"चक्रासन": अवतरणों में अंतर

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श्वास अन्तर भरकर कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठाइये।
धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें, जिससे शरीर की चक्र जैसी आकृति बन जाए।
आसन छोड़ते समय शरीर को ढीला करते हुए भुमि पर टिका दें। इस प्रकार 3-4 आवृति करें।
 
== लाभ ==