"ख़ालसा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: की | → की। (2), गया | → गया। , थे | → थे। (2), थी | → थी। , दिया | → दिया। , दी | → दी। ,... |
छो →खालसा पंथ साजने का चित्र: clean up, replaced: कारन → कारण AWB के साथ |
||
पंक्ति 12:
== खालसा पंथ साजने का चित्र ==
जब कोई धर्म आगे बढ़ता है तो उसके बहुत आम दीखता है कि उसके अनुयायी बहुत हैं, ज्यादातर तो देखा-देखी हो जाते हैं, कुछ शरधा में हो जाते हैं, कुछ अपने खुदगर्जी के
१० हज़ार की भीड़ में से पहला हाथ भाई दया सिंह जी का था | गुरमत विचारधारा के पीछे वोह सिर कटवाने की शमता रखता था | गुरु साहिब उसको तम्बू में ले गए | वहाँ एक बकरे की गर्दन काटी | खून तम्बू से बहर निकलता दिखाई दिया | जनता में डर और बढ़ गया | तब भी हिमत दिखा कर धर्म सिंह, हिम्मत सिंह, मोहकम सिंह, साहिब सिंह ने अपना सीस कटवाना स्वीकार किया | गुरु साहिब बकरे झटकते रहे |
|