जिले में स्थित सेवोके नामक स्थान से सिक्किम कि राजधानी गान्तोक तक रेल मार्ग विस्तार बनाना चाहती है, गान्तोक की दूरी नाथू ला से {{convert|38|mi}} है।<ref>[http://www.railway-technology.com/projects/northbengalsikkimrai/ North Bengal-Sikkim Railway Link – Railway Technology<!-- Bot generated title -->]</ref>
 
== इन्हें भी देखें==