"अथर्ववेद संहिता": अवतरणों में अंतर
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{{सन्दूक अथर्ववेद}}
'''अथर्ववेद संहिता''' [[हिन्दू धर्म]] के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ [[वेदों]] में से चौथे वेद [[अथर्ववेद]] की [[संहिता]] अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ
अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं और उनके इस वेद को प्रमाणिकता स्वंम महादेव शिव की है, ऋषि अथर्व पिछले जन्म मैं एक असुर हरिन्य थे और उन्होंने प्रलय काल मैं जब ब्रह्मा निद्रा मैं थे तो उनके मुख से वेद निकल रहे थे तो असुर हरिन्य ने ब्रम्ह लोक जाकर वेदपान कर लिया था, यह देखकर देवताओं ने हरिन्य की हत्या करने की सोची| हरिन्य ने डरकर भगवान् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले जन्म मैं ऋषि अथर्व बनकर एक नए वेद लिखने का वरदान दिया था इसी कारण अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हुए|
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