"फुलेरेन": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Kohlenstoffnanoroehre Animation.gif|frame|कार्बन नैनोट्यूब का त्रिआयामि मोडेल]]
'''फुलेरेन''' (या फुलेरीन En:Fullerene) [[कार्बन]] का बहुत ही उपयोगी बहुरूप है। कार्बन के इस जटिल रूप में कार्बन परमाणु एक दूसरे से षटफलाकार या पंच भुजाकार रूप में जुड़ कर एक पिंजड़ा की रचना बनाते हैं।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=चन्द्रमोहन |title= भौतिक एवं रसायन विज्ञान |year=जुलाई २००४ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=234-235 |accessday= 16|accessmonth= मई|accessyear= २००९}}</ref> इसे [[१९९५]] ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों द्वारा बनाया गया। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष [[१९९६]] ई. का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त हुआ। फुलेरेन का सबसे साधारण रूप बकमिनिस्टर है। यह एक रवेदार बहुरूप है, जिसका प्रत्येक अणु ६० कार्बन [[परमाणुओं]] का गोलाकार समूह होता है। इसकी [[ज्यामिति]] अमेरिकी कलाकार आर. बकमिनिस्टर फुलर की प्रसिद्ध ज्यामिति संरचना जैसी होने के कारण इसे बकमिनिस्टर फुलेरेन भी कहते हैं। इसे C<sub>60</sub> द्वारा निरूपित करते हैं। इसके अतिरिक्त C<sub>32</sub>, C<sub>50</sub>, C<sub>70</sub>, C<sub>76</sub> आदि फुलेरेन छोटे-बड़े गोलाकार रचनाओं के रूप में पाएँ जाते हैं। इनमें कार्बन परमाणु एक दूसरे से स्वतंत्र कण के रूप में जुड़े रहते हैं। इसकी रचना कार्बन के अन्य बहुरूपों हीरा तथा ग्रेफाइट से भिन्न है। फुलेरेन रासायनिक रूप से स्थाई तथा अक्रियशील होते हैं। इनके पिंजड़ा जैसी रचना को तोड़ने के लिए बहुत उच्च तापक्रम (लगभग १०००<sup>०</sup>C) की आवश्यकता पड़ती है। लगभग ११००<sup>०</sup>C से १२००<sup>०</sup>C तापमान पर [[ऑक्सीजन]] की उपस्थिति में जलकर [[कार्बन डाइ-आक्साइड]] बनाते हैं।