"जैन दर्शन": अवतरणों में अंतर

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{{मुख्य|जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान}}
जैन दर्शन इस संसार को किसी [[जैन धर्म में भगवान|भगवान]] द्वारा बनाया हुआ स्वीकार नहीं करता है, अपितु शाश्वत मानता है। जन्म मरण आदि जो भी होता है, उसे नियंत्रित करने वाली कोई सार्वभौमिक सत्ता नहीं है। जीव जैसे कर्म करता हे, उन के परिणाम स्वरुप अच्छे या बुरे फलों को भुगतने क लिए वह मनुष्य, नरक देव, एवं तिर्यंच (जानवर) योनियों में जन्म मरण करता रहता है।
 
==इष्ट देव==
जिनागमानुसार व्यवहार से पंच परमेष्ठी,भगवान आदि शरणभूत हैं किंतु निश्चय से निजात्मा ही शरणभूत है।आत्मा के ध्यान से ही मोक्ष है।