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कुछ मामलों में, जैसे कि चीन में ग्रेट लीप फॉरवार्ड (जिसने पूर्ण संख्याओं में सबसे बड़ा अकाल पैदा किया था), 1990 के दशक के मध्य में [[उत्तर कोरिया]] में या सन 2000 की शुरुआत में [[ज़िम्बाबवे|जिम्बाब्वे]] में, अकाल की स्थिति सरकारी नीतियों के एक अनपेक्षित परिणाम के रूप में उत्पन्न हो सकती है। मलावी ने विश्व बैंक की बाध्यताओं के खिलाफ किसानों को अनुदान देकर अपने अकाल का खात्मा किया।<ref name="newyorktimes" /> [[इथियोपिया]] में 1973 के वोल्लो अकाल के दौरान खाद्य पदार्थों को वोल्लो से बाहर राजधानी शहर अदीस अबाबा में भेजा जाता था जहां इनके लिए कहीं अधिक कीमतें मिल सकती थीं। 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध और 1980 के दशक की शुरुआत में इथियोपिया और [[सूडान]] की [[तानाशाही|तानाशाहियों]] के निवासियों को भारी अकाल का सामना करना पड़ा, लेकिन [[ज़िम्बाबवे|जिम्बाब्वे]] और [[बोत्सवाना]] के लोकतंत्रों में राष्ट्रीय खाद्य उत्पादन में गंभीर कमी के बावजूद भी उन्होंने अपना बचाव किया। [[सोमालिया]] में अकाल एक विफल प्रशासन की वजह से आया।
कई अकाल बड़ी आबादी वाले देशों की तुलना में, जिनकी आबादी क्षेत्रीय वहन क्षमता से अधिक हो जाती है, खाद्य उत्पादन में असंतुलन के कारण पैदा होते हैं। ऐतिहासिक रूप से अकाल की स्थिति कृषि संबंधी समस्याओं जैसे कि सूखा, फसल की विफलता या [[संक्रामक रोग|महामारी]] की वजह से आयी है। मौसम के बदलते मिजाज, संकट, युद्ध और महामारी जनित बीमारियों जैसे कि काली मौत से निबटने में मध्य युगीन सरकारों की अप्रभावशीलता [[मध्ययुग|मध्य युगों]] के दौरान [[यूरोप]] में सैकड़ों अकालों को जन्म देने में सहायक सिद्ध हुई जिनमें ब्रिटेन में 95 और फ्रांस में 75 अकाल शामिल हैं।<ref>[http://www.telegraph.co.uk/opinion/main.jhtml?xml=/opinion/2004/08/08/do0809.xml&sSheet=/opinion/2004/08/08/ixop.html "पूअर स्टडीज़ विल ओल्वेज़ बी विथ अस"], ''दी टेलीग्राफ''</ref> फ्रांस में सौ सालों के युद्ध, फसल की विफलताओं और महामारियों ने इसकी आबादी दो-तिहाई तक कम कर दी थी।<ref>[http://www.historynet.com/magazines/military_history/3031536.html डॉन ओ'रिली, "हंड्रेड इयर्स' वार: जोआन ऑफ आर्क एंड दी सीज ऑफ ओरलिंस]", ''TheHistoryNet.com''</ref>
फसल कटाई की विफलता या परिस्थितियों में बदलाव जैसे कि सूखा एक ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है जिसके द्वारा एक बड़ी संख्या में लोग निरंतर वहां रह सखते हैं जहां जमीन की वहन क्षमता में मूलतः अस्थायी रूप से कमी आ गयी है। अकाल को अक्सर निर्वाह के लायक कृषि के साथ जोड़ा जाता है। एक आर्थिक रूप से मजबूत क्षेत्र में कृषि का कुल अभाव अकाल का कारण नहीं बनता है; [[एरीजोना|एरिज़ोना]] और अन्य समृद्ध क्षेत्र अपने खाद्य पदार्थ के बहुत अधिक हिस्से का आयात करते हैं, क्योंकि इस तरह के क्षेत्र व्यापार के लिए पर्याप्त आर्थिक सामग्रियों का उत्पादन करते हैं।
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{{See also|Water crisis}}
{{Out of date|article|date=December 2010}}
गार्जियन की रिपोर्ट है कि 2007 में दुनिया की लगभग 40% कृषि योग्य भूमि का स्तर गंभीर रूप से गिर गया है।<ref>[http://www.guardian.co.uk/environment/2007/aug/31/climatechange.food "ग्लोबल फ़ूड क्राइसिस लूम्स एज़ क्लाइमेट चेंज एंड पॉपुलेशन ग्रोथ स्ट्रिप फर्टाइल लैंड"], ''दी गार्जियन, 31 अगस्त 2007''</ref> यूएनयू के घाना-स्थित इंस्टिट्यूट फॉर नेचुरल रिसोर्सेस इन अफ्रीका के अनुसार, अगर अफ्रीका में मिट्टी के स्तर में गिरावट के मौजूदा रुझान जारी रहे तो यह महाद्वीप 2025 तक अपनी आबादी के सिर्फ 25% हिस्से को भोजन प्रदान करने में सक्षम
|journal = New Scientist Magazine |title=Billions at risk from wheat super-blight |date=2007-04-03
|accessdate = 2007-04-19 |issue= 2598 |pages = 6–7}}</ref>
20वीं सदी की शुरुआत में आंशिक रूप से अकाल से निपटने के क्रम में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन [[उर्वरक|उर्वरकों]], नए कीटनाशकों, रेगिस्तानी कृषि और अन्य कृषि प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल होना शुरु हो गया था। 1950 और 1984 के बीच जब [[हरित क्रांति]] ने [[कृषि]] को प्रभावित किया, विश्व खाद्यान्न उत्पादन में 250% की वृद्धि
कॉर्नेल विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और [[कृषि]] के प्रोफ़ेसर, डेविड पिमेंटेल और नेशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑन फ़ूड एंड न्यूट्रीशन (आईएनआरएएन) में वरिष्ठ शोधकर्ता, मारियो गियामपिएत्रो अपने अध्ययन ''फ़ूड, लैंड, पॉपुलेशन एंड द यूएस इकोनोमी'' में एक चिरस्थायी अर्थव्यवस्था के लिए अमेरिका की अधिकतम जनसंख्या 200 मिलियन पर रखते हैं।<ref>[http://www.energybulletin.net/281.html Eating Fossil Fuels | EnergyBulletin.net]</ref> अध्ययन कहता है कि एक चिरस्थायी अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने और आपदा से बचने के लिए [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] को अपनी आबादी कम से कम एक-तिहाई कम करनी होगी और दुनिया की आबादी को दो-तिहाई तक कम करना
