"प्रकाश का वेग": अवतरणों में अंतर
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;प्रकाश की तीव्रता का उसके वेग पर प्रभाव : 1904 ई. में डाउट ने तीव्रता को 1: 3,00,000 के अनुपात में बढ़ाकर बताया कि विभिन्न प्रकाशों के वेग में परिवर्तन 6 मिमी. प्रति सेकंड से भी कम होता है। यह नगण्य है।
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;सामर्थ्यवान चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव : 1940 ई. में बांवेल एवं फार ने 20,000 गाउस चुंबकीय क्षेत्र में से प्रकाशकिरणें भेजकर उनके वेग में 34 सेंमी. प्रति सेंकंड की वृद्धि पाई, किंतु इस फल की यथार्थता के बारे में शंका है।
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(1) '''विद्युच्चुंबकीय तथा स्थिरविद्युत मात्रकों के अनुपात द्वारा ''': सन् 1873 में मैक्सवेल ने प्रकाश को विद्युच्चुंबकीथ तरंग बताया और उसके वेग को विद्युच्चुंबकीय एवं स्थिर विद्युत मात्रकों के अनुपात के बराबर। विद्युत संबंधी विभिन्न परिमाणों को दोनों प्रकार के मात्रकों में आसानी से नापा जा सकता है।
(2) '''स्थावर तरंगों का तारों पर बनाना''' : विद्युच्चुंबकीय तरंगों की स्थावर तरंगें दो समांतर तारों पर बनाई जाती हैं। निस्पंद तलों के बीच की दूरी ज्ञात कर
(3) '''कैविटी रेजोनेटर (Cavity Resonator)''' : इसकी मदद से 1947 ई. में अकाशवेग का मान 2,99,792 किलोमीटर प्रति सेकंड निकला। इसेन ने विधि को सुधार कर इस मान को 2,99,792.5 बताया। हन्सेन और बोल ने 1950 ई. में बहुत ही यथार्थ रूप से इस मान को 2,99,789.6 किलोमीटर प्रति सेकंड निकाला।
(4) '''सूक्ष्म
ओबौ और शौरन व्यवस्था का उपयोग दूरी नापने के लिये किया गया। 1947 ई. में जोन ने तथा 1949 और 1954 ई. में अलाक्सन ने इस विधि द्वारा प्रकाशवेग का मान 2,99,794.2 किलोमीटर प्रति सेकंड निकाला।
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