"कृत्रिम गर्भाधान": अवतरणों में अंतर

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'''कृत्रिम गर्भाधान''' या आइवीएफ ([[इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशनफर्टिलाइज़ेशन]]) में अंडों को अंडाशय से शल्य क्रिया द्वारा बाहर निकाल कर शरीर से बाहर पेट्री डिश में [[शुक्राणु]] के साथ मिलाया जाता है।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/science/2011/07/110704_downsyndrome_akd|title=कृत्रिम गर्भाधान के ख़तरे}}</ref> करीब 40 घंटे के बाद अंडों का परीक्षण किया जाता है कि वे निषेचित हो गये हैं या नहीं और उनमें कोशिकाओं का विभाजन हो रहा है। इन निषेचित अंडों को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है और इस तरह गर्भ-नलिकाओं का उपयोग नहीं होता है।
इस प्रक्रिया में, विशेष रूप से तैयार किए गए वीर्य को महिला के अन्दर इंजैक्शन द्वारा पहुँचाया जाता है। कृत्रिम वीर्य़ का उपयोग कई स्थितियों में किया जाता है।
* अगर पुरुष साथी अनुर्वरक हो