"प्रथम विश्व युद्ध": अवतरणों में अंतर

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| align="center" colspan="2" | पहला विश्व युद्ध के दौरान कुछ अहम वाक़यात की तस्वीरें
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| तारीख़
| 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक
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|''' लडाई में सहभागी केन्द्रीय शक्ति (Central Power) देश'''
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|[[चित्र:Flag of the United Kingdom.svg‎|50px]] [[ब्रिटेन]]
 
[[चित्र:Flag of France.svg|50px]] फ़्रांस <br />
 
[[चित्र:Flag of the United States.svg‎|50px]] [[अमेरिका]] <br />
 
[[चित्र:Flag of Russia.svg‎|50px]] [[रूस]] <br />
 
[[चित्र:Flag of Italy.svg‎|50px]] [[इटली]] <br /> '''और अन्य'''
|[[चित्र:Flag_of_Austria-Hungary_(1869-1918).svg‎|50px]] आस्ट्रिया-हङ्गरी
 
[[चित्र:Flag of the German Empire.svg‎|50px]] [[जर्मनी]]
 
[[चित्र:Ottoman flag.svg‎‎|50px]] उस्मानिया
 
[[चित्र:Flag of Bulgaria.svg‎|50px]] बल्गारिया<br /> '''और अन्य'''
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|मारे गए सैनिकों की संख्या: <br /> 5,525,000
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== घटनाएँ ==
[[औद्योगिक क्रांति]] के कारण सभी बड़े देश ऐसे [[उपनिवेश]] चाहते थे जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें और सभी उनके देश मेमें बनाई तथा मशिनों से बनाई हुई चीज़ें बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हर देश दुसरे देश पर साम्राज्य करने कि चाहत रखने लगा और इस के लिये सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। [[ऑस्ट्रिया]] के सिंहासन के उत्तराधिकारी [[आर्चड्युक फर्डिनेंड]] और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को [[सेराजेवो]] में हुई थी। एक माह के बाद [[ऑस्ट्रिया]] ने [[सर्बिया]] के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। [[रूस]], [[फ़्रांस]] और [[ब्रिटेन]] ने सर्बिया की सहायता की और [[जर्मनी]] ने आस्ट्रिया की। अगस्त में [[जापान]], ब्रिटेन आदि की ओर से और कुछ समय बाद [[उस्मानिया]], [[जर्मनी]] की ओर से, युद्ध में शामिल हुए।
 
जून 1914 में, ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ़्रांज़ फ़र्डिनेंड की बोस्निया राजधानी की साराजेवो में एक सर्बियाई राष्ट्रवादी द्वारा हत्या कर दी गई जिसके फलस्वरूप ऑस्ट्रिया-हंगरी ने 28 जुलाई को सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी गयी जिसमें रूस ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ आ गया। जर्मनी ने फ़्रांस की ओर बढ़ने से पूर्व तटस्थ [[बेल्जियम]] और [[लक्ज़मबर्ग]] पर आक्रमण कर दिया जसके कारन ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी
 
[[जर्मनी]], [[ऑस्ट्रिया]], [[हंगरी]] और [[उस्मानिया]] (तथाकथित केन्द्रीय शक्तियाँ) द्वारा [[ग्रेट ब्रिटेन]] , [[फ्रांस]], [[रूस]], [[इटली]] और [[जापान]] के ख़िलाफ़ (मित्र देशों की शक्तियों) अगस्त के मध्य तक लामबंद हो गए और १९१७ के बाद [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] मित्र राष्ट्रों की ओर शामिल हो गया था।
 
यह युद्ध [[यूरोप]], [[एशिया]] व [[अफ़्रीका]] तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में [[जर्मनी]] की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाज़ों को डुबोया। एक बार जर्मनी ने इंगलैण्ड की लुसिटिनिया जहाज़ अपने पनडुब्बी से डूबा दी। जिसमे कुछ अमेरिकी नागरिक संवार थे इससे [[अमरीका]] ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा लेकिन [[रूसी क्रांति]] के कारण [[रूस]] महायुद्ध से अलग हो गया। 1918 ई. में [[ब्रिटेन]] , [[फ़्रांस]] और [[अमरीका]] ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और आस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवम्बर 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।
 
