"सौम": अवतरणों में अंतर
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Ahmed Nisar (वार्ता | योगदान) |
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{{DISPLAYTITLE:रोज़ा}}
[[File:Fasting.JPG|250px|thumb|right|मस्जिद मे इफ़्तारी करते हुये।]]
'''सौम'''
इस्लाम के पाँच मूलस्थंबों में से एक ''सौम'' है।
==नाम==
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==क़ुर'आन में सौम==
क़ुरान में सौम के बारे में यूं प्रकटित होत है:
يَا أَيُّهَا ٱلَّذِينَ آمَنُواْ كُتِبَ عَلَيْكُمُ ٱلصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ *{{Quote|"अय विश्वासियो! तुम को उपवास प्रकटित किया जाता है जैसे तुम से पहले वालों पर प्रकटित हुवा था, इस लिये तुम निग्रह रहो।"|क़ुरान, सूरह २, (अल-बक़रा) [[आयत]] 183<ref>{{cite quran|2|183|s=ns}}</ref>}}
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[[श्रेणी:इस्लाम के पाँच मूल स्तंभ]]
__सूचीबद्ध__
[[श्रेणी:इस्लाम]]
[[श्रेणी:फ़िक़्ह्|फ़िक़्ह]]
[[श्रेणी:क़ुरआन]]
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