"भोपाल गैस काण्ड": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Bhopal-Union Carbide 1 crop memorial.jpg|thumb|right|भोपाल गैस काण्ड स्मारक]]
[[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[भोपाल]] शहर
भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था।
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== पूर्व-घटना चरण ==
सन १९६९
== कारकों का योगदान ==
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== गैस का निस्तार ==
२-३ दिसम्बर की रात्रि को टैन्क इ-६१०
== गैस का बादल ==
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== दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव ==
भोपाल की लगाभग ५ लाख २० हज़ार लोगो की जनता इस विशैलि गैस से सीधि रूप से प्रभावित हुइ जिसमे २,००,००० लोग १५ वर्ष की आयु से कम थे और ३,००० गर्भवती महिलाये थी, उन्हे शुरुआती दौर
== स्वास्थ्य देखभाल ==
रिसाव के तुरन्त बाद चिकित्सा संस्थानों पर अत्यधिक दबाव पड़ा। कुछ सप्ताह के भीतर ही राज्य सरकार ने गैस पीडितो के लिये कई अस्पताल एव चिकित्सा खाने खोले, साथ ही कई नये निजी सन्स्थान भी खोले गये। सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में ७० प्रतिशत से ज़्यादा कम पढ़े लिखे चिकित्सक थे, वे इस रासायनिक आपदा के उपचार के लिये सम्पूर्ण रूप से तैयार नहीं थे। १९८८
== पर्यावरण पुनर्वास ==
१९८९
== आर्थिक पुनर्वास ==
त्रासदी के २ दिन के पश्चात ही राज्य सरकार ने राहत का कार्य आरम्भ कर दिया था। जुलाई १९८५
== यूनियन कार्बाइड कारखाने के विरुद्ध प्रभार ==
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