== लड़ाइयाँ ==
इस महायुद्ध के अंतर्गत अनेक लड़ाइयाँ हुई। इनमें से टेनेनबर्ग (26 से 31 अगस्त 1914), मार्नं (5 से 10 सितंबर 1914), सरी बइर (Sari Bair) तथा सूवला खाड़ी (6 से 10 अगस्त 1915), वर्दूं (21 फ़रवरी 1916 से 20 अगस्त 1917), आमिऐं (8 से 11 अगस्त 1918), एव वित्तोरिओ बेनेतो (23 से 29 अक्टूबर 1918) इत्यादि की लड़ाइयों को अपेक्षाकृत अधिक महत्व दिया गया है। यहाँ केवल दो का ही संक्षिप्त वृत्तांत दिया गया है।
 
[[चित्र:World War 1.gif|center|550px|thumb|समय के साथ प्रथम विश्वयुद्ध में पक्ष-विपक्ष में देश जुड़ते गये।<br>'''गहरा हरा''' - मित्र राष्ट्र<br>'''हल्का हरा''' - मित्र राष्ट्रों के उपनिवेश<br>'''गहरा नारंगी''' - केन्द्रीय शक्तियाँ<br>'''हल्का नारंगी''' - केन्द्रीय शक्तियों के उपनिवेश<br>'''भूरा''' - निष्पक्ष देश ]]
 
जर्मनी द्वारा किए गए 1916 के आक्रमणों का प्रधान लक्ष्य [[बर्दूं]] था। महाद्वीप स्थित मित्र राष्ट्रों की सेनाओं का विघटन करने के लिए फ़्रांस पर आक्रमण करने की योजनानुसार जर्मनी की ओर स 21 फ़रवरी 1916 ई. को बर्दूं युद्धमाला का श्रीगणेश हुआ। नौ जर्मन डिवीज़न ने एक साथ मॉज़ेल (Moselle) नदी के दाहिने किनारे पर आक्रमण किया तथा प्रथम एवं द्वितीय युद्ध मोर्चों पर अधिकार किया। फ्रेंच सेना का ओज जनरल पेतैं (Petain) की अध्यक्षता में इस चुनौती का सामना करने के लिए बढ़ा। जर्मन सेना 26 फ़रवरी को बर्दूं की सीमा से केवल पाँच मील दूर रह गई। कुछ दिनों तक घोर संग्राम हुआ। 15 मार्च तक जर्मन आक्रमण शिथिल पड़ने लगा तथा फ्रांस को अपनी व्यूहरचना तथा रसद आदि की सुचारु व्यवस्था का अवसर मिल गया। म्यूज के पश्चिमी किनारे पर भी भीषण युद्ध छिड़ा जो लगभग अप्रैल तक चलता रहा। मई के अंत में जर्मनी ने नदी के दोनों ओर आक्रमण किया तथा भीषण युद्ध के उपरांत 7 जून को वाक्स (Vaux) का किला लेने में सफलता प्राप्त की। जर्मनी अब अपनी सफलता के शिखर पर था। फ्रेंच सैनिक मार्ट होमे (Mert Homme) के दक्षिणी ढालू स्थलीय मोर्चों पर डटे हुए थे। संघर्ष चलता रहा। ब्रिटिश सेना ने सॉम (Somme) पर आक्रमण कर बर्दूं को छुटकारा दिलाया। जर्मनी का अंतिम आक्रमण 3 सितंबर को हुआ था। जनरल मैनगिन (Mangin) के नेतृत्व में फ्रांस ने प्रत्याक्रमण किया तथा अधिकांश खोए हुए स्थल विजित कर लिए। 20 अगस्त 1917 के बर्दूं के अंतिम युद्ध के उपरांत जर्मनी के हाथ्प में केवल ब्यूमांट (Beaumont) रह गया। युद्धों ने फ्रैंच सेना को शिथिल कर दिया था, जब कि आहत जर्मनों की संख्या लगभग तीन लाख थी और उसका जोश फीका पड़ गया था।