"नीरज वोरा": अवतरणों में अंतर

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'''नीरज वोरा''' (22 जनवरी 1963 - 14 दिसंबर 2017), एक भारतीय फिल्म निर्देशक, लेखक, अभिनेता और संगीतकार थे।<ref>{{cite web|url=http://www.deccanherald.com/content/12488/short-kut-fun-hare-tortoise.html|title='Short Kut' a fun hare and tortoise story: Neeraj Vora|publisher=Deccan Herald|accessdate=10 September 2010}}</ref> उन्होंने बॉलीवुड में आमिर खान की फिल्म [[रंगीला]] के लिए एक लेखक के रूप में अपना काम किया था। 2000 में उनकी पहली निर्देशित फिल्म खिलाड़ी 420 आई थी। बाद में 2006 में उन्होंने "[[फिर हेरा फेरी]]" फिल्म की पट्कथा और निर्देशन दोनो किया था। अक्टूबर 2016 में एक मस्तिष्क आघात के कारण वो कोमा में चले गये। कोमा में जाने से पहले वो "[[हेरा फेरी 3]]" पर काम कर रहे थे। दिसंबर 2017 में उनका निधन हो गया।<ref>{{Cite news|url=https://images.dawn.com/news/1178315|title='Hera Pheri 3' on hold as director Neeraj Vora in a coma since 10 months: Indian media|last=Staff|first=Images|date=2017-08-29|work=Images|access-date=2017-09-01|language=en}}</ref><ref>https://bollywood.bhaskar.com/news/ENT-BNE-IFTM-neeraj-vora-passes-away-5768967-NOR.html?ref=ht</ref>
==प्रारंभिक जीवन और फिल्मी सफर==
वोरा का जन्म 1963 में भुज के एक गुजराती परिवार में हुआ था। लेकिन वे मुंबई के उपनगर सांताक्रूज़ में बड़े हुए। उनके पिता, पंडित विनायक राय नानालननलाल वोरा<ref>{{Cite news|url=https://mumbaimirror.indiatimes.com/entertainment/bollywood/neeraj-vora-brought-back-to-mumbai-living-in-firoz-nadiadwalas-house/articleshow/58057933.cms|title=Neeraj Vora brought back to Mumbai; living in Firoz Nadiadwala's house - Mumbai Mirror -|work=Mumbai Mirror|access-date=2017-09-01}}</ref> एक शास्त्रीय संगीतकार थे, और एक प्रशिध्द तारा-शहनाई वादक थे। उनके पिता ने शास्त्रीय संगीत के लिए तारा-शहनाई को एकमात्र यंत्र के रूप में लोकप्रिय बनाया।<ref>{{Cite web|url=http://www.vinayakvora.com/|title=Pandit Vinayak Vora|website=www.vinayakvora.com|access-date=2017-09-01}}</ref> एक बच्चे के रूप में, वोरा की बॉलीवुड की फिल्मों तक पहुंच नहीं थी। जैसा कि वे एक शास्त्रीय संगीतकार परिवार से थे, उन्है फिल्म संगीत को सुनने और फिल्में देखने की अनुमति नहीं थी। उनकी मां प्रेमिला बेन<ref>{{Cite news|url=http://www.ibtimes.co.in/neeraj-vora-coma-who-he-things-know-about-popular-actor-director-740120|title=Neeraj Vora in coma: Who is he? Things to know about the popular actor-director|last=Mehta|first=Ankita|work=International Business Times, India Edition|access-date=2017-09-01|language=en}}</ref> को फिल्मों के लिए जबरदस्त आकर्षण था, और वे अपने बेटे नीरज को फिल्म देखने के लिए चुपके से ले जाया करती थी। वोरा ने खार, मुंबई से अपने स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उनके विद्यालय के बहुत सारे छात्र उनके पिता से संगीत सिखने जाया करते थे, जोकि शास्त्रीय भारतीय संगीत सिखाने पर जोर दिया करते थे, जबकि नीरज उन्हें चुपके से हार्मोनियम पर बॉलीवुड गाने सिखाया करते थे। जिसके कारण नीरज अपने स्कूल में बहुत लोकप्रिय बन गये।
 
सौभाग्य से, बहुत सारे गुजराती नाटक के लोग उनके पिता के साथ काम करते और उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते थे, इस प्रकार बाद में उनका झुकाव गुजराती थिएटर की ओर हो गया। थिएटर के लिए उनका प्यार 6 साल की उम्र में शुरू हुआ, और जब 13 वर्ष की उम्र में उनके पिता को यह पता चला तो उन्हों ने वोरा का समर्थन किया और आगे बढ़ने के लिए कहा।
===अभिनय===
अपने कॉलेज के दिनों के दौरान, उन्होंने एक पेशेवर अभिनेता के रूप में काम करना शुरू किया और नाटक के लिए कई इंटरकॉलेजे पुरस्कार भी प्राप्त किये। 1984 में उन्होंने केतन मेहता<ref>{{Citation|title=Holi (1985)|url=http://www.imdb.com/title/tt0087417/fullcredits?ref_=tt_cl_sm#cast|accessdate=2017-09-01}}</ref> कि एक फिल्म होली में काम किया और बाद में टीवी धारावाहिक "छोटी बड़ी बातें" और सर्कस में भी काम किया। बाद में उन्होंने रंगीला में भी एक अभिनेता के रूप में काम किया। उनके अभिनय देखने के बाद, अनिल कपूर और प्रियदर्शन ने उन्हें "विरासत" में अभिनय हेतु आमंत्रित किया, इसके बाद आमिर के साथ "मन" में और आगे कई अन्य परियोजनाएं में भी काम किया।<ref>{{Cite web|url=http://www.imdb.com/name/nm0903423/|title=Neeraj Vora|website=IMDb|access-date=2017-09-01}}</ref>
===नाटक===
उनके 1992 गुजराती नाटक अफलातून जोकि बहुत प्रशिध्द हुई, से प्रेरित हो रोहित शेट्टी ने [[गोलमाल (2006 फ़िल्म)|गोलमाल]] फिल्म बनाया था। यह नाटक नीरज वोरा द्वारा लिखित और निर्देशित था। जोकि हर्ष शिवशरण के मूल मराठी नाटक घर-घर से लिया गया था।