भूविज्ञानी डेल एलन फीफर का दावा है कि आने वाले दशकों में [[भोजन|खाद्य पदार्थों]] की कीमतों में किसी राहत के बिना उत्तरोत्तर वृद्धि और वैश्विक स्तर पर ऐसी भारी [[भुखमरी]] देखी जा सकती है जिसका अनुभव पहले कभी नहीं किया गया है।<ref>[http://europe.theoildrum.com/node/2225 एग्रीकल्चर मीट्स पीक ऑयल]</ref> पानी की कमी की समस्या जो अनेक छोटे देशों में खाद्यान्नों के भारी आयात को पहले से बढ़ावा दे रही है, यह जल्दी ही बड़े देशों जैसे कि [[चीन]] या [[भारत]] में भी यही स्थिति ला सकती है।<ref>[http://www.atimes.com/atimes/South_Asia/HG21Df01.html एशिया टाइम्स ऑनलाइन:: दक्षिण एशिया न्यूज़ - इंडिया ग्रोज़ ए ग्रेन क्राइसिस]</ref> शक्तिशाली डीजल और बिजली के पम्पों के व्यापक अति-उपयोग के कारण अनेक देशों (उत्तरी चीन, अमेरिका और भारत सहित) में जल स्तर घटता जा रहा है। [[पाकिस्तान]], [[ईरान]] और [[मेक्सिको]] अन्य प्रभावित देशों में शामिल हैं। यह अंततः पानी की कमी और अनाज फसल में कटौती करने का कारण बनेगा. यहाँ तक कि अपने जलवाही स्तरों की अत्यधिक पम्पिंग के साथ चीन ने एक अनाज घाटा विकसित किया है जो अनाज की कीमतों पर दबाव बढाने में योगदान करता है। इस सदी के मध्य तक दुनिया भर में पैदा होने वाले तीन बिलियन लोगों में से अधिकांश के ऐसे देशों में जन्म लेने की संभावना है जो पहले से ही पानी की कमी का सामना कर रही है।
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== अकाल के लक्षण ==
अकाल [[उप-सहारा अफ़्रीका|उप-सहाराई अफ्रीकी]] देशों को सबसे अधिक बुरी तरह से प्रभावित करता है लेकिन खाद्य संसाधनों की अत्यधिक खपत, भूजल की अत्यधिक निकासी, युद्ध, आंतरिक संघर्ष और आर्थिक विफलता के साथ अकाल दुनिया भर के लिए एक समस्या बनी हुई है जिसका सामना सैकड़ों लाख लोगों को करना पड़ता है।<ref>[http://www.csmonitor.com/2007/0724/p01s01-wogi.html राइजिंग फ़ूड प्राइस कर्ब एड टू ग्लोबल पूअर]</ref> इस तरह के अकाल बड़े पैमाने पर कुपोषण और दरिद्रता का कारण बनते हैं; 1980 के दशक में इथियोपिया के अकाल में मरने वालों की संख्या अत्यधिक थी, हालांकि 20वीं सदी के एशियाई अकालों में भी व्यापक स्तर पर लोगों की मौतें हुई थीं। आधुनिक अफ्रीकी अकालों की पहचान व्यापक स्तर के अभाव और कुपोषण के साथ विशेष कर छोटे बच्चों की मृत्यु दर में वृद्धि से होती है।
प्रतिरक्षण सहित राहत की प्रौद्योगिकियों ने जन स्वास्थ्य अवसंरचना, सामान्य खाद्य राशन और कमजोर बच्चों के लिए पूरक भोजन की व्यवस्था में सुधार किया है, इससे अकालों के मृत्यु दर संबंधी प्रभावों में अस्थायी रूप से कमी आयी है, जबकि उनके आर्थिक परिणामों को अपरिवर्तित छोड़ दिया गया है और खाद्य उत्पादन क्षमता के सापेक्ष एक क्षेत्रीय जनसंख्या के एक बहुत बड़े अंतर्निहित मुद्दे को हल नहीं किया गया है। मानवीय संकट भी नरसंहार अभियानों, गृह युद्धों, शरणार्थियों के प्रवाह और चरम हिंसा तथा साम्राज्य के पतन के प्रकरणों से उत्पन्न होते हैं जिससे प्रभावित आबादी के बीच अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है।
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भुखमरी और अकाल का खात्मा करने के लिए दुनिया के नेताओं द्वारा बार-बार दोहराए गए कथित इरादों के बावजूद अकाल अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर भागों में एक चिरकालिक खतरा बना हुआ है। जुलाई 2005 में फैमिन अर्ली वार्निंग सिस्टम्स नेटवर्क ने [[नाइजर.|नाइजीरिया]] के साथ-साथ [[चाड]], [[इथियोपिया]], दक्षिण सूडान, [[सोमालिया]] और [[ज़िम्बाबवे|जिम्बाब्वे]] को आपात स्थिति का लेबल दिया था। जनवरी 2006 में संयुक्त राष्ट्र के [[संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन|खाद्य एवं कृषि संगठन]] ने चेतावनी दी कि गंभीर सूखे और सैन्य संघर्ष के संयुक्त प्रभाव के कारण सोमालिया, [[कीनिया|केन्या]], [[जिबूती]] और इथियोपिया में 11 मिलियन लोग भुखमरी के कगार पर थे। [http://www.fao.org/newsroom/en/news/2006/1000206/index.html ] 2006 में अफ्रीका में सबसे गंभीर मानवीय संकट [[सूडान]] के दारफुर क्षेत्र में था।
कुछ लोगों का मानना था कि [[हरित क्रांति]] 1970 और 1980 के दशक में अकाल का एक उपयुक्त जवाब था। हरित क्रांति की शुरुआत 20वीं सदी में अधिक-उपज वाले फसलों के संकर किस्मों के साथ हुई थी। 1950 और 1984 के बीच जब [[हरित क्रांति]] ने दुनिया भर में कृषि का नक्शा बदल दिया, विश्व अनाज उत्पादन में 250% की वृद्धि
फ्रांसिस मूर लैपे जो बाद में इंस्टिट्यूट फॉर फ़ूड एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (फ़ूड फर्स्ट) के सह-संस्थापक बने, उन्होंने ''डाइट फॉर ए स्मॉल प्लानेट'' (1971) में यह तर्क दिया कि शाकाहारी आहार मांसाहारी आहारों की तुलना में उन्हीं संसाधनों के साथ एक बड़ी आबादी के लिए भोजन प्रदान कर सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बात है कि आधुनिक अकालों की स्थिति को कभी-कभी गुमराह आर्थिक नीतियों, कुछ ख़ास आबादी को निर्धन बनाए या हाशिये में रखने के लिए बनाए गए राजनीतिक डिजाइन या युद्ध के कृत्यों द्वारा बिगाड़ दिया जाता है, राजनीतिक अर्थशास्त्रियों ने उन राजनीतिक परिस्थितियों की जांच की है जिसके तहत अकाल को रोका जा सकता है। अमर्त्य सेन {{#tag:ref|Sen is known for his assertion that famines do not occur in democracies in much the same way that [[Adam Smith]] is associated with the "[[invisible hand]]" and [[Joseph Schumpeter]] with "[[creative destruction]]".{{sfn|Massing|2003|p=1}}|group=note}} कहते हैं कि भारत में मौजूद उदारवादी संस्थाओं के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी चुनाव और एक मुक्त प्रेस ने आजादी के बाद से देश में अकाल को रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। एलेक्स डी वाल ने शासकों और जनता के बीच "राजनीतिक अनुबंध" पर ध्यान केंद्रित करने के लिए यह सिद्धांत विकसित किया है जो अकाल को रोकना सुनिश्चित करता है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि अफ्रीका में ऐसे राजनीतिक अनुबंधों की दुर्लभता और यह खतरा कि अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियां राष्ट्रीय सरकारों से अकालों के लिए जवाबदेही की स्थिति को हटाकर उन अनुबंधों को कमजोर कर
=== अकाल के प्रभाव ===
