"माइगुएल एंजल आस्तुरियस": अवतरणों में अंतर

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== जीवन-परिचय ==
'''माइगुएल एंजल आस्तुरियस''' का जन्म ग्वाटेमाला में 19 अक्टूबर, 1899 ई० को हुआ था।<ref name="अ">नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-246.</ref> उनका घर समृद्ध था। पिता मजिस्ट्रेट थे और माता स्कूल में अध्यापिका थी। उस समय तानाशाही के विरुद्ध आंदोलन का आरंभ हो चुका था और 1902 तथा 1903 ईस्वी में छात्रों ने भी विरोध में भाग लिया था। एक मजिस्ट्रेट होने के नाते माइगुएल आस्तुरियस के पिता को उन पर कठोर कार्यवाही करनी थी, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। अतः उन्हें आंदोलन का समर्थक मानकर नौकरी से हटा दिया गया। उनकी मां की नौकरी भी समाप्त कर दी गयी। इसके बाद उनका परिवार ग्वाटेमाला से सलामा गाँव में दादा के पास चला गया, जहाँ उनकी पैतृक जमीन थी। 1970 ईस्वी में शांति स्थापित होने पर उनका परिवार पुनः ग्वाटेमाला लौटा। परंतु, राजनीतिक शांति के बाद भी प्राकृतिक शांति न रही और 25 दिसंबर 1917 ईस्वी को ग्वाटेमाला में आये भयंकर भूकंप में नगर ही नष्टप्राय हो गया। तीन-चार वर्षों तक निर्माणकार्य ही चलता रहा और 1920 में सरकार का तख्ता पलट गया। उन दिनों आस्तूरियस कानून की पढ़ाई कर रहे थे और कोर्ट के सेक्रेटरी भी थे। गद्दी से उतारे गये तानाशाह ''कावरेरा'' से आस्तूरियस की जेल में प्रायः प्रतिदिन मुलाकात होती थी और इस तरह से तानाशाही सेना एवं उसके अन्य अंग तथा आंदोलनों से संबंधित विभिन्न बातों का भली प्रकार वे अध्ययन करते रहे और इस अध्ययन को अपने लेखन का मुख्य विषय बनाया। फिर पिता ने उन्हें देश की अव्यवस्थित स्थिति के कारण लंदन भेज दिया। उन्होंने कानून और लोक साहित्य का अध्ययन किया था। 1920 के दशक में वे पेरिस में भी रहे थे। वहीं लैटिन अमेरिकी संस्कृति और धर्म के विशेषज्ञ ''रेनां'' नामक एक प्राध्यापक से उनकी मुलाकात हुई थी। इसी दशक में वे अपने देश की कूटनीतिक सेवा में आ गये थे। सरकार बदलने पर 1966 से 1970 तक अपने देश के राजदूत के रूप में वे पेरिस में भी रहे थे।<ref name="ब">नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-216.</ref>
 
== रचनात्मक परिचय ==