"प्राथमिक चिकित्सा": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Malteser Erste Hilfe Anatomie.jpg|300px|thumb|right|प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण]]
किसी [[रोग]] के होने या [[चोट]] लगने पर किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार किया जाता है उसे '''प्राथमिक चिकित्सा''' (First Aid) कहते हैं। इसका उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोटग्रस्त व्यक्ति को सम्यक इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो। अतः प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित या अप्रशिक्षित व्यक्तिओं द्वारा कम से कम साधनों में किया गया सरल उपचार है। कभी-कभी यह जीवन रक्षक भी सिद्ध होता है।
प्राथमिक चिकित्सा विद्या प्रयोगात्मक चिकित्सा के मूल सिद्धांतों पर निर्भर है। इसका ज्ञान शिक्षित पुरुषों को इस योग्य बनाता है कि वे [[आकस्मिक दुर्घटना]] या बीमारी के अवसर पर, चिकित्सक के आने तक या रोगी को सुरक्षित स्थान पर ले जाने तक, उसके जीवन को बचाने, रोगनिवृत्ति में सहायक होने, या घाव की दशा और अधिक निकृष्ट होने से रोकने में उपयुक्त सहायता कर सकें।
प्राथमिक चिकित्सा
== प्राथमिक चिकित्सा की सीमा ==
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== आवश्यक बातें ==
; प्राथमिक उपचार में आवश्यक बातें
* घायल को कितनी, कैसी और कहाँ तक सहायता दी जाए, इसपर विचार करना चाहिए।
; रोग या घाव संबंधी आवश्यक बातें
* '''रोगी की स्थिति''', इसमें रोगी की दशा और स्थिति देखनी चाहिए।
* '''चिन्ह, लक्षण या वृत्तांत''', अर्थात् घायल के शरीरगत चिन्ह, जैसे सूजन, कुरूपता, रक्तसंचय इतयादि प्राथमिक उपचारक को अपनी ज्ञानेंद्रियों से पहचानना तथा लक्षण, जैसे पीड़ा, जड़ता, घुमरी, प्यास इत्यादि, पर ध्यान देना चाहिए। यदि घायल व्यक्ति होश में हो तो रोग का और वृत्तांत उससे, या आसपास के लोगों से, पूछना चाहिए। रोगके वृत्तांत के साथ लक्षणों पर विचार करने पर निदान में बड़ी सहायता मिलती है।
* '''कारण''' : यदि कारण का बोध हो जाए तो उसके फल का बहुत कुछ बोध हो सकता है, परंतु स्मरण रहे कि एक कारण से दो स्थानों पर चोट, अर्थात् दो फल हो सकते हैं, अथवा एक कारण से या तो स्पष्ट फल हो, या कोई दूसरा फल, जिसका संबंध उस कारण से न हो, हो सकता है। कभी कभी कारण बाद तक अपना काम करता रहता है, जैसे गले में फंदा इत्यादि।
; घटनास्थल से संबंधित बातें -
* खतरे का मूल कारण, आग, बिजली का तार, विषैली गैस, केले का छिलका या बिगड़ा घोड़ा इत्यादि हो सकते हैं, जिसका ज्ञान प्राथमिक उपचारक को प्राप्त करना चाहिए।
* निदान में सहायक बातें, जैसे रक्त के धब्बे, टूटी सीढ़ी, बोतलें तथा ऐसी वस्तुओं को, जिनसे घायल की चोट या रोग से संबंध हो सुरक्षित रखना चाहिए।
* घटनास्थल पर उपलब्ध वस्तुओं का यथोचित उपयोग करना श्रेयस्कर है।
* दोहर, कंबल, छाते इत्यादि से बीमार की धूप या बरसात से रक्षा करनी चाहिए।
* बीमार को ले जाने के निमित्त प्राथमिक उपचारक को देखना चाहिए कि घटनास्थान पर क्या क्या वस्तुएँ मिल सकती हैं। छाया का स्थान कितनी दूर है, मार्ग की दशा क्या है। रोगी को ले जाने के लिए प्राप्त योग्य सहायता का श्रेष्ठ उपयोग तथा रोगी की पूरी देखभाल करनी चाहिए।
; प्राथमिक उपचार करनेवाले व्यक्ति के गुण
*(१) '''विवेकी''' (observant), जिससे वह दुर्घटना के चिन्ह पहचान सके;
*(२) '''व्यवहारकुशल''' (tactful), जिससे घटना संबंधी जानकारी जल्द से जल्द प्राप्त करते हुए वह रोगी का विश्वास प्राप्त करे;
*(३) '''युक्तिपूर्ण''' (resourceful), जिससे वह निकटतम साधनों का उपयोग कर प्रकृति का सहायक बने;
