No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
[[चित्र:Madhhab Map3.png|left|thumb|300px|विशव में प्रमुख मज़हब और वितरण।]]
{| border="0" cellpadding="0" cellspacing="0" style="border: 1pt solid green; text-align: center; background: rgb(235,255,235); border-collapse: collapse; width: 100px; margin: 0px 15px 0px 5px; float: right"
|-
| style="background: rgb(200,230,200)" | '''[[अरबी भाषा|अरबी]]'''
|-
| style="font-size:120%" | {{lang|ar|{{{فقه}}}
|-
| style="background: rgb(200,230,200)" | '''[[अरबी का देवनागरीकरण|लिप्यंतरण]]'''
|-
| style="padding:3pt" | '''{{transl|ar|ISO|{{{फ़िक़्ह}}}}'''
|-
| style="background: rgb(200,230,200)" | '''[[अनुवाद]]'''
|-
|{{{"गहरी समझ होना"<br/>"पूरी तरह समझना"}}}
}
मुसलमानों के लिये [[इस्लाम]] जीवन के हर पहलू पर अपना असर रखता है। इस्लामी सिद्धांत मुसलमानों के घरेलू जीवन, उनके राजनैतिक या आर्थिक जीवन, मुसलमान राज्यों की विदेश निति इत्यादि पर प्रभाव डालते हैं। शरियत उस समुच्चय निति को कहते हैं जो इस्लामी कानूनी परंपराओं और इस्लामी व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है। शरियत की निति को नींव बना कर न्यायशास्त्र के अध्य्यन को फिक़ह या फिकह कहते हैं। फिक़ह के मामले में इस्लामी विद्वानों की अलग अलग व्याख्याओं के कारण इस्लाम में न्यायशास्त्र कई भागों में बट गया और कई अलग अलग न्यायशास्त्र से संबंधित विचारधारओं का जन्म हुआ। इन्हें मज़हब कहते हैं। सुन्नी इस्लाम में प्रमुख मज़हब हैं-