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[[पश्चिम]] में पायी जाने वाली आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों जैसे कि [[नाइट्रोजन]] उर्वरकों और कीटनाशकों को [[एशिया]] में लाने के प्रयासों को [[हरित क्रांति]] कहा गया जिसके परिणाम स्वरूप कुपोषण में उसी तरह की कमी आयी जैसा कि पहले पश्चिमी देशों में देखा गया था। यह मौजूदा [[अधोसंरचना|बुनियादी ढांचे]] और संस्थाओं की वजह से संभव हुआ था जिनकी आपूर्ति [[अफ़्रीका|अफ्रीका]] में काफी कम है जैसे कि सड़कों या सार्वजनिक [[बीज]] कंपनियों की एक प्रणाली जो बीजों को उपलब्ध कराती है।<ref>http://www.nytimes.com/2007/10/10/world/africa/10rice.html?_r=1&hp&oref=slogin In Africa, prosperity from seeds falls short</ref> खाद्य असुरक्षा वाले क्षेत्रों में मुफ्त या अनुदानिक [[उर्वरक|उर्वरकों]] तथा [[बीज|बीजों]] को उपलब्ध कराने जैसे उपायों के जरिये [[किसान|किसानों]] की सहायता करने से फसल कटाई में वृद्धि होती है और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होती हैं।<ref name="newyorktimes" /><ref>[http://www.csmonitor.com/2008/0618/p07s01-woaf.html हाउ ए कन्यान विलेज ट्रिपलड इट्स कोर्न हार्वेस्ट]</ref>
[[विश्व बैंक]] और कुछ धनी देश उन देशों पर दबाव डालते हैं जो निजीकरण के नाम पर रियायती कृषि सामग्रियों जैसे कि उर्वरक में कटौती करने या इसे ख़त्म करने के क्रम में सहायता प्राप्त करने के लिए उन पर निर्भर करते हैं, इसके बावजूद कि [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] और [[यूरोप]] ने अपने स्वयं के किसानों को व्यापक रूप से रियायत दी है।<ref name="newyorktimes" /><ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/africa/4678592.stm जाम्बिया: फर्टाइल बट हंगरी]</ref> अगर ज्यादातर नहीं तो कई किसान इतने गरीब होते हैं कि वे बाजार के मूल्यों पर उर्वरकों को खरीदने की स्थिति में नहीं होते हैं।<ref name="newyorktimes" /> उदाहरण के लिए, [[मलावी]] के मामले में इसकी 13 मिलियन आबादी में से लगभग पांच मिलियन लोगों को निरंतर आपातकालीन खाद्य सहायता की जरूरत पड़ती है। हालांकि सरकार द्वारा अपनी नीति को बदलने और उर्वरक तथा बीज के लिए रियायतें देने के बाद किसानों ने 2006 और 2007 में रिकॉर्ड-तोड़ मक्के की फसल का उत्पादन किया जिससे उत्पादन 2005 में 1.2 मिलियन की तुलना में बढ़कर 2007 में 3.4 मिलियन हो
=== अकाल राहत ===
{{Main|famine relief}}
[[सूक्ष्म पोषक तत्व|सूक्ष्म पोषक]] तत्वों की कमी की व्यवस्था सुदृढ़ खाद्य पदार्थों के माध्यम से की जा सकती है।<ref name="hiddenhunger">[http://www.nytimes.com/2009/05/24/opinion/24kristof.html दी हिडेन हिंगर]</ref> सुदृढ़ खाद्य पदार्थों जैसे कि मूंगफली मक्खन के पाउच (प्लम्पी 'नट को देखें) और स्पाइरूलीना ने मानवीय आपातकाल की स्थितियों में आपातकालीन भोजन की व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है क्योंकि इन्हें पैकेटों से सीधे खाया जा सकता है, इनके लिए पैकेट प्रशीतन या दुर्लभ स्वच्छ पानी के साथ सम्मिश्रण की आवश्यकता नहीं होती है, इन्हें वर्षों तक भंडारित किया जा सकता है और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इन्हें अत्यंत गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भी दिया जा सकता है।<ref name="BBC">[http://news.bbc.co.uk/2/hi/business/8114750.stm फिर्म्स टारगेट न्यूट्रीशन फॉर दी पूअर]</ref> संयुक्त राष्ट्र के 1974 के विश्व खाद्य सम्मेलन में स्पाइरूलीना को 'भविष्य के लिए सबसे अच्छा भोजन' घोषित किया गया था और इसकी प्रत्येक 24 घंटे में तैयार होने वाली फसल इसे कुपोषण को मिटाने के लिए एक शक्तिशाली साधन बनाती है। इसके अलावा बच्चों में [[अतिसार|दस्त]] के इलाज के लिए पूरक चीजों जैसे कि [[विटामिन ए]] के कैप्सूल या [[जस्ता|जिंक]] की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है।<ref name="time">http://www.time.com/time/magazine/article/0,9171,1914655,00.html Can one pill tame the illness no one wants to talk about?</ref>
सहायता समूहों के बीच एक बढ़ती समझ यह है कि भूखों को सहायता प्रदान करने के लिए खाद्य सामग्री की बजाय नगदी या नगदी वाउचर देना एक किफायती, तेज और अधिक प्रभावी तरीका है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां खाद्य सामग्री उपलब्ध होती है लेकिन इसे खरीद पाना संभव नहीं होता है।<ref name="csmonitor">[http://www.csmonitor.com/2008/0604/p01s02-woaf.html यूएन एड डिबेट: गिव कैश नॉट फ़ूड?]</ref> 'संयुक्त राष्ट्र का विश्व खाद्य कार्यक्रम जो खाद्य सामग्री का सबसे बड़ा गैर-सरकारी वितरक है, इसने घोषणा की थी कि यह कुछ क्षेत्रों में खाद्य सामग्री की बजाय नगदी और वाउचरों का वितरण करना शुरू करेगा जिसे डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी निदेशक जोसेट शीरन ने खाद्य सहायता के क्षेत्र में एक "क्रांति"
हालांकि एक सूखे की स्थिति में काफी दूर रहने वाले और बाजारों तक सीमित पहुंच रखने वाले लोगों के लिए खाद्य सामग्री प्रदान करना सहायता पहुंचाने का एक सबसे उपयुक्त तरीका हो सकता है।<ref name="csmonitor" /> फ्रेड क्यूनी ने कहा था कि किसी राहत ऑपरेशन की शुरुआत में जिंदगियां बचाने के मौके उस स्थिति में काफी कम हो जाते हैं जब खाद्य सामग्री का आयात किया जाता है। जब तक यह देश में आता है और लोगों तक पहुंचता है, कई लोग मौत के शिकार हो चुके होते हैं।"<ref>एंड्रयू एस. नेट्सियोस (अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए प्रशासक अमेरिका एजेंसी)</ref> अमेरिकी कानून जिसके लिए आवश्यकता यह है कि खाद्य सामग्री भूखों के रहने के स्थान की बजाय अपने देश से खरीदी जाए, यह अप्रभावशाली है क्योंकि जो राशि खर्च की जाती है उसका लगभग आधा हिस्सा परिवहन में चला जाता है।<ref>[http://www.newsweek.com/id/160075 लेट ईट माइक्रोन्यूट्रीशन्स]</ref> फ्रेड क्यूनी ने आगे ध्यान दिलाया कि "हाल के प्रत्येक अकाल के अध्ययन से पता चला है कि खाद्य सामग्री देश में ही उपलब्ध थी - हालांकि यह हमेशा खाद्य सामग्री की कमी वाले निकटवर्ती क्षेत्र में नहीं होता है" और "इसके बावजूद कि स्थानीय मानकों के अनुसार कीमतें इतनी अधिक होती हैं कि गरीब लोग इसे खरीद नहीं सकते, आम तौर पर किसी दाता के लिए संचित खाद्य सामग्री को विदेश से आयात करने की बजाय बढ़ी हुई दरों में खरीदना कहीं अधिक किफायती होगा."<ref>मेमोरेंडम टू फोर्मर रिप्रजेंटेटिव स्टीव सोलार्ज़ (यूनाइटेड स्टेट्स, डेमोक्रेटिक पार्टी, न्यूयॉर्क) - जुलाई 1994</ref>
