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कथककत्थक न्रुत्यनृत्य उत्तर प्रदेश का शास्त्रिय न्रुत्यनृत्य है। कथककत्थक कहे सो कथा केह्लाये।कहलाए। कथककत्थक शब्द का अर्थ कथा को थिरकते हुए कहना है। प्रछिन काल मे कथककत्थक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था।
 
'''कथककत्थक''' [[राजस्थान]] और उत्तर भारत की [[नृत्य]] शैली है। यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि [[महाभारत]] में भी कथककत्थक का वर्णन है। मध्य काल में इसका सम्बन्ध [[कृष्ण]] कथा और नृत्य से था। मुसलमानों के काल में यह दरबार में भी किया जाने लगा। वर्तमान समय में [[बिरजू महाराज]] इसके बड़े व्याख्याता रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में अधिकांश नृत्य इसी शैली पर आधारित होते हैं।
[[File:Kathak dance expressions (3).jpg|thumb|250px|कत्थक नृत्य की एक भावपूर्ण मुद्रा]]
[[File:Rounds in Kathak.webm|thumb|250px|कथक नृत्य]]
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