"पिथौरागढ़": अवतरणों में अंतर

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'''पिथौरागढ़''' [[भारत]] के [[उत्तराखण्ड]] राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है-- सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा ([[पृथ्वीराज_चौहान]]) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
 
== पिथौरागढ़ का इतिहास ==
यहांनगर के निकट स्थित एक गांव में मछलीमछलियों एवं घोंघोघोंघों के जीवाश्म पाये गये हैं जिससे इंगित होता है कि पिथौरागढ़ का क्षेत्र [[हिमालय]] के निर्माण से पहले एक विशाल झील रहा होगा।
 
हाल-फिलहाल तक पिथौरागढ़ में खासखस वंश का शासन रहा है, जिन्हें यहां के किले या कोटों के निर्माण का श्रेय जाता है। पिथौरागढ़ के इर्द-गिर्द चार कोटेंकिले हैं जोजिनका नाम [[भाटकोट, पिथौरागढ (सदर) तहसील|भाटकोट]], डूंगरकोट, उदयकोट तथा [[ऊंचाकोट, हैं।डीडीहाट तहसील|ऊंचाकोट]] है। खासखस वंश के बाद यहां कचूडी वंश (पाल-मल्लासारी वंश) का शासन हुआ तथा इस वंश का राजा अशोक मल्ला, [[बलबन]] का समकालीन था। इसी अवधि में वर्ष 1998 में राजा पिथौरा द्वारा पिथौरागढ़ स्थापित किया गया तथा इसी के नाम पर पिथौरागढ़ नाम भी पड़ा। इस वंश के तीन राजाओं ने पिथौरागढ़ से ही शासन किया तथा निकट के [[खडकोट, पिथौरागढ (सदर) तहसील|गांव खङकोट]] में उनके द्वारा निर्मित ईंटो के किले को वर्ष 1960१९६० में पिथौरागढ़ के तत्कालीन जिलाधीश ने ध्वस्त कर दिया। वर्ष 1622१६२२ सेके आगेबाद से पिथौरागढ़ पर चंद[[चन्द वंशराजवंश]] का आधिपत्य रहा।
 
पिथौरागढ़ के इतिहास का एक अन्य विवादास्पद वर्णन है। एटकिंसएटकिंसन के अनुसार, चंद वंश के एक सामंत पीरू गोसाई ने पिथौरागढ़ की स्थापना की। ऐसा लगता है कि चंद वंश के राजा भारती चंद के शासनकाल (वर्ष 1437१४३७ से 1450१४५०) में उसके पुत्र रत्न चंद ने नेपाल के राजा दोती को परास्त कर सौर घाटी पर कब्जा कर लिया एवं वर्ष 1449१४४९ में इसे कुमाऊं या कुर्मांचल में मिला लिया। उसी के शासनकाल में पीरू (या पृथ्वी गोसांई) ने पिथौरागढ़ नाम से यहां एक किला बनाया। किले के नाम पर ही बाद में इसकाइस नगर का नाम पिथौरागढ़ हुआ।
 
चंदों ने अधिकांश कुमाऊं पर अपना अधिकार विस्तृत कर लिया जहां उन्होंने वर्ष 1790१७९० तक शासन किया। उन्होंने कई कबीलों को परास्त किया तथा पड़ोसी राजाओं से युद्ध भी किया ताकि उनकी स्थिति सुदृढ़ हो जाय। वर्ष 1790१७९० में, गोरखियाली कहे जाने वाले गोरखों ने कुमाऊं पर कब्जा जमाकर चंद वंश का शासन समाप्त कर दिया। वर्ष 1815१८१५ में गोरखा शासकों के शोषण का अंत हो गया जब [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने उन्हें परास्त कर कुमाऊं पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया। एटकिंसएटकिंसन के अनुसार, वर्ष 1881१८८१ में पिथौरागढ़ की कुल जनसंख्या 552५५२ थी। अंग्रेजों के समय में यहां एक सैनिक छावनी, एक चर्च तथा एक मिशन स्कूल था। इस क्षेत्र में क्रिश्चियन मिशनरी बहुत सक्रिय थे।
 
वर्ष 1960१९६० तक अंग्रजों की प्रधानता सहित पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले का एक तहसील था जिसके बाद यह एक जिला बना। वर्ष 1997१९९७ में पिथौरागढ़ के कुछ भागों को काटकर एक नया जिला [[चंपावत जिला|चंपावत]] बनाया गया तथा इसकी सीमा को पुनर्निर्धारित कर दिया गया। वर्ष 2000२००० में पिथौरागढ़ नये राज्य उत्तराखंडउत्तराखण्ड का एक भाग बन गया।
 
== परिचय ==
पिथौरागढ़ समुद्रतल से १६१५ मीटर की उँचाई पर ६.४७ वर्ग किलोमीटर की परिधि में बसा हुआ है। इस नगर का महत्व चन्द राजाओं के समय से रहा है। यह नगर सुन्दर घाटी के बीच बसा है। कुमाऊँ पर होने वाले आक्रमणों को पिथौरागढ़ ने सुदृढ़ किले की तरह झेला है। जिस घाटी में पिथौरागढ़ स्थित है, उसकी लम्बाई ८ किलोमीटर और चौड़ाई १५ किलोमीटर है। रमणीय घाटी का मनोहर नगर पिथौरागढ़ सैलानियों का स्वर्ग है।
 
