'''ज्योतिराव गोविंदराव फुले''' (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०), [[महात्मा फुले]] एवं [[ज्योतिबा फुले]] के नाम से प्रचलित 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवीसमाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें 'महात्मा फुले' एवं 'ज्योतिबा फुले' के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर १८७३ में इन्होने [[महाराष्ट्र]] में [[सत्य शोधक समाज]] नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व [[दलित|दलितों]] के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को [[शिक्षा]] प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित [[जाति]] पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।
== आरंभिक जीवन ==
[[चित्र:Jyotiba phule statue.jpg|thumb|right|[[कराड]] में स्थित एक ज्योतिबा फुले की मूर्ति]]
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में [[पुणे]] में हुआ था।एकथा। एक वर्ष की अवस्था में इनकी माता का निधन हो गया।इनकागया। इनका लालन-पालन एक बायी ने किया। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले [[सतारा]] से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए [[माली]] के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय पहले तक [[मराठी]] में अध्ययन किया, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में [[अंग्रेजी]] की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की। इनका [[विवाह]] 1840 में [[सावित्री बाई फुले|सावित्री बाई]] से हुआ, जो बाद में स्वयं एक मशहूरप्रसिद्ध समाजसेवी बनीं। दलित व स्त्री शिक्षा[[स्त्रीशिक्षा]] के क्षेत्र में दोनों पति-पत्नी ने मिलकर काम किया।
== विचारधारा ==
ज्योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे।