"प्रत्यावर्ती धारा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
→top: ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में |
||
पंक्ति 1:
[[Image:Types of current.svg|thumb|right|300px|दिष्ट धारा (लाल), प्रत्यावर्ती धारा (हरा) तथा अन्य प्रकार की धाराएँ]]
[[Image:3 phase AC waveform.svg|thumb|right|300px|त्रि-फेजी धारा का तरंगरूप]]
'''प्रत्यावर्ती धारा''' वह [[धारा]] है जो किसी [[विद्युत परिपथ]] में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत [[दिष्ट धारा]] समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। [[भारत]] में घरों
[[चित्र:WestinghouseEarlyACSystem1887-USP373035.png|right
प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के [[ट्रान्सफार्मर]] की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है ; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा '''श्रव्य आवृत्ति''', '''रेडियो आवृत्ति''', '''दृश्य आवृत्ति''' आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं।
|