"पठान": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो हिंदुस्थान वासी (Talk) के संपादनों को हटाकर [[User:2405:205:10... |
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में (2), नही → नहीं , तोर → तौर |
||
पंक्ति 71:
|rels = इस्लाम
}}
[[चित्र:Pashtun Language Location Map.svg|thumb|230px|[[अफ़्ग़ानिस्तान]] और [[पाकिस्तान]] के नक़्शे में पश्तून क्षेत्र (नारंगी रंग में)]]
Line 88 ⟶ 85:
=== बनी इस्राएल होने के बारे में लिखाईयाँ ===
{{मुख्य|पश्तून लोगों के प्राचीन इस्राएलियों के वंशज होने की अवधारणा}}
पख़्तूनों के ''बनी इस्राएल'' (अर्थ - इस्रायल की संतान) होने की बात सत्रहवीं सदी ईसवी में [[जहांगीर]] के काल में लिखी गयी किताब “मगज़ाने अफ़ग़ानी” में भी मिलती है। अंग्रेज़ लेखक और यात्री [[अलेक्ज़ेंडर बर्न्स]] ने अपनी [[बुख़ारा]] की यात्राओं के बारे में सन् १८३५ में भी पख़्तूनों द्वारा ख़ुद को ''बनी इस्राएल'' मानने के बारे में लिखा है। हालांकि पख़्तून ख़ुद को बनी इस्राएल तो कहते हैं लेकिन धार्मिक रूप से वह [[मुसलमान]] हैं, यहूदी नहीं। अलेक्ज़ेंडर बर्न ने ही पुनः १८३७ में लिखा कि जब उसने उस समय के अफ़ग़ान राजा [[दोस्त मोहम्मद]] से इसके बारे में पूछा तो उसका जवाब था कि उसकी प्रजा ''बनी इस्राएल'' है इसमें संदेह नहीं लेकिन इसमें भी संदेह नहीं कि वे लोग मुसलमान हैं एवं आधुनिक यहूदियों का समर्थन नहीं करेंगे। [[विलियम मूरक्राफ़्ट]] ने भी १८१९ व १८२५ के बीच [[भारत]], [[पंजाब]] और अफ़्ग़ानिस्तान समेत कई देशों के यात्रा-वर्णन में लिखा कि पख़्तूनों का रंग, नाक-नक़्श, शरीर आदि सभी यहूदियों जैसा है। जे बी फ्रेज़र ने अपनी १८३४ की 'फ़ारस और अफ़्ग़ानिस्तान का ऐतिहासिक और वर्णनकारी वृत्तान्त' नामक किताब में कहा कि पख़्तून ख़ुद को बनी इस्राएल मानते हैं और इस्लाम अपनाने से पहले भी उन्होंने अपनी धार्मिक शुद्धता को बरकरार रखा था।<ref name="ref72lagar">[http://books.google.com/books?id=XpQUAAAAQAAJ An historical and descriptive account of Persia ... including a description of Afghanistan and Beloochistan], James Baillie Fraser, Oliver a. Boyd, 1834, ''... According to their own traditions they believe themselves descended from the Jews ...''</ref> जोसेफ़ फ़िएरे फ़ेरिएर ने १८५८ में अपनी अफ़ग़ान इतिहास के बारे में लिखी किताब में कहा कि वह पख़्तूनों को बेनी इस्राएल मानने पर उस समय मजबूर हो गया जब उसे यह जानकारी मिली कि [[नादिरशाह]] भारत-विजय से पहले जब [[पेशावर]] से गुज़रा तो [[यूसुफ़ज़ई]] कबीले के प्रधान ने उसे [[इब्रानी भाषा]] (हीब्रू) में लिखी हुई बाइबिल व प्राचीन उपासना में उपयोग किये जाने वाले कई लेख साथ भेंट किये। इन्हें उसके ख़ेमे
== मनिहार ==
एक़ नस्ल मनिहार क़े नाम से जानी जाती है जो चूड़ियॉ व बिसातख़ाने क़ा सामान बेचने अफग़ानिस्तान से भारत जाया क़रते थे धीरे-धीरे ये वही बस ग़ये मुग़ल क़ाल
== पश्तून क़बीले ==
Line 101 ⟶ 98:
4. Baayer बायार
5. Oormar ऊरमर
6. Tareen (Tarin) तारीन (उप क़बीले
7. Gharshin ग़रशीन
8. Lawaanai लावानाई
Line 133 ⟶ 130:
36. Gagyanai ग़यनाई
37. Salarzaiसलार्ज़ाई
38. Malgoorai मल्गुराई
* '''ग़र्ग़श्त क़बीले''' :-
Line 208 ⟶ 205:
27. Miankhail मैनखैल
28. Betani (Baitanee) भैतानी
29. Khasoor ख़सूर
यह सभी क़बीले भी कई कई त्ताबरों, कैलों, प्लारीनाओं, व काहूलों में बंटे हुए हैं। यही क़बीलाई संरचना भारत के पठानों द्वारा भी अपनाई जा रही है।
|