"कन्नौज": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
गुर्जर टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 26:
|RTO=KANNAAUJ}}
'''गुर्जर राजधानी कन्नौज''', [[भारत]] में [[उत्तर प्रदेश]] प्रांत के [[कन्नौज जिला|कन्नौज जिले]] का मुख्यालय एवं प्रमुख [[नगरपालिका]] है। शहर का नाम [[संस्कृत]] के '''कान्यकुब्ज''' शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगरी है एवं कभी [[हिंदू]] साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। माना जाता है कि [[कान्यकुब्ज ब्राह्मण]] मूल रूप से इसी स्थान के हैं। विन्ध्योत्तर निवासी एक ब्राह्मणौंकी समुह है जिनको [[पञ्चगौड]] कहते हैं। उनमें [[गौड]] , [[सारस्वत]] , [[औत्कल]] , [[मैथिल]] ,और [[कान्यकुब्ज]] है। उनकी ऐसी प्रसिद्ध लोकोक्ति प्रचलित है- ""सर्वे द्विजाः कान्यकुब्जाःमागधीं माथुरीं विना"" कान्यकुब्जी ब्राह्मण अपनी इतिहासको बचाये रखें | वर्तमान कन्नौज शहर अपने [[इत्र]] व्यवसाय के अलावा [[तंबाकू]] के व्यापार के लिए मशहूर है। कन्नौज की जनसंख्या २००१ की [[जनगणना]] के अनुसार ७१,५३० आंकी गयी थी। यहाँ मुख्य रूप से [[कन्नौजी भाषा/ कनउजी]] भाषा के तौर पर इस्तेमाल की जाती है।
यहाँ के किसानों की मुख्य फसल [[आलू]] है। किसान को आलू रखने के लिये उचित शीत-गृहौं की व्यवस्था है।
== परिचय ==
उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह नगर, [[गंगा]] के बायीं ओर [[ग्रैंड ट्रंक रोड]] से 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। किसी समय [[गंगा नदी]] इस नगर के पार्श्व से बहती थी। [[रामायण]] में इस नगर का उल्लेख मिलता है। [[तॉलेमी]] ने ईसा के काल में कन्नौज को 'कनोगिज़ा' लिखा है। पाँचवीं शताब्दी में यह [[गुप्त साम्राज्य|गुर्जर साम्राज्य]] का एक प्रमुख नगर था। छठी शताब्दी में श्वेत गुर्जर हूणों के आक्रमण से यह काफी विनिष्ट हो गया था। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]], ने, जो [[हर्षवर्धन]] के समय भारत आया था, इस नगर का उल्लेख किया है। 11वीं शताब्दी के आंरभिक काल में मुसलमानों के आक्रमण के कारण यह नगर काफी विनिष्ट हुआ। 1194 ई. में [[मुहम्मद गौरी]] ने इस नगर पर अपना स्वत्व जमाया। 'आइन अकबरी' द्वारा ज्ञात होता है कि [[अकबर]] के समय में यहाँ सरकार का मुख्य कार्यालय था। प्राचीन काल के भग्नावशेष आज भी लगभग छह कि.मी.व्यास के अर्धवृत्तीय क्षेत्र में वर्तमान हैं। इस नगर के निकट कई मसजिदें, कब्रें तथा समाधियाँ हैं जिनमें बालापार तथा शेख मेंहँदी की समाधियाँ उल्लेखनीय हैं।
वर्तमान काल में यह नगर [[गुलाब जल]], [[इत्र]] एवं अन्य सुगंधित पदार्थ बनाने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सासंद [[डिम्पल यादव]] है।
|