"चौरी चौरा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
सन्दर्भ |
सन्दर्भ |
||
पंक्ति 1:
'''चौरी चौरा''' [[उत्तर प्रदेश]] में [[गोरखपुर]] के पास का एक कस्बा है जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को<ref name="राजशेखर 2013">{{cite web | author=राजशेखर | title=चौरी-चौरा राष्ट्रीय इतिहास का एक लावारिस पन्ना– News18 India | website=News18 India | date=4 फ़रवरी 2013 | url=http://hindi.news18.com/blogs/rajshekhar/%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9-268700.html | language=हिन्दी भाषा | accessdate=20 दिसम्बर 2017}}</ref> भारतीयों ने बिट्रिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को [[चौरीचौरा काण्ड]] के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप [[महात्मा गांधी|गांधीजी]] ने कहा था कि हिंसा होने के कारण [[असहयोग आन्दोलन]] उपयुक्त नहीं रह गया है<ref>https://www.bhaskar.com/news/UP-GOR-chauri-chaura-incident-change-the-mindset-of-revolutionary-4941463-PHO.html चौरीचौरा कांड ने ही बनाया था भगत-राजगुरु और सुखदेव को गरम दल का क्रांतिकारी - दैनिक भास्कर</ref> और उसे वापस ले लिया था।
चौरी चौरा की इस घटना से महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन को आघात पहुँचा, जिसके कारण उन्हें असहयोग आन्दोलन को स्थागित करना पड़ा, जो बारदोली, गुजरात से शुरू किया जाने वाला था।
|