"पवहारी बाबा": अवतरणों में अंतर
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{{विकिफ़ाइ|date=दिसम्बर 2015}}
'''पवहारी बाबा''' उन्नीसवीं शताब्दी के एक भारतीय तपस्वी और संत थे। <1,2,3> विवेकानंद के अनुसार वे अद्भुत विनय-संपन्न एवं गंभीर आत्म-ज्ञानी
http://books.google.com/books?id=pTDPlJPyV_MC&pg=PA217
</ref> अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय तीर्थस्थलों की यात्रा की। काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे योग के रहस्यों से दीक्षित हुए। <1>
अमेरिका आने के ठीक पहले स्वामी विवेकानंद गाजीपुर पवहारी बाबा का दर्शन करने गए
=== प्रारंभिक जीवन ===
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पवहारी बाबा का बचपन का नाम हरभजन था4 और उनका जन्म वाराणसी के गुज़ी गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।1,2,3 बचपन में अध्ययन करने के लिए वे गाजीपुर के पास अपने चाचा के आश्रम आ गए थे। उनके चाचा एक नैष्ठिक ब्रह्मचारी (आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर्ता) और रामानुज अथवा श्री संप्रदाय अनुयायी थे। पवहारी बाबा एक मेधावी छात्र थे तथा व्याकरण और न्याय और कई हिन्दू शाखाओं में उन्हें महारत हासिल थी। 1,2
पवहारी बाबा का अपने चाचा के ऊपर बड़ा स्नेह
=== गाजीपुर में पुनरागमन और तपस्वी जीवन ===
तीर्थ भ्रमण के पश्चात वे वापस गाजीपुर लौट आये, और वहां उन्होंने अपनी साधना जारी रक्खी. अपने आश्रम की कुटिया में उन्होंने साधना के लिए एक भूमिगत गुफा का निमार्ण किया जिसमें बैठ कर वे दिनों दिन साधना किया करते
http://books.google.com/books?id=ZLmFDRortS0C&pg=PA12
</ref> विनयशीलता और कल्याण की भावना के लिए विख्यात,पवहारी बाबा मितभाषी थे। उनकी यह दृढ़ धारणा थी कि शब्द से नहीं बल्कि आंतरिक साधना से ही सत्य की प्राप्ति हो सकती
=== स्वामी विवेकानंद की भेंट ===
अपने गुरु श्री रामकृष्ण के मरणोपरांत अनेक संघर्षों से गुजरते हुए स्वामी विवेकान्द पवहारी बाबा का दर्शन अपने एक मित्र के कहने पर ग़ाज़ीपुर
=== देह-त्याग ===
अपने अंतिम समय में उन्होंने लोगो से मिलना-जुलना काम कर दिया
=== सन्दर्भ ===
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