"श्रीपति": अवतरणों में अंतर

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==जीवन परिचय==
श्रीपति के पिता का नाम नागदेव था (कहीं कहीं 'नामदेव' भी मिलता है) तथा उनके दादा का नाम केशव था। खगोलशास्त्र, ज्योतिष तथा गणित में श्रीपति [[लल्ल]] के अनुयायी थे। गणित पर किये गये उनके कार्य [[खगोलिकी|खगोल]] में उपयोग को ध्यान में रखकर किये गये थे। उदाहरण के लिये, [[गोला|गोलों]] का अध्ययन खगोलिकी में उपयोग को दृष्टिगत रखकर ही किया गया था। खगोलिकी से सम्बन्धित उनके कार्य, उनके [[ज्योतिष]] (astrology) के कार्यों को आधार प्रदान करने के लिये किये गये थे।
 
==कृतियाँ==
* '''धिकोटिदाकरण''' -१०३९ में रचित ; २० श्लोकों से युक्त ; [[सूर्यग्रहण]] तथा [[चन्द्रग्रहण]] से सम्बन्धित हैं।
 
* '''ध्रुवमानस''' - १०५६ में रचित ; १०५ श्लोक ; [[ग्रह|ग्रहों]] के रेखांश (longitudes), [[ग्रहण]] तथा मार्ग (transits) की गणना दी गयी है।
 
* '''सिद्धान्तशेखर''' - खगोलिकी से सम्बन्धित १९ अध्यायों वाला वृहद ग्रन्थ ;
 
* '''गणिततिलक''' - अपूर्ण अंकगणितीय ग्रन्थ, जिसमें १२५ श्लोक हैं। यह [[श्रीधराचार्य]] के ग्रन्थों पर आधारित है।