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=== अफ्रीका में अकाल ===
[[चित्र:Niger childhood malnutrition 16oct06.jpg|thumb|right|2005 के अकाल के दौरान नाइजर में कुपोषित बच्चे।]]
22वीं सदी ई.पू. के मध्य में एक अचानक और अल्पकालिक जलवायु परिवर्तन हुआ जो कम वर्षा का कारण बना जिसके परिणाम स्वरूप ऊपरी मिस्र में कई दशकों तक सूखा पड़ा
फर्स्ट इंटरमीडिएट पीरियड का एक विवरण कहता है, "संपूर्ण ऊपरी मिस्र में भूख की वजह से मौतें हो रही थीं और लोग अपने बच्चों को खा रहे थे।" 1680 के दशक में अकाल का विस्तार संपूर्ण सहेल में हो गया था और 1738 में [[टिम्बकटू]] की आधी आबादी अकाल मृत्यु का शिकार हो गई थी।<ref>[http://ag.arizona.edu/~lmilich/desclim.html लेन मिलिच: एन्थ्रोपोगेनिक डेजर्टफिकेशन वर्सेज 'नेचुरल' क्लाइमेट ट्रेंड्स]</ref> [[मिस्र]] को 1687 और 1731 के बीच छः अकालों का सामना करना करना पड़ा था।<ref>{{cite book|name=Donald Quataert|title=The Ottoman Empire, 1700-1922|publisher=Cambridge University Press|year=2005|isbn=0521839106|page=115}}</ref> वह अकाल जिसने 1784 में मिस्र को विपदा में डाला उसमें इसकी लगभग छठे हिस्से की आबादी को अपनी जान गंवानी पड़ी.<ref>"[http://www.sciencedaily.com/releases/2006/11/061121232204.htm आइसलैंडिक वोल्कानो कौज्ड हिस्टोरिक इन इजिप्ट, स्टडी शॉज]". ''साइंसडेली.'' 22 नवम्बर 2006</ref> 18वीं सदी के अंत में<ref>"''[http://books.google.com/books?id=etf7xP841skC&pg=PA25&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false मेडिसिन एंड पावर इन ट्यूनीशिया, 1780-1900]'' ". नैन्सी एलिजाबेथ गल्लाघेर (2002). पी.25. कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस. आईएसबीएन 0521529395</ref> और इससे भी अधिक उन्नीसवीं की शुरुआत में [[मग़रेब]] को प्लेग और अकाल के संयुक्त रूप से घातक खतरे का सामना करना पड़ा.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=_dyeFP5Hyc4C&pg=PA309&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false बार्बरी कॉर्सेर: दी एंड ऑफ ए लिजेंड, 1800-1820]'' ". डैनियल पंज़क (2005). पी.309. आईएसबीएन 9004125949</ref> त्रिपोली और ट्यूनिस ने क्रमशः 1784 और 1785 में अकाल का सामना किया।<ref>"''[http://books.google.com/books?id=c00jmTrjzAoC&pg=PA651&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false एन इकॉनोमिक एंड सोशल हिस्ट्री ऑफ दी ऑटोमन एम्पायर]'' ". सुरैया फरोक्ही, हलील इनाल्किक, डोनाल्ड क्वाटेर्ट (1997). कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पी.651. आईएसबीएन 0521574552</ref>
जॉन इलिफे के अनुसार, "16वीं सदी के [[अंगोला]] के पुर्तगाली अभिलेख दर्शाते हैं कि एक औसतन हर सत्तर साल के बाद एक भीषण अकाल पड़ा है; जिसके साथ-साथ महामारी के रोग की वजह से इसकी एक तिहाई या आधी आबादी काल के गाल में समा गयी होगी जिससे एक पीढ़ी का जनसांख्यिकीय विकास नष्ट हो गया और उपनिवेशवादियों को वापस नदी घाटियों की और रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा."<ref>जॉन लीफ (2007) [http://books.google.com/books?id=bNGN2URP_rUC&pg=&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false ''अफ्रीकन्स: दी हिस्ट्री ऑफ ए कॉनटिनेंट'' ]. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पी.68. आईएसबीएन 0521682975</ref>
अफ्रीकी अकाल के इतिहासकारों ने [[इथियोपिया]] में बार-बार हुए अकाल को प्रलेखित किया है। संभवतः सबसे बुरी स्थितियां 1888 और उसके बाद के वर्षों में उत्पन्न हुई थीं क्योंकि [[इरीट्रिया|इरिट्रिया]] में संक्रमित पशुओं द्वारा फैलाया गया एपिज़ोओटिक रिंडरपेस्ट दक्षिण दिशा की ओर फ़ैलाने लगा और अंततः दूर [[दक्षिण अफ़्रीका|दक्षिण अफ्रीका]] तक पहुंच
अपनी एक-तिहाई आबादी की जान गंवानी पड़ी थी।<ref>[http://www.ccb.ucar.edu/ijas/ijasno2/georgis.html एल नीनो एंड ड्राउट अर्ली वॉर्निंग इन इथियोपिया]</ref> [[सूडान]] में इन पहलुओं और महदिस्ट शासन द्वारा लगाये गए अपकर्षणों के मामले में वर्ष 1888 को इतिहास के सबसे भीषण अकाल के रूप में याद किया जाता है। औपनिवेशिक "शान्ति स्थापन" के प्रयास अक्सर गंभीर अकाल का कारण बनते हैं, उदाहरण के लिए जैसा कि 1906 में तंगन्यिका में माजी माजी विद्रोह के दमन के साथ हुआ था। कपास जैसी नकदी फसलों की शुरुआत और इन फसलों को उगाने के लिए किसानों पर दबाव डालने के जबरन प्रयासों ने भी उत्तरी नाइजीरिया जैसे कई क्षेत्रों में किसानों को गरीब बना दिया जिसके कारण 1913 में गंभीर सूखे का सामना होने पर अकाल की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना अधिक से अधिक हो गयी थी।
हालांकि 20वीं सदी के मध्य भाग के लिए कृषकों, अर्थशास्त्रियों और भूगोलविदों ने अफ्रीका को अकाल के प्रति संवेदनशील नहीं माना था (वे एशिया को लेकर कहीं अधिक चिंतित थे).{{Citation needed|date=November 2007}} इसके कई उल्लेखनीय जवाबी-उदाहरण थे जैसे कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान [[रवांडा]] का अकाल और 1949 का [[मलावी]] का अकाल, लेकिन ज्यादातर अकाल स्थानीयकृत और अल्पकालिक [[wikt:food shortage|खाद्य पदार्थों की कमी]] की समस्या से ग्रस्त थे। अकाल की काली छाया सिर्फ 1970 के दशक की शुरुआत में फिर से पड़ी जब [[इथियोपिया]] और पश्चिम अफ्रीकी सहेल को सूखे और अकाल का सामना करना पड़ा. उस समय का इथियोपिया का अकाल इस देश में सामंतवाद के संकट के साथ बारीकी से जुड़ा हुआ था और उसी दौरान यह सम्राट हैले सेलास्सी के पतन का कारण बनने में सहायक सिद्ध हुआ। सहेलियाई अकाल अफ्रीका में चारागाहों के धीरे-धीरे बढ़ रहे संकट के साथ जुड़ा हुआ था जिसमें पिछली दो पीढ़ियों में जीवन यापन के एक व्यावहारिक मार्ग के रूप में पशुपालन में कमी देखी गयी थी।
