"हिन्दी व्याकरण का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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डॉ॰ अनन्त चौधरी ने हिन्दी व्याकरण के संपूर्ण विकास की लगभग 300 वर्षों की अवधि को निम्नलिखित पाँच कालखण्डों में विभक्त किया है।
# आरम्भ काल
# विकास काल
# उत्थान काल
# उत्कर्ष काल
# नवचेतना काल
डॉ॰ '''बीणा गर्ग''' ने हिन्दी व्याकरण की विकास यात्रा को तीन मुख्य कालों में वर्गीकृत किया है31 -
* 1. '''आदिकाल '''
** अ - पूर्व आदिकाल - संक्रान्ति युग (सन् 1680 से पूर्व)
** आ - उत्तर आदिकाल - पाश्चात्य वैयाकरण युग (सन् 1680 से 1855 ई. तक)
* 2. ''' मध्यकाल '''
** इ - पूर्व मध्यकाल - श्रीलाल युग (सन् 1680 से 1855 ई. तक)
** ई - उत्तर मध्यकाल - केलॉग युग (सन् 1676 से 1920 ई. तक)
* 3. '''आधुनिक काल'''
** उ - पूर्व आधुनिक काल - स्वतन्त्रता-पूर्व युग (सन् 1920 से 1947 ई. तक) - गुरु युग
** ऊ - उत्तर आधुनिक काल - स्वातन्त्र्योत्तर युग (सन् 1947 से वर्तमान काल तक)
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5. "हिन्दी-व्याकरण", भूमिका, पृ. 4-5.
12. Indian Linguistics, ग्रियर्सन अभिनन्दन ग्रंथ, खंड IV, 1935; पुनर्मुद्रण - S. K. Chatterji: "SELECT WRITINGS", Vol. 1, Vikas Publishing House Pvt. Ltd., New Delhi, 1978, pp. 237–255.
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24. राष्ट्रभाषा का प्रथम व्याकरण, पृ. 82
25. बुलन्द शहर एवं खुर्जा तहसीलो की बोलियों का संकालिक अध्ययन - डा. महावीर सरन जैन (हिन्दी सहित्य सम्मेलन, 12, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद,1967)
26. परिनिष्ठित हिन्दी का ध्वनिग्रामिक अध्ययन—डा. महावीर सरन जैन (लोक भारती प्रकाशन, 15 - ए, महात्मा गाँधी मार्ग, इलाहाबाद, 1974)
27. परिनिष्ठित हिन्दी का रूपग्रामिक अध्ययन—डा. महावीर सरन जैन (लोक भारती प्रकाशन, 15 - ए, महात्मा गाँधी मार्ग, इलाहाबाद, 1978)
28. प्रकाशक - सरस्वती सदन, आगरा, 1962; कुल 224 पृष्ठ।
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