"कोशिकीय श्वसन": अवतरणों में अंतर

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{|
| rowspan = 2 | '''सरल समीकरण'''
| C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6 </sub> + 6O<sub>2 </sub> → 6CO<sub>2 </sub> + 6H<sub>2</sub>O<sub> </sub><ref>{{cite book |last=सिंह |first=बृजराज |title= जीवन विज्ञान परिचय, भाग-1 |year=जुलाई २००४ |publisher=अभिषेक प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=49 |accessday= २६|accessmonth= जून|accessyear= २००९}}</ref>
|-
|ΔG = -2880 किलो जूल (प्रति ग्लूकोज का अणु)
|}
 
कोशिकीय श्वसन एवं श्वास क्रिया में अभिन्न सम्बंध है एवं ये दोनों क्रियाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं। श्वांस क्रिया सजीव के श्वसन अंगों एवं उनके वातावरण के बीच होती है। इसके दौरान सजीव एवं उनके वातावरण के बीच आक्सीजन एवं [[कार्बन डाईऑक्साइड]] गैस का आदान-प्रदान होता है तथा इस क्रिया द्वारा आक्सीजन गैस वातावरण से सजीवों के श्वसन अंगों में पहुँचती है। आक्सीजन गैस श्वसन अंगों से [[विसरण]] द्वारा [[रक्त]] में प्रवेश कर जाती है। रक्त परिवहन का माध्यम है जो इस आक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों की कोशिकाओं मेमें पहुँचा देता है।<ref>{{cite web |url= http://www.christopherreeve.org/site/c.qvIZIdNZJwE/b.4637603/k.A5F/23582381235723602344__Respiratory.htm|title=श्वसन
|accessmonthday=[[१ मई]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=पक्षाघात संसाधन केन्द्र|language=}}</ref> वहाँ इसका उपयोग कोशिकाएँ अपने कोशिकीय श्वसन में करती हैं।
 
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[[File:Citricacidcycle hindi.png|thumb|right|400px|क्रेब्स चक्र]]
{{main|क्रेब्स चक्र }}
क्रेब्स चक्र ऑक्सीय श्वसन की दूसरी अवस्था है। यह यूकैरियोटिक कोशिका के माइटोकाँन्ड्रिया तथा प्रोकैरियोट्स के कोशिका द्रव में होती है। इस क्रिया में ग्लाइकोलिसिस का अंत पदार्थ पाइरूविक अम्ल पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड और जल में बदल जाता है तथा ऐसे अनेक पदार्थों का निर्माण होता है जिनका उपयोग अन्य जैव-रासायनिक परिपथों में अमीनो अम्ल, [[प्यूरिन]], [[पिरिमिडिन]], फैटी अम्ल एवं ग्लूकोज आदि के निर्माण में होता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यह क्रिया कई चरणों में होती है तथा एक चक्र के रूप में कार्य करती है। इस चक्र का अध्ययन सर्वप्रथम हैन्स एडोल्फ क्रेब ने किया था, उन्हीं के नाम पर इस क्रिया को क्रेब्स चक्र कहते हैं।
 
इस क्रिया का प्रथम क्रियाफल [[साइट्रिक अम्ल]] है अतः इस क्रिया को साइट्रिक अम्ल चक्र (साइट्रिक एसिड साइकिल) भी कहते हैं। साइट्रिक अम्ल में ३ कार्बोक्सिलिक मूलक (-COOH) उपस्थित रहता है अतः इसे ट्राइ कार्बोक्सिलिक साइकिल या टीसीए चक्र भी कहते हैं। क्रेब्स चक्र की चक्रीय प्रतिक्रियाओं में पाइरूविक अम्ल के पूर्ण उपचन से पूरे चक्र में तीन स्थानों पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO<sub>2 </sub>) का एक एक अणु बाहर निकलता है, अर्थात् पाइरूविक अम्ल के तीनों कार्बन परमाणु तीन अणु कार्बन डाइऑक्साइड के रूप मं बाहर निकलते हैं।
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{|
| rowspan = 2 |
| C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6 </sub> + 6O<sub>2 </sub> + 6H<sub>2</sub>O<sub> </sub> → 6CO<sub>2 </sub> + 12H<sub>2</sub>O<sub> </sub> + ऊर्जा
|}
:श्वसन भागफल = 6CO<sub>2</sub>/6O<sub>2</sub> = १.०