"तैमूरलंग": अवतरणों में अंतर
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दूसरे दिन तैमूर ने दिल्ली नगर में प्रवेश किया। पाँच दिनों तक सारा शहर बुरी तरह से लूटा-खसोटा गया और उसके अभागे निवासियों को बेभाव कत्ल किया गया या बंदी बनाया गया। पीढ़ियों से संचित दिल्ली की दौलत तैमूर लूटकर समरकंद ले गया। अनेक बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी तैमूर अपने साथ ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी स्वनियोजित जामा मस्जिद है।
तैमूर भारत में केवल लूट के लिये आया था। उसकी इच्छा भारत में रहकर राज्य करने की नहीं थी। अत: 15 दिन दिल्ली में रुकने के बाद वह स्वदेश के लिये रवाना हो गया। 9 जनवरी 1399 को
भारत से लौटने के बाद तैमूर से सन् 1400 में [[अनातोलिया]] पर आक्रमण किया और 1402 में [[अंगोरा का युद्ध|अंगोरा के युद्ध]] में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन् 1405 में जब वह [[चीन]] की विजय की योजना बनाने में लगा था, उसकी मृत्यु हो गई।
भारतीय व कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार वीर गुलिया के भाले का घाव ही उसकी मौत का कारण था।<ref>https://m.patrika.com/news/noida/jats-army-defeated-taimur-lang-or-tamerlane-in-meerut-and-haridwar-news-hindi-1471493</ref>
== क्रूर ==
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