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हाल के उदाहरणों में 1970 के दशक का सहेल का सूखा, 1973 और 1980 के दशक के मध्य में[[इथियोपिया]] का अकाल, 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में और 1990 तथा 1998 में [[सूडान]] का अकाल शामिल है। [[युगांडा]] के करामोजा में 1980 का अकाल मृत्यु दर के मामले में इतिहास के सबसे भीषण अकालों में से एक था। इसमें 21% आबादी की मौत हो गयी थी जिसमें 60% नवजात शिशु शामिल थे। [http://www.unu.edu/unupress/food/8F091e/8F091E05.htm ]
अक्टूबर 1984 में दुनिया भर के टेलीविजन रिपोर्टों में भूख से मर रहे [[इथियोपिया|इथियोपियाई]] लोगों के फुटेज दिखाए गए थे जिनकी स्थिति कोरेम शहर के निकट स्थित एक खाद्य वितरण केंद्र के आसपास केंद्रित थी। [[बीबीसी]] के न्यूज़रीडर माइकल बुअर्क ने 23 अक्टूबर 1984 को इस त्रासदी की एक दिल को छू लेने वाली कमेंट्री प्रस्तुत की थी जिसका वर्णन उन्होंने एक "बाइबलिकल अकाल" के रूप में किया था। इसने एक बैंड ऐड एकल को प्रेरित किया जिसका आयोजन बॉब गेल्डोफ़ द्वारा किया गया और इसमें 20 से अधिक अन्य पॉप सितारों को दिखाया
==== सन 2000 के बाद के मामले ====
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उन्होंने नाइजर, चाड, उत्तरी बुर्किना फासो और उत्तरी नाइजीरिया जैसे देशों के बारे में बताया कि
2009/2010 में खेती के मौसम में अनियमित बारिश के परिणाम स्वरूप इन देशों में खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आ गयी है।
उन्होंने कहा कि सहायता जुटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और शेष अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता
"अगर हम काफी तेजी से, काफी पहले से काम करते हैं तो अकाल की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो एक गंभीर खतरा बना रहेगा. "
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=== एशिया में अकाल ===
==== कंबोडिया ====
राजधानी नाम पेन्ह में 1975 में खेमर रूज ने प्रवेश कर [[कम्बोडिया]] का नियंत्रण अपने पास ले लिया। [[पोल पोट|पोल पाट]] के नेतृत्व में नई सरकार ने [[साम्यवाद|कम्युनिज्म]] के बुनियादी आदर्शों को को लागू करते हुए सभी शहरी आवासियों को देहाती क्षेत्रों में सामुदायिक खेतों और नागरिक कार्यों की परियोजनाओं के लिए काम करने हेतु भेज
==== चीन ====
{{see also|Great Chinese Famine }}
[[चित्र:Engraving-FamineRelief-China.gif|thumb|right|चीनी अकाल राहत में लगे अधिकारी, 19 वीं सी. खुदा हुआ चित्र]]
चीनी विद्वानों ने ईसा पूर्व 108 से 1911 तक किसी न किसी प्रान्त में हुई 1828 अकाल की घटनाओं की गणना की है - जो औसतन लगभग एक अकाल प्रति वर्ष है।<ref>[http://links.jstor.org/sici?sici=1473-799X%28192705%296%3A3%3C185%3ACLOF%3E2.0.CO%3B2-F&size=LARGE&origin=JSTOR-enlargePag चीन: लैंड ऑफ फैमिन]</ref> 1933 से 1937 के बीच हुए एक भयंकर अकाल में 6 मिलियन चीनी मर गए थे। चार अकाल जो 1810, 1811, 1846 और 1849 में आये थे, उनके लिए कहा जाता है कि उनमे कम से कम 45 मिलियन व्यक्ति मारे गए थे।<ref>[http://www.mitosyfraudes.org/Polit/Famines.html फियर्फुल फैमिन्स ऑफ दी पास्ट]</ref> ताइपिंग बगावत के कारण 1850 से 1873 की अवधि में, सूखे व अकाल की वजह से चीन की आबादी में 60 मिलियन से अधिक की कमी आई.<ref>[http://www.wsu.edu/~dee/CHING/TAIPING.HTM चिंग चाइना: डी टैपिंग रिबेलियन]</ref> चीन के क्विंग वंश की [[अफसरशाही|नौकरशाही]] ने अकाल कम करने पर विस्तृत रूप से ध्यान दिया उसे एल नीनो - दक्षिण से सम्बन्धित सूखे व बाढ़ के कारण होने वाली अकाल घटनाओं को टालने का श्रेय
उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब एक तनावग्रस्त साम्राज्य राज्य प्रबंधन से हट गया और अनाज को सीधे ही आर्थिक दानशीलता के लिए भेजा जाने लगा, तब वह प्रणाली समाप्त हो गई। इस प्रकार तोंगाज़ी पुनर्स्थापना के अंतर्गत 1867-68 के अकाल से सफलतापूर्वक निजात पा लिया गया, लेकिन 1877-78 में विशाल उत्तरी चीन में जो अकाल आया वह उत्तरी चीन में आये सूखे के कारण आया महाविनाश था। [[शांशी|शांक्सी]] प्रांत में आबादी उल्लेखनीय रूप से कम होने लगी, क्योंकि अनाज ख़त्म हो गया था और भूखे लोगों ने हताशा में जंगलों, खेतों व अपने घरों को भी अनाज के लिए उजाड़ दिया था। अनुमानित मृत्यु संख्या 9.5 से 13 मिलियन व्यक्तियों की है।<ref>[http://www.fao.org/docrep/U8480E/U8480E05.htm डायमेन्शन्स ऑफ नीड - पीपुल एंड पॉपुलेशन्स एट रिस्क]. ''फ़ूड एंड अग्रिक्ल्च्र्र ओर्ग्निसेशन ऑफ़ दि यूनाइटेड नेशन्स'' (FAO).</ref> (माइक डेविस, ''लेट विक्टोरियन होलोकास्ट्स'').
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{{Main|Great Leap Forward}}
