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[[चित्र:Queen Nagamati talks to her parrot, Padmavat, c1750.jpg|right|thumb|450px|१७५० ई की पद्मावत की एक पाण्डुलिपि]]
'''पद्मावत''' [[हिन्दी साहित्य]] के अन्तर्गत सूफी परम्परा का प्रसिद्ध [[महाकाव्य]] है।<ref>{{cite web|url=https://scroll.in/article/858619/history-lesson-padmavati-was-driven-to-immolation-by-a-rajput-prince-not-ala-ud-din-khalji|title=History lesson: Padmavati was driven to immolation by a Rajput prince, not Ala-ud-din Khalji}}</ref> इसके रचनाकार [[मलिक मोहम्मद जायसी]] हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-42080687|title=कहाँ से आई थीं पद्मावती?}}</ref> [[दोहा]] और [[चौपाई]] [[छन्द]] में लिखे गए इस महाकाव्य की भाषा [[अवधी]] है।
 
पद्मावत यह रचना मलिक मुहम्मद जायसी की है। यह [[हिन्दी]] की [[अवधी]] बोली में है और [[चौपाई]], [[दोहा|दोहों]] में लिखी गई है। चौपाई की प्रत्येक सात अर्धालियों के बाद दोहा आता है और इस प्रकार आए हुए दोहों की संख्या 653 है।
 
इसकी रचना सन् 947 हिजरी. (संवत् 15971540) में हुई थी। इसकी कुछ प्रतियों में रचनातिथि 927 हि. मिलती है, किंतु वह असंभव है। अन्य कारणों के अतिरिक्त इस असंभावना का सबसे बड़ा कारण यह है कि मलिक साहब का जन्म ही 900 या 906 हिजरी में हुआ था। ग्रंथ के प्रारंभ में शाहेवक्त के रूप में [[शेरशाह सूरी|शेरशाह]] की प्रशंसा है, यह तथ्य भी 947 हि. को ही रचनातिथि प्रमाणित करता है। 927 हि. में शेरशाह का इतिहास में कोई स्थान नहीं था।
 
== परिचय ==