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[[चित्र:Gopabandhu das.jpg|right|thumb|150px|उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास]]
'''गोपबंधु दास''' (१८७७-१९२८) [[ओड़िशा]] के एक सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रतता संग्राम सेनानी एवं साहित्यकार थे। उन्हें '''उत्कल मणि''' के नाम से जाना जाता है। [[ओड़िशा]] (उड़ीसा) में राष्ट्रीयता एवं [[स्वाधीनता संग्राम]] की बात चलाने पर लोग गोपबंधु दास का नाम सर्वप्रथम लेते हैं। उड़ीसावासी उनको "दरिद्रर सखा" (दरिद्र के सखा) रूप से स्मरण करते हैं। उड़ीसा के पुण्यक्षेत्र पुरी में [[जगन्नाथ मंदिर]] के सिंहद्वार के उत्तरी पार्श्व में चौक के सामने उनकी एक संगमर्मर की मूर्ति स्थापित है। उत्कल के विभिन्न अंचलों को संघटित कर पूर्णांग उड़ीसा बनाने के लिये उन्हांने प्राणपण से चेष्टा की। उत्कल के विशिष्ट दैनिक पत्र "समाज" के ये संस्थापक थे।