 
==पर्यटन==
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इस पर्व का आगाज भले ही महरों की बहादूरी से हुआ हो, लेकिन अब इसे कृषि पर्व के रूप में मनाये जाने लगा है।हिलजात्रा में बैल, हिरन, चित्तल और धान रोपती महिलाएं, यहां के कृषि जीवन के साथ ही पशु प्रेम को भी दर्शाती हैं। समय के साथ आज इस पर्व की लोकप्रियता इस कदर बढ़ गई है कि हजारों की तादाद में लोग इसे देखने आते हैं। <ref>[http://hindi.news18.com/amp/news/uttarakhand/pithoragarh/hill-jatra-festival-celebrated-in-pithoragarh-904082.html हिलजात्रा में लखिया भूत को देखने उमड़ी भारी भीड़]</ref>
 
== पिथौरागढ़ का इतिहास ==
यहां के निकट एक गांव में मछली एवं घोंघो के जीवाश्म पाये गये हैं जिससे इंगित होता है कि पिथौरागढ़ का क्षेत्र [[हिमालय]] के निर्माण से पहले एक विशाल झील रहा होगा।
 
हाल-फिलहाल तक पिथौरागढ़ में खास वंश का शासन रहा है, जिन्हें यहां के किले या कोटों के निर्माण का श्रेय जाता है। पिथौरागढ़ के इर्द-गिर्द चार कोटें हैं जो भाटकोट, डूंगरकोट, उदयकोट तथा ऊंचाकोट हैं। खास वंश के बाद यहां कचूडी वंश (पाल-मल्लासारी वंश) का शासन हुआ तथा इस वंश का राजा अशोक मल्ला, बलबन का समकालीन था। इसी अवधि में वर्ष 1998 में राजा पिथौरा द्वारा पिथौरागढ़ स्थापित किया गया तथा इसी के नाम पर पिथौरागढ़ नाम भी पड़ा। इस वंश के तीन राजाओं ने पिथौरागढ़ से ही शासन किया तथा निकट के गांव खङकोट में उनके द्वारा निर्मित ईंटो के किले को वर्ष 1960 में पिथौरागढ़ के तत्कालीन जिलाधीश ने ध्वस्त कर दिया। वर्ष 1622 से आगे पिथौरागढ़ पर चंद वंश का आधिपत्य रहा।
 
पिथौरागढ़ के इतिहास का एक अन्य विवादास्पद वर्णन है। एटकिंस के अनुसार, चंद वंश के एक सामंत पीरू गोसाई ने पिथौरागढ़ की स्थापना की। ऐसा लगता है कि चंद वंश के राजा भारती चंद के शासनकाल (वर्ष 1437 से 1450) में उसके पुत्र रत्न चंद ने नेपाल के राजा दोती को परास्त कर सौर घाटी पर कब्जा कर लिया एवं वर्ष 1449 में इसे कुमाऊं या कुर्मांचल में मिला लिया। उसी के शासनकाल में पीरू या पृथ्वी गोसांई ने पिथौरागढ़ नाम से यहां एक किला बनाया। किले के नाम पर ही बाद में इसका नाम पिथौरागढ़ हुआ।
 
चंदों ने अधिकांश कुमाऊं पर अपना अधिकार विस्तृत कर लिया जहां उन्होंने वर्ष 1790 तक शासन किया। उन्होंने कई कबीलों को परास्त किया तथा पड़ोसी राजाओं से युद्ध भी किया ताकि उनकी स्थिति सुदृढ़ हो जाय। वर्ष 1790 में, गोरखियाली कहे जाने वाले गोरखों ने कुमाऊं पर कब्जा जमाकर चंद वंश का शासन समाप्त कर दिया। वर्ष 1815 में गोरखा शासकों के शोषण का अंत हो गया जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें परास्त कर कुमाऊं पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया। एटकिंस के अनुसार, वर्ष 1881 में पिथौरागढ़ की कुल जनसंख्या 552 थी। अंग्रेजों के समय में यहां एक सैनिक छावनी, एक चर्च तथा एक मिशन स्कूल था। इस क्षेत्र में क्रिश्चियन मिशनरी बहुत सक्रिय थे।
 
वर्ष 1960 तक अंग्रजों की प्रधानता सहित पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले का एक तहसील था जिसके बाद यह एक जिला बना। वर्ष 1997 में पिथौरागढ़ के कुछ भागों को काटकर एक नया जिला [[चंपावत]] बनाया गया तथा इसकी सीमा को पुनर्निर्धारित कर दिया गया। वर्ष 2000 में पिथौरागढ़ नये राज्य उत्तराखंड का एक भाग बन गया।
 
==आवागमन==