"लिंग": अवतरणों में अंतर

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==शब्दार्थ==
आज हिन्दी में लिंग यानि लिङ्ग शब्द का अर्थ [[नर]] [[शिश्न]] से लगाया जाता है लेकिन मूल संस्कृत में इसका अर्थ ''चिह्न'', ''प्रतीक'' अथवा ''लक्षण'' (यानि पहचान) के अर्थ में है। [[कणाद]] मुनि कृत [[वैशेषिक]] दर्शन ग्रंथ में यह शब्द कई बार आता है।
 
== लिंग का विकास ==
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== लिंग का निर्धारण ==
प्राणियों में लिंग का निर्धारण तीन प्रकार से होता है :
 
(1) [[निषेचन]] (fertilization) के पहले ही,
 
(2) निषेचन के समय तथा
 
(3) निषेचन के बाद।
 
किंतु, सामान्यतः लिंग का निर्धारण [[निषेचन]] के ही समय होना माना जाता है। नर के शुक्राणु (sperm) का मादा के अंडाशय से संयुक्त होना निषेचन कहा जाता है। वातावरण में निषेचित अंडे, या [[युग्मनज]] (fertilized egg or Zygote) की क्रमश: वृद्धि होती रहती है।
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== लैंगिक द्विरूपता (Sexual Dimorphism) ==
[[चित्र:Male and female pheasant.jpg|right|thumb|300px|'कॉमन फीजैन्ट' के नर एवं मादा]]
बहुत से जन्तुओं के नर और मादा के आकार एवं स्वरूप में स्पष्ट अन्तर होता है। इसे '''[[लैंगिक द्विरूपता]]''' कहते हैं।
 
यह बतलाया जा चुका है कि लैंगिक विकास के तृतीय चरण में नर मादा के भेद प्रकट होने लग गए थे। धीरे-धीरे [[अंडाशय]] तथा [[वृषण|वृषणों]] का विकास हुआ और सहायक अंग भी क्रमश: विकसित होते गए। अनेक निम्न जीवों में, तथा वनस्पतियों में भी नर तथा मादा जननांग एक ही शरीर में पाए जाते हैं। ज्यों ज्यों उच्च वर्ग की ओर बढ़ा जाएगा तो यह मिलेगा कि लिंग स्पष्ट ही पृथक् हो गए हैं और नर तथा मादा शरीर की रचना भी पृथक् है।
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प्रत्येक प्राणी में यह क्षमता होती है कि वह नर, या मादा में विकसित हो जाए। उभयलिंगता इसका ज्वलंत उदाहरण है। उभयलिंगी कई प्रकार के होते हैं, जैसे (1) ऐसे प्राणी जो स्वनिषेचन (self-fertilization) करते हैं, जैसे हाइड्रा (hydra), फीताकृमि (tapeworm), चपटाकृमि (flatworm) आदि (इन जंतुओं में इनका अपना ही शुक्राणु अपने ही डिबों को निषेचित करता है), (2) दूसरे ऐसे प्राणी होते हैं जो निषेचन के लिए एक दूसरे पर निर्भर करते हैं; जैसे केंचुआ, जोंक आदि।
 
वनस्पतियों की भी अनेक जातियों में एक ही पौधे मेमें कुछ फूल पौधे के किसी विशेष भाग में ही पाए जाते हैं। उच्च श्रेणी के अनेक पौधों में एक ही फूल में स्त्रीकेसर (pistils) तथा पुंकेसर (stamens) समीपस्थ होते हैं ताकि गर्भाधान में सरलता हो।
 
उभयलिंगियों में नर तथा मादा के अंत: और बाह्य लक्षण एकसाथ पाए जाते हैं। भेकों (toads) की मादाओं में शुक्र तथा नरों में डिंब ग्रंथियाँ प्राय: साथ साथ पाई जाती हैं। कछुओं में भी अंडवृषण (ovotestes) पाए गए हैं। कबूतरों में नर की शुक्र ग्रंथि डिंब तथा तारामीन की मादा के डिंबाशय में वृषण पाए गए हैं। केकड़ों में वृषण तथा डिंबाशय साथ साथ पाए गए हैं। इलास्मोब्रैक (Elasmobranch) मछलियों में निष्क्रिय वृषण और सक्रिय डिंबाशय साथ साथ पाए गए हैं। कुछ मछलियाँ ऐसी भी पाई गई जिनमें दो डिंबाशय तथा एक वृषण था।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/लिंग" से प्राप्त