सबसे बड़ा अकाल 20 वीं सदी का, बल्कि सभी समय के दौर का, चीन का 1958-61 का ग्रेट लीप फॉरवर्ड अकाल रहा है। इस अकाल का तात्कालिक कारण था माओ जेडोंग द्वारा चीन को कृषि राष्ट्र से एक औद्यगिक राष्ट्र के रूप में मात्र एक बड़ी छलांग के द्वारा दुर्भाग्य पूर्ण ढंग से रूपांतरित कर देने का प्रयास. पूरे चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के केडर आग्रह करते थे कि किसानों को अपने खेतों को सामूहिक खेती के लिए त्याग देना चाहिए और छोटे कारखानों में स्टील का उत्पादन आरम्भ कर देना चाहिए, इस प्रक्रिया में कई बार उनके खेती के औजार भी पिघल जाते थे। सामूहिकीकरण ने कृषि में श्रम व स्त्रोतों को निरुत्साहित किया, विकेन्द्रित धातु उत्पादन की अवास्तविक योजनाओं ने आवश्यक श्रम को क्षति पहुंचाई, मौसम की प्रतिकूल स्थितियों व सामुदायिक भोजन कक्षों ने उपलब्ध खाद्यान्न की फिजूल खपत को प्रोत्साहित किया। (देखें चांग जी व वेन जी (1997) "[http://scholar.google.com/scholar?q=Communal%20dining%20and%20the%20Chinese%20Famine%201958-1961&ie=UTF-8&oe=UTF-8&hl=en&btnG=Search कम्युनल डायनिंग एंड द चायनीज फेमिन 1958-1961]"). सूचना पर केन्द्रित नियंत्रण व पार्टी केडर पर अत्यधिक दबाव की स्थिति ऐसी थी कि केवल सही खबर की रिपोर्ट ही दी जाती थी - जैसे कि उत्पादन लक्ष्य को पूरा कर लिया गया या उत्पादन उससे भी अधिक रहा- बढ़ते विनाश की सूचनाओं को प्रभावी ढंग से दबा दिया जाता था। अकाल की स्थिति की जानकारी जब नेतृत्व को हुई तब प्रतिसाद के रूप में उसने थोड़ा काम किया और इस महाविनाश पर किसी भी प्रकार की चर्चा करने पर अपना प्रतिबन्ध जारी
अनुमान लगे जाता है कि 1958-61 के अकाल से मृत्यु संख्या 36 से बढ़ कर करीब 45 मिलियन की रही,<ref>यांग, जिशेंग (2008). ''टोम्बस्टोन (मू बी - ज्होंग ग्यू लियू सही निआन दिया डा जी हुआंग जी शी).'' कोस्मोस बुक्स (तियन डी टु शू), [[हांग कांग|हांगकांग]].</ref><ref>डिकोटर, फ्रैंक (2010). ''[http://books.google.com/books?id=7KD4QwAACAAJ&printsec=frontcover&dq=editions:ISBN1408812193 माओ ग्रेट फैमिन: दी हिस्ट्री ऑफ चाइनाज मोस्ट डेवास्टेटिंग काटास्ट्रोफी, 1958-62].'' वाकर एंड कंपनी. आईएसबीएन 0802777686 पी. x</ref> साथ में 30 मिलियन की संख्या उन जन्मों की थी जिन्हें रद्द कर दिया गया या लंबित कर दिया
==== भारत ====
{{Main|Famine in India}}
[[मॉनसून|मानसून]] वर्षा पर लगभग पूरी तरह से निर्भर रहने से फसल की असफलता के कारण [[भारत]] भी काफी असुरक्षित रहा और इससे अकाल की स्थिति गंभीर होती
[[चित्र:Starved child.jpg|thumb|190px|1972, भारत में अत्यधिक भुखमरी से पीड़ित एक बच्चा।]]
रमेश चन्दर दत्त 1900 में व वर्तमान काल के विद्वान जैसे कि [[अमर्त्य सेन]] सहमत हैं कि इतिहास में दर्ज कुछ अकाल तो असमान वर्षा व उन ब्रिटिश आर्थिक व प्रशासनिक योजनायों का संयुक्त प्रतिफल थे, जिसमें 1857 से स्थानीय कृषि भूमि का कब्ज़ा कर विदेशी स्वामित्व के वृक्षारोपण के लिए उसे रूपांतरित करना, आंतरिक व्यापार पर प्रतिबन्ध, [[अफ़्गानिस्तान|अफगानिस्तान]] के अभियान के लिए ब्रिटेन को सहारा देने के लिए भारतीय नागरिकों पर भारी कर (देखें सेकण्ड एंग्लो -अफगान वार), मुद्रास्फीति कार्य जिससे कि खाद्यान्न की कीमतों में वृद्धि और भारत से ब्रिटेन में प्रमुख आहार का उल्लेखनीय मात्रा में निर्यात सम्मिलित थे। (दत्त,1900 एवं 1902, श्रीवास्तव 1968, सेन 1982, भाटिया 1985). कुछ ब्रिटिश नागरिकों जैसे कि विलियम डिग्बी ने योजना सुधारों व अकाल राहत कार्यों के लिए आन्दोलन किया लेकिन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड लायटन ने इन परिवर्तनों का विरोध किया क्योंकि उनका अनुमान था कि इससे भारतीय कर्मियों में कामचोरी को प्रोत्साहन मिलेगा. बंगाल का प्रथम अकाल जो 1770 में हुआ उसमें अनुमानतः लगभग 10 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी, जो उस समय के बंगाल की आबादी का एक तिहाई था। अन्य उल्लेखनीय अकालों में सम्मिलित हैं 1876-78 का बड़ा अकाल जिसमें 6.1 मिलियन से 10.3 मिलियन लोगों की मौत हुई<ref name="mikedavis">डेविस, माइक. लेट विक्टोरियन होलोकाउस्ट्स. 1. वर्सो: 2000. आईएसबीएन 1-85984-739-0 पृष्ठ 7</ref> व भारतीय अकाल 1899-1900 का जिससे 1.25 से 10 मिलियन व्यक्तियों की मौत
अकाल आयोग ने 1880 में अवलोकनों के द्वारा इस तथ्य को पुष्ट किया कि अकालों के लिए खाद्यान्न कमी उतनी जवाबदेह नहीं है जितना कि खाद्यान्न वितरण का प्रबंधन है। उन्होंने पाया कि ब्रिटिश भारत के प्रत्येक प्रान्त में जिसमें [[म्यान्मार|बर्मा]] भी शामिल था, वहां खाद्यान्न का आधिक्य था और वार्षिक आधिक्य 5.6 मिलियन टन था (भाटिया 1970). उस दौरान चावल व अन्य अनाजों का भारत से वार्षिक निर्यात लगभग एक मिलियन टन था।
वर्ष 1966 में [[बिहार]] भी अकाल की कगार पर था, जब अकाल से निबटने के लिए [[संयुक्त राज्य अमेरिका|यूनाइटेड स्टेट्स]] ने 900,000 टन अनाज आवंटित किया था। भारत में तीन वर्षों के सूखे के परिणाम स्वरूप लगभग 1.5 मिलियन मौतें भूख व रोगों के कारण
==== जापान ====
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==== मध्य पूर्व ====
उदहारण के रूप में [[इराक़|इराक]] ने 1801, 1827 व 1831 में अकालों का सामना किया। [[अनातोलिया]] में 1873-74 में एक बड़ा अकाल आया जिसमें सैकड़ों- हजारों व्यक्तियों की मौत
ऐसा विश्वास किया जाता है कि 1870-1871 में हुए बड़े पर्शियन अकाल में पर्शिया (आज का इरान) में 1.5 मिलयन व्यक्तियों की मौत हुई जो पर्शिया की कुल अनुमानित आबादी 6-7 मिलियन के 20-25 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है।<ref>{{Cite book
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</ref>
[[लेबनान]] विदेश से खाद्यान्न आयातों पर अत्यधिक निर्भर रहा, इसलिए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वह देश, अनाज के मामले में अधिक नाजुक स्थिति में था। युद्ध के समाप्त होने पर अकाल में लेबनान की 4,50,000 आबादी में से 100,000 व्यक्तियों की मृत्यु
==== उत्तर कोरिया ====
{{main|North Korean famine}}
उत्तर कोरिया में 1990 के दशक के मध्य में अभूतपूर्व बाढ़ों के कारण अकाल
==== वियतनाम ====
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==== पश्चिमी यूरोप ====
{{See|Medieval demography|Crisis of the Late Middle Ages}}
सन् 1315 से 1317 (या 1322 तक) का भीषण अकाल पहला बड़ा खाद्य संकट था जिसने यूरोप को 14वीं शताब्दी में घेरे
[[चित्र:Goya-Guerra (59).jpg|thumb|गोया के त्रासदी युद्ध की एक नक्काशी, भूख से मर रही महिलाओं को दिखाता हुआ, 1811-1812 में मैड्रिड से प्रेरित एक उत्कीर्णन.]]
