"पुनर्जागरण": अवतरणों में अंतर

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== विभिन्न क्षेत्रों में पुनर्जागरण ==
'रिनैशां' का अर्थ 'पुनर्जन्म' होता है। मुख्यत: यह [[यूनान]] और [[रोम]] के प्राचीन शास्त्रीय ज्ञान की पुन:प्रतिष्ठा का भाव प्रकट करता है। यूरोप में मध्ययुग की समाप्ति और आधुनिक युग का प्रारंभ इसी समय से माना जाता है। इटली में इसका आरंभ [[फ्रांसिस्को पेट्रार्क]] (1304-1367) जैसे लोगों के काल में हुआ, जब इन्हें यूनानी और लैटिन कृतियों में मनुष्य की शक्ति और गौरव संबंधी अपने विचारों और मान्यताओं का समर्थन दिखाई दिया। 1453 में जब [[कांस्टेटिनोपिलकस्तुनतुनिया]] पर तुर्कों ने अधिकार कर लिया, तो वहाँ से भागनेवाले [[ईसाई]] अपने साथ प्राचीन यूनानी [[पाण्डुलिपि|पांडुलिपियाँ]] पश्चिम लेते गए। इस प्रकार यूनानी और लैटिन साहित्य के अध्येताओं को अप्रत्याशित रूप से [[बाइजेंटाइन साम्राज्य]] की मूल्यवान् विचारसामग्री मिल गई। [[चार्ल्स पंचम]] द्वारा [[रोम की विजय]] (1527) के पश्चात् पुनर्जागरण की भावना [[आल्प्स]] के पार पूरे यूरोप में फैल गई।
 
'''[[इटालवी पुनर्जागरण]]''' में साहित्य की विषयवस्तु की अपेक्षा उसके रूप पर अधिक ध्यान दिया जाता था। [[जर्मनी]] में इसका अर्थ श्रम और आत्मसंयम था, इटालवियों के लिए आराम और आमोद-प्रमोद ही मानवीय आदर्श था। डच और जर्मन कलाकारों, ने जिनमें [[हाल्वेन]] और [[एल्बर्ट ड्यूरर]] उल्लेखनीय हैं, शास्त्रीय साहित्य की अपेक्षा अपने आसपास दैनिक जीवन में अधिक रुचि प्रदर्शित की। वैज्ञानिक उपलब्धियों के क्षेत्र में जर्मनी इटली से भी आगे निकल गया। इटली के पंडितों और कलाकारों का [[फ्रांस|फ्रांसीसियों]] पर सीधा और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा; किंतु उन्होंने अपनी मौलिकता को प्राचीनता के प्रेम में विलुप्त नहीं होने दिया। अंग्रेजी पुनर्जागरण [[जॉन कोले]] (1467-1519) और सर [[टामस मोर]] (1478-1535) के विचारों से प्रभावित हुआ।