"हेनरिक पोंटोपिदां": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: '''हेनरिक पोंटोपिदां''' सन १९१८ के नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता...
ससंदर्भ विवरण जोड़ा।
पंक्ति 1:
'''हेनरिक पोंटोपिदां''' सन(1857-1943) १९१८स्वीडिश केउपन्यासकार एवं कहानीकार थे। 1917 ई० में [[साहित्य में नोबेल पुरस्कार]] साहित्य विजेता है।विजेता।
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
{{जीवनचरित-आधार}}
| नाम = हेनरिक पोंटोपिदां
| चित्र =
| चित्र आकार =
| चित्र शीर्षक = हेनरिक पोंटोपिदां
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = 24 जुलाई, 1857
| जन्मस्थान = फ्रेडरिका,<br /> जटलैण्ड
| मृत्युतारीख़ = 21 अगस्त, 1943 ई०<ref>नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-231.<ref>
| मृत्युस्थान =
| कार्यक्षेत्र = [[साहित्य]]
| राष्ट्रीयता = डेनिश
| भाषा =
| काल = आधुनिक
| विधा = उपन्यास, कहानी
| विषय =
| आन्दोलन =
| प्रमुख कृति =
| प्रभाव = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम = लेखन
}}
 
== जीवन-परिचय ==
हेनरिक पोंटोपिदां का जन्म 24 जुलाई, 1857 ई० में जटलैंड के फ्रेडरिका नामक स्थान में हुआ था। उनके पितामह और पिता पादरी रह चुके थे। आरंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कोपेनहेगेन में पॉलिटेक्निक स्कूल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
 
== रचनात्मक परिचय ==
पोंटोपिदां की रचनाओं में डेनमार्क के ग्राम्य जीवन का सुंदर चित्रण है। महायुद्ध के दिनों में लिखे गये 'मृतकों का साम्राज्य' में देशभक्ति के साथ-साथ एक विशेष आदर्श के प्रति निष्ठा उत्पन्न करके युद्ध से विरक्ति का संदेश है। पोंटोपिदां ने डेनमार्क के ग्रामों और नगरों का इतना तथ्यपूर्ण और सजीव चित्रण किया है कि उन्हें साहित्य जगत में ''डेनिश जीवन का फोटोग्राफर'' कहा जाता है।<ref>नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-82.</ref>
 
== प्रकाशित पुस्तकें ==
# दि प्रामिस्ड लैंड
# लकी पीटर
# मृतकों का साम्राज्य
# दि अपाथेकैरीज़ डाॅटर
# क्लिप्ड विंग्स
# इमैनुएल
# चिल्ड्रन ऑफ दि स्वायल
 
==सन्दर्भ==
 
[[श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार]]