17वीं शताब्दी का समय यूरोप में खाद्य उत्पादकों के लिए परिवर्तन का काल था। शताब्दियों तक वे सामंतवादी व्यवस्था में कृषि पर गुजारा करने वाले किसानों के रूप में रहे थे। वे अपने मालिकों के ऋणी थे, जिनके पास अपने किसानों द्वारा जोती गई जमीन के विशेषाधिकार थे। जागीर का मालिक वर्ष भर में उत्पादित फसल और पशुधन का एक भाग लेता था। किसान सामान्यतया कृषि खाद्य उत्पादन में किए गए काम को न्युनतम करने की कोशिश करते थे। उनके मालिक उन पर खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ही कम जोर डालते थे, जब आबादी बढ़ने लगी केवल तब किसानों ने खुद ही उत्पादन बढ़ाना शुरू कर
17वीं शताब्दी के दौरान पिछली शताब्दियों के प्रचलन को जारी रखते हुए [[बाज़ार|बाजार]]-चालित कृषि में बढ़ोतरी
कृषि पर गुजारा करने वाले किसान भी बढ़ते हुए [[कर|करों]] के कारण अपनी गतिविधियों को व्यवसायीकृत करने के लिए बाध्य हो गए। करों का भुगतान केंद्र सरकार को पैसों में करना होता था जिसने किसानों को उनकी फसल को बेचने हेतु बाध्य किया। कई बार उन्होंने औद्योगिक फसलों का उत्पादन किया, लेकिन उनकी खाद्य आवश्यकताओं और कर बाध्यताओं को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने हेतु उन्होंने कई रास्ते ढूंढ़े. किसानों ने इस नए धन को उपयोग निर्मित वस्तुएओं को खरीदने के लिए भी किया। कृषि और सामाजिक विकास ने खाद्य उत्पादन को बढ़ावा दिया जो पूरी 16वीं शताब्दी में अपना स्थान लेता रहा लेकिन सत्रहवीं शताब्दी में जब यूरोप ने सत्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में खुद को खाद्य उत्पादन के लिए विपरीत परिस्थिातियों में पाया तब यह प्रत्यक्ष रूप से और बढ़ गया – सोहलवीं शताब्दी के अंत में पृथ्वी के तापमान में गिरावट का दौर था।
1590 के दशक में कुछ निश्चित क्षेत्रों विशेष तौर पर नीदरलैंड को छोड़कर पूरे यूरोप में कई शताब्दियों का सबसे भीषण अकाल देखने को
अकाल बेहद अस्थिर करने वाली और विनाशकारी घटनाएं होती है। [[भुखमरी]] की संभावना ने लोगों को जोखिम भरे कदम उठाने हेतु बाध्य किया। जब खाद्य पदार्थों का अभाव नजर आने लगा तो वे अल्पकालीन उत्तर जीविता के लिए दीर्घकालीन समृद्धि से समझौता करने
एक अकाल अक्सर बाद के वर्षों में बीज की कमी या दिनचर्या में व्यवधान या श्रम की कमी के कारण अपने साथ कई कठिनाईया भी लेकर आता था। अकालों को अक्सर [[ईश्वर|दैवी]] कोप के रूप में समझा जाता था। अकालों को ईश्वर द्वारा पृथ्वी के लोगों को दिए गए उपहारों को वापस ले लेने के रूप में देखा जाता था। अकाल के रूप में ईश्वर के क्रोध से बचने के लिए विस्तृत जुलूस और धार्मिक कृत्य किए जाने
1590 के भीषण अकाल से अकालों के समय की शुरुआत हुई और 17वीं शताब्दी में इनमें कमी आई. जनसंख्या की तरह पूरे यूरोप में अनाज के दाम भी बढ़ गए थे। 1590 में विभिन्न क्षेत्रों में हुई खराब सिंचाई के कारण विभिन्न प्रकार के लोग असुरक्षित हो गए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती हुई श्रमिक संख्या भी असुरक्षित थी क्योंकि उनके पास खुद का भोजन नहीं था और एक खराब फसल के वर्ष में उनके पास खरीदने के लिए भी पर्याप्त धन नहीं था। कस्बों के श्रमिक भी खतरे में थे क्योंकि उनका वेतन भी अनाज की कीमत को पूरा करने के लिए अपर्याप्त था, वे खराब फसल के वर्ष में अक्सर कम मजदूरी प्राप्त करते थे क्योंकि धनी लोग अपनी उपलब्ध आय को अनाज खरीदने के लिए व्याय करते थे। अक्सर बेरोजगारी का परिणाम अनाज के दामों में वृद्धि के रूप में होता था जिस कारण शहरी गरीब लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती रहती थी।
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यूरोप के सभी क्षेत्र खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र इस दौरान अकाल से बुरी तरह प्रभावित हुए. नीदरलैंड जोकि अकाल के सबसे बुरे प्रभावों से बचने में सफल रहा था लेकिन 1590 का वर्ष वहां पर भी कठिन था। [[ऐम्स्टर्डैम|एम्सटर्डम]] अनाज व्यापार (बाल्टिक के साथ) जिसके लिए वास्तकविक अकाल नहीं घटा था, ने इस बात की गारंटी दी कि नीदरलैंड में हमेशा कुछ न कुछ खाने को होगा यद्यपि भुखमरी प्रबल थी।
इस समय नीदरलैंड के पास पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा व्यसायीकृत कृषि थी, कई औद्योगिक फसलें जैसे [[सन|फ्लैक्स]], हैम्प और होप्स उगाई जा रही थी। कृषि अधिक से अधिक विशिष्ट और कुशल हो गई थी। परिणामस्वरूप उत्पादकता और धन बढ़ा जिसने नीदरलैंड को नियमित खाद्य आपूर्ति बनाए रखने में मदद
सन 1620 के आसपास पूरे यूरोप में अकाल फैलने का दूसरा दौर दिखाई पड़ा. हालांकि पच्चीस बरस पहले के अकालों के मुकाबले आमतौर पर इनकी गंभीरता काफी कम थी, लेकिन फिर भी कई इलाकों में इन्होने काफी गंभीर रूप धारण कर लिया था। 1696 का [[फ़िनलैण्ड|फिनलैंड]] का भीषण अकाल, जो सन 1600 के बाद का संभवतः सबसे विनाशकारी अकाल था, ने उस देश की एक-तिहाई आबादी को मौत के मुंह में धकेल दिया था। {{PDFlink|[http://www.euro.who.int/document/peh-ehp/nehapfin.pdf]|589 [[Kibibyte|KiB]]<!-- application/pdf, 603384 bytes -->}}
1693 और 1710 के बीच [[फ़्रांस|फ्रांस]] में दो बड़े अकालों का प्रकोप आया और इसने 20 लाख से अधिक लोगों को खत्म कर
यहां तक कि [[स्कॉटलैंड]] को 1690 के दशक के अंत में भी अकाल झेलना पड़ा जिसके कारण स्कॉटलैंड के कुछ हिस्सों की आबादी में 15% की घटोत्तरी देखी गयी।<ref>{{cite book|last=Anderson|first=Michael|title=Population change in North-western Europe, 1750-1850|publisher=Macmillan Education|year=1988|isbn=0333343867|page=9}}</ref>
1695-96 के अकाल ने [[नॉर्वे]] की लगभग 10% जनसंख्या को खत्म कर
1740-43 के दौर में बेहद ठंडी सर्दियां और गर्मियों में भयानक सूखा देखा गया जिसकी वजह से पूरे यूरोप में अकाल फैला और मृत्यु दर में अचानक तेज बढ़ोत्तरी हो गई। (डेविस द्वारा लिखित, ''लेट विक्टोरियन होलोकास्ट'', पृष्ठ 281 में उल्लेखित) यह संभावना है कि 1740-41 की बेहद ठंडी सर्दी, जिसकी वजह से उत्तरी यूरोप में बड़े पैमाने पर अकाल फैला, उसका मूल कारण एक ज्वालामुखी विस्फोट रहा
महा अकाल, जो 1770 से 1771 तक चला, ने चेक गणराज्या की आबादी के लगभग दसवें हिस्से, या 250,000 निवासियों को खत्म कर दिया और ग्रामीण इलाकों में बदलाव की अलख जगाई जिसने किसान विद्रोहों को जन्म
यूरोप के अन्य इलाकों में तो अकाल काफी हाल तक भी आते रहे हैं। [[फ़्रांस|फ्रांस]] ने उन्नीसवीं शताब्दी में अकाल का सामना किया। पूर्वी यूरोप में 20वीं शताब्दी के दौरान भी अकाल आते रहे हैं।
