"भोपाल गैस काण्ड": अवतरणों में अंतर

छो Nitin G B (Talk) के संपादनों को हटाकर आर्यावर्त के आखिरी अवतरण को पूर...
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में (12)
पंक्ति 2:
{{WPCUP}}
[[चित्र:Bhopal-Union Carbide 1 crop memorial.jpg|thumb|right|भोपाल गैस काण्ड स्मारक]]
[[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[भोपाल]] शहर मेमें 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे '''भोपाल गैस कांड''', या '''भोपाल गैस त्रासदी''' के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित [[यूनियन कार्बाइड]] नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। २००६ में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। ३९०० तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।
 
भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था।
पंक्ति 10:
 
== पूर्व-घटना चरण ==
सन १९६९ मेमें यू.सी.आइ.एल.कारखाने का निर्माण हुआ जहाँ पर मिथाइलआइसोसाइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई। सन १९७९ मेमें मिथाइल आइसोसाइनाइट के उत्पादन के लिये नया कारखाना खोला गया।
 
== कारकों का योगदान ==
पंक्ति 16:
 
== गैस का निस्तार ==
२-३ दिसम्बर की रात्रि को टैन्क इ-६१० मेमें पानी का रिसाव हो जाने के कारण अत्यन्त ग्रीश्म व दबाव पैदा हो गया और टैन्क का अन्तरूनी तापमान २०० डिग्री के पार पहुच गया जिसके तत पश्चात इस विषैली गैस का रिसाव वातावरण मेमें हो गया। ४५-६० मिनट के अन्तराल लगभग ३० मेट्रिक टन गैस का रिसाव हो गया।
 
== गैस का बादल ==
पंक्ति 25:
 
== दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव ==
भोपाल की लगाभग ५ लाख २० हज़ार लोगो की जनता इस विशैलि गैस से सीधि रूप से प्रभावित हुइ जिसमे २,००,००० लोग १५ वर्ष की आयु से कम थे और ३,००० गर्भवती महिलाये थी, उन्हे शुरुआती दौर मेमें तो खासी, उल्टी, आन्खो मेमें उलझन और घुटन का अनुभव हुआ। २,२५९ लोगो की इस गैस की चपेट मेमें आ कर आकस्मिक ही म्रित्यु हो गयी। १९९१ मेमें सरकार द्वारा इस सन्ख्या की पुष्टि ३,९२८ पे की गयी। दस्तावेज़ो के अनुसार अगले २ सप्ताह के भीतर ८००० लोगो कि म्रित्यु हुइ। मध्या प्रदेश सरकार द्वारा गैस रिसाव से होने वालि म्रित्यु की सन्ख्या ३,७८७ बतलायी गयी है।
 
== स्वास्थ्य देखभाल ==
रिसाव के तुरन्त बाद चिकित्सा संस्थानों पर अत्यधिक दबाव पड़ा। कुछ सप्ताह के भीतर ही राज्य सरकार ने गैस पीडितो के लिये कई अस्पताल एव चिकित्सा खाने खोले, साथ ही कई नये निजी सन्स्थान भी खोले गये। सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में ७० प्रतिशत से ज़्यादा कम पढ़े लिखे चिकित्सक थे, वे इस रासायनिक आपदा के उपचार के लिये सम्पूर्ण रूप से तैयार नहीं थे। १९८८ मेमें चालू हुए भोपाल मेमोरिअल अस्पताल एव रिसर्च सेन्टर ने ८ वर्षो के लिये ज़िन्दा पीड़ितो को मुफ्त उपचार उपलब्ध कराया।
 
== पर्यावरण पुनर्वास ==
१९८९ मेमें हुई जाँच से यह जानकारी प्राप्त हुई कि कारखानें के समीप का पानी और मिट्टी मछ्लियो के पनपने के लिये हानिकारक है।
 
== आर्थिक पुनर्वास ==
त्रासदी के २ दिन के पश्चात ही राज्य सरकार ने राहत का कार्य आरम्भ कर दिया था। जुलाई १९८५ मेमें मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने राहत कार्य के लिये लगभग एक करोड़ चालीस लाख डॉलर कि धन राशि लगाने का निर्णय लिया। अक्टूबर २००३ के अन्त तक भोपाल गैस त्रासदी राहत एव पुनर्वास विभाग के अनुसार ५५४,८९५ घायल लोगो को व १५,३१० मृत लोगों के वारिसों को मुआवज़ा दिया गया है।
 
== यूनियन कार्बाइड कारखाने के विरुद्ध प्रभार ==