"ईसाई धर्म": अवतरणों में अंतर
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ईसाई [[एकेश्वरवाद|एकेश्वरवादी]] हैं, लेकिन वे ईश्वर को [[त्रीएक]] के रूप में समझते हैं -- परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र [[ईसा मसीह]] (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा।
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परमपिता इस सृष्टि के रचयिता हैं और इसके शासक भी।,
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ईसा मसीह कौन थे जिन्हें आज विश्व के सबसे ज्यादा लोग पूजा करते है ?
एक देह में प्रगट हुए ताकि पापी मनुष्यों को नहीं परन्तु मनुष्यों के अन्दर के पापों को खत्म करें। वे इस पृथ्वी पर पहले ऐसे ईश्वर थे जो पापी, बीमार, मूर्खों और सताए हुओं का
यह बात परमेश्वर पिता का मनुष्यों के प्रति अटूट प्रेम को प्रगट करता है। परमेश्वर, शारीर में आए मनुष्यों को पाप से बचाने यह बात यीशु मसीह का परिचय है। यीशु मसीह परमेश्वर थे
इसी बात पर आज का ईसाई धर्म का आधार है। उन्होंने स्वयं कहा मैं हूँ !!!
ईसा मसीह (यीशु) एक यहूदी थे जो [[इस्राइल]] [[इजराइल]] के गाँव बेत्लहम में जन्मे थे (४ ईसापूर्व)। ईसाई मानते हैं कि उनकी माता [[मारिया]] (मरियम) कुवांरी (''वर्जिन'') थीं। ईसा उनके गर्भ में परमपिता परमेश्वर की कृपा से चमत्कारिक रूप से आये थे। ईसा के बारे में यहूदी नबियों ने भविष्यवाणी की थी कि एक मसीहा (अर्थात "राजा" या तारणहार) जन्म लेगा। कुछ लोग ये मानते हैं कि ईसा [[भारत]] भी आये थे। बाद में ईसा ने इजराइल में यहूदियों के बीच प्रेम का संदेश सुनाया और कहा कि वो ही ईश्वर के पुत्र हैं। इन बातों पर पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु भड़क उठे और उनके कहने पर इजराइल के [[रोमन]] राज्यपाल ने ईसा को [[क्रूस]] पर चढ़ कर मरने का प्राणदण्ड दे दिया। ईसाई मानते हैं कि इसके तीन दिन बाद ईसा का पुनरुत्थान हुआ या ईसा पुनर्जीवित हो गये। ईसा के उपदेश [[बाइबिल]] के नये नियम में उनके शिष्यों द्वारा रेखांकित किये गये हैं।
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पवित्र आत्मा त्रिएक परमेश्वर के तीसरे व्यक्तित्व हैं जिनके प्रभाव में व्यक्ति अपने अन्दर ईश्वर का अहसास करता है। ये ईसा के [[चर्च]] एवं अनुयाईयों को निर्देशित करते हैं।
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ईसाइयों के मुख्य सम्प्रदाय हैं :
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[[रोमन कैथोलिक]] [[रोम]] के [[पोप]] को सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।
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[[प्रोटेस्टेंट]] किसी [[पोप]] को नहीं मानते है और इसके बजाय पवित्र बाइबल में पूरी श्रद्धा रखते हैं। मध्य युग में जनता के बाइबिल पढने के लिए नकल करना मना था। जिससे लोगो को ख्रिस्ती धर्म का उचित ज्ञान नहीं था। कुछ बिशप और पाद्रियोने इसे सच्चे ख्रिस्ती धर्म के अनुसार नहीं समझा और बाइबिल का अपनी अपनी भाषाओ में भाषान्तर करने लगे, जिसे [[पोप]] का विरोध था। उन बिशप और पाद्रियोने पोप से अलग होके एक नया सम्प्रदाय स्थापीत किया जिसे [[प्रोटेस्टेंट]] केह्ते है (जिन्होने [[पोप्]] का विरोध [[प्रोटेस्ट]] किया)।
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कोपिमिईस्म [[विद्या नकल]] कर्ने का अधिकार या लाइसेंस को विश्वास नहि कर्ता। इस्का शुरुआत हुआ है बाइबल का एक वाक्यांश से:
{{"|'''नकल करो मुझे, मै जैसे क्राइस्ट को नकल करता हु'''|1 Corinthians 11:1}}
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[[ऑर्थोडॉक्स]] रोम के पोप को नहीं मानते, पर अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के [[पैट्रिआर्क]] को मानते हैं और परम्परावादी होते हैं।
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