अकाल की आवृत्ति जलवायु परिवर्तन के साथ बदल सकती है। उदाहरण के लिए, 15वीं सदी से 18वीं सदी के लघु हिम युग के दौरान, यूरोपीय अकालों की आवृत्ति में पिछली सदी की तुलना में लगातार वृद्धि
कई समाजों में अक्सर अकाल पड़ने के कारण ये काफी लंबे समय से सरकारों और अन्य प्राधिकरणों के लिए चिंता का एक प्रमुख विषय रहा है। पूर्व-औद्योगिक यूरोप में, अकाल को रोकना और समय पर भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना कई सरकारों की प्रमुख चिंताओं में से एक था, जिसकी वजह से वे अकाल के प्रकोप को कम करने के लिए मूल्य नियंत्रण, अन्य क्षेत्रों से भोजन के भंडार खरीदना, वितरण नियंत्रण और उत्पादन नियंत्रण जैसे विभिन्न उपायों को लागू करती रही हैं। अधिकांश सरकारें अकाल से चिंतित रहती थीं क्योंकि यह विद्रोह और सामाजिक विघटन के अन्य रूपों को जन्म दे सकता था।
[[द्वितीय विश्वयुद्ध|दूसरे विश्व युद्ध]] के दौरान [[नीदरलैण्ड|नीदरलैंड]] में अकाल फिर लौट आया जिसे ''होंगरविंटर'' के रूप में जाना
===== इटली =====
फसल विफलता उत्तरी [[इटली|इतालवी]] अर्थव्यवस्था के लिए काफी विनाशकारी साबित
उत्तरी इटली में, 1767 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि वहाँ पिछले 316 वर्षों (अर्थात 1451-1767 की अवधि) में से 111 वर्षों में अकाल आया था और सिर्फ सोलह वर्षों में अच्छी पैदावार हुई थी।<ref>"''[http://books.google.com/books?id=eGsCGAdH4YQC&pg=PA64&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false दी सीवेज वार्स ऑफ पिस: इंग्लैंड, जापान एंड दी मेल्थुसियन ट्रेप]'' ". एलन मैकफार्लेन (1997). पी.64. आईएसबीएन 0375424946.</ref>
स्टीफन एल. डाइसन और रॉबर्ट जे. रोलैंड के अनुसार, "केलियरी की जेसुइट्स [सार्डिनिया में] ने 1500वीं सदी के अंत के कुछ ऐसे वर्षों का वर्णन किया है "जिनके दौरान इतनी भीषण भुखमरी तथा बंजरता देखी गयी कि ज्यादातर लोगों को अपनी जान बचाने के लिए जंगली पेड़-पौधों का सहारा लेना पड़ा" ... कहा जाता है
===== इंग्लैंड =====
1536 से इंग्लैंड में गरीबों से संबंधित कानून बनाने शुरू किये गए जिनमें इलाके के धनी लोगों पर वहां के गरीबों के निर्वहन की कानूनी जिम्मेदारी डालने की बात कही गयी। अंग्रेजी कृषि उद्योग नीदरलैंड से पिछड़ा हुआ था, लेकिन 1650 तक उसने अपने कृषि उद्योग का व्यापक पैमाने पर व्यवसायीकरण कर लिया। इंग्लैंड में शांति के समय का आखिरी अकाल 1623-24 आया।<ref name="famine" /> वहाँ नीदरलैंड के समान ही अभी भी कभी-कभार भुखमरी देखी जाती थी, लेकिन वहाँ अब पहले के तरह के और अकाल नहीं
===== आइसलैंड =====
ब्राइसन (1974) के अनुसार, 1500 और 1804 के बीच आइसलैंड में सैंतीस वर्षों में अकाल पड़े थे।<ref>"''[http://books.google.com/books?id=T4DLK7zLxYMC&pg=PA399&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false जीवन की उम्मीदें:, सांख्यिकी जनसांख्यिकी एक अध्ययन में और मृत्यु दर दुनिया के इतिहास के]'' ". हेनरी ओलिवर लंकास्टर (1990). स्प्रिंगर. पी.399. आईएसबीएन 0-387-97105-X</ref>
1783 में दक्षिण मध्य [[आइसलैंड]] में [[ज्वालामुखी]] लाकी भड़क उठा. लावा से प्रत्यक्ष क्षति तो अधिक नहीं हुई, लेकिन लगभग पूरे देश में राख और सल्फर डाइऑक्साइड फ़ैल जाने के कारण वहां का लगभग तीन-चौथाई पशु-धन नष्ट हो
[[चित्र:Irish potato famine Bridget O'Donnel.jpg|thumb|आयरलैंड में महा-भीषण अकाल के शिकार लोगों का चित्रण, 1845-1849]]
आइसलैंड 1862 से 1864 के बीच एक आलू अकाल से भी ग्रसित हुआ था। हालांकि आयरिश आलू अकाल की तुलना में इसके बारे में कम ही लोगों को पता है, आइसलैंड का आलू अकाल भी उसी बीमारी के कारण उत्पन्न हुआ था जिसने 1840 के दशक के दौरान अधिकांश यूरोप में तबाही मचाई थी। आइसलैंड की जनसंख्या का लगभग 5 प्रतिशत अकाल के दौरान मौत के मुंह में समा
===== फिनलैंड =====
देश ने गंभीर अकाल झेले हैं और
1696-1697 के अकाल में एक तिहाई जनसंख्या की मौत
===== आयरलैंड =====
पंक्ति 267:
| page = 85
| isbn = 0582506018 }}
</ref> अकाल के बीत जाने के बाद अकाल द्वारा उत्पन्न बंजरता, जमींदारों द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था द्वारा प्रेरित बीमारियों एवं उत्प्रवास को पूरी तरह से कम आंकना आबादी के 100 वर्ष पिछड़ने का कारण
[[चित्र:Brothers in misfortune.jpg|thumb|upright|अकाल के दौरान भूखे रूसी बच्चेलगभग 1922 के आस पास.]]
==== रूस और सोवियत संघ ====
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रूसी साम्राज्य प्रत्येक 10 से 13 वर्ष में सूखे और अकाल के लिये जाना जाता है जिसमें से सूखे का औसत प्रत्येक 5 से 7 वर्ष है। 1845 से 1922 के मध्य रूस में ग्यारह बड़े अकाल पड़े जिनमें से 1891-92 का अकाल सर्वाधिक भयंकर था।<ref>"[http://www.alanmacfarlane.com/savage/A-FAM.PDF दी डायमेंशन ऑफ फैमिन]" (पीडीएफ). एलन मैकफार्लेन.</ref> [[सोवियत संघ|सोवियत]] काल में भी अकाल जारी रहे जिसमें से 1932-33 की सर्दियों में देश के विभिन्न भागों, विशेषकर वोल्गा, यूक्रेन, एवं उत्तरी कजाकिस्तान में पड़े अकालों में ''होलोदोमोर'' सर्वाधिक कुख्यात था। आज यह माना जाता है कि 1932-1933 के सोवियत अकाल में अनुमानतः 6 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।<ref>स्टीफन कोर्टिस, मार्क क्रामेर. ''[http://books.google.com/books?id=H1jsgYCoRioC&pg=PA206 लीवर नॉई डु कम्युनिज्म: क्राइम्स, टेरर, रिप्रेसन]'' . हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1999. पी.206. आईएसबीएन 0-674-07608-7</ref> सोवियत संघ में आखिरी बड़ा अकाल वर्ष 1977 में पड़ा था जो कि भयंकर सूखे और सोवियत सरकार द्वारा अनाज भंडार के कुप्रबंधन के कारण पड़ा था।<ref>[http://www1.fee.uva.nl/pp/mjellman/ माइकल एलमन], [http://www.paulbogdanor.com/left/soviet/famine/ellman1947.pdf दी 1947 सोवियत फैमिन एंड दी एंटाइटेलमेंट एप्रोच टू फैमिन्स] ''कैम्ब्रिज जर्नल ऑफ इकोनोमिक्स'' 24 (2000): 603-630.</ref>
872 दिनों की लेनिनग्राद की घेराबंदी (1941-1944) के कारण सामान्य प्रयोग की वस्तुओं, पानी, ऊर्जा और खाद्य की आपूर्ति में हुये व्यवधान के कारण लेनिनग्राद क्षेत्र में अद्वितीय अकाल पड़ा. जिसके परिणाम स्वरूप एक मिलियन लोगों की मौत
=== लैटिन अमेरिका में अकाल ===
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* अकाल से जूझने के लिए एट्मिट (दलिया) का उपयोग
* जलवायु परिवर्तन और कृषि
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* [[भारत में अकाल]]
* अकाल अर्ली वार्निंग सिस्टम नेटवर्क
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