*(४) '''निपुण''' (dexterous), जिससे वह ऐसे उपायों को काम में लाए कि रोगी को उठाने इत्यादि में कष्ट न हो;
*(५) '''स्पष्टवक्ता''' (explicit), जिससे वह लोगों की सहायता में ठीक अगुवाई कर सके;
*(६) '''विवेचक''' (discriminator), जिससे गंभीर एवं घातक चोटों को पहचान कर उनका उपचार पहले करे;
*(७) '''अध्यवसायी''' (persevering), जिससे तत्काल सफलता न मिलने पर भी निराश न हो तथा
*(८) '''सहानुभूतियुक्त''' (sympathetic), जिससे रोगी को ढाढ़स दे सके, होना चाहिए।
== प्राथमिक उपचार के मूल तत्व ==
* रोगी को तत्काल चोट के कारण से दूर करना चाहिए।
* जिस स्थान से अत्यधिक रक्तस्त्राव होता हो उसका पहले उपचार करें।
* श्वासमार्ग की सभी बाधाएँ दूर करके शुद्ध वायुसंचार की व्यवस्था करें।
* हर घटना के बाद रोगी का स्तब्धता दूर करने के लिए उसको गर्मी पहुँचाएँ। इसके लिए कंबल, कोट, तथा गरम पानी की बोतल का प्रयोग करें।
* घायल को जिस स्थिति में आराम मिले उसी में रखें।
* यदि हड्डी टूटी हो तो उस स्थान को अधिक न हिलाएँ तथा उसी तरह उसे ठीक करने की कोशिश करें।
* यदि किसी ने विष खाया हो तो उसके प्रतिविष द्वारा विष का नाश करने की व्यवस्था करें।
* जहाँ तक हो सके, घायल के शरीर पर कसे कपड़े केवल ढीले कर दें, उतारने की कोशिश न करें।
* जब रोगी कुछ खाने योग्य हो तब उसे चाय, काफी, दूध इत्यादि उत्तेजक पदार्थ पिलाएँ। होश में लाने के लिए स्मेलिंग साल्ट (smelling salt) सुँघाएँ।
* प्राथमिक उपचारक को डाक्टर के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, बल्कि उसके सहायक के रूप में कार्य करना चाहिए।
== स्तब्धता (Shock) का प्राथमिक उपचार ==
इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपचार करना चाहिए :
*1. यदि रक्तस्त्राव होता हो तो बंद करने का उपाय करें,
*2. गर्दन, छाती और कमर के कपड़े ढीले करके खूब हवा दें,
*3. रोगी को पीठ के बल लिटाकर सिर नीचा एक तरफ करें,
*4. रोगी को अच्छी तरह कोट या कंबल से ढकें तथा पैर में गरम पानी की बोतल से सेंक करें,
*5. सिर में चोट न हो तो स्मेलिंग साल्ट सुंघाएँ और होश आने पर गरम तेज चाय अधिक चीनी डालकर पिलाएँ,
*6. जरुरी हो तो ऑक्सीजन एप्लाई करें,
*7. रक्त स्राव होने पर निचली एक्सटर्मिटीज को एलिवेशन दे, परन्तु रीढ़ की चोट में ऐंसा न करे।
== सांप काटने पर प्राथमिक चिकित्सा ==
[[सर्पदंश]]''' भी देखें।
बहुत सारे सांप विषैले नहीं होते उनके काटने पर घाव को साफ करने और दवाई लगाने से ठीक हो जाता है। लेकिन विषैले सांप के काटने पर जल्द-से-जल्द प्राथमिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है। सांप के काटने से त्वचा पर दो लाल बिंदु जैसे निशान आते है। जहरीले सांप के काटने पर लक्षण सांप की प्रजाति के अनुसार होता है। नाग [[कोबरा]] या [[करैत]] प्रजाति के सांप के काटने पर न्यूरोलॉजिकल/मस्तिष्क सम्बन्धी लक्षण दीखते हैं जबकि वाईपर के काटने पर रक्त वाहिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
''' सांप काटने पर लक्षण '''
* सांप के काटने का निशान या सुन्न हो जाना
* दर्द के जगह पर लाल पड़ जाना
* काटे हुए स्थान पर गर्म लगना और सूजन आना
* सांप के काटे हुए निशान के पास के ग्रंथियों में सूजन
* आँखों में धुंधलापन
* सांस लेने और बात करने में मुश्किल होना
* लार बहार निकलना
* बेहोश होना या कोमा में चले जाना
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* रोगी को आराम दें
* शांत और आश्वासन दें
* सांप के काटे हुए स्थान को साबुन लगाकर, ज्यादा पानी में अच्छे से धोयें
* सांप के काटे हुए स्थान को हमेशा दिल से नीचें रखें
* काटे हुए स्थान और उसके आस-पास बर्फ पैक लगायें ताकि इससे जहर का फैलना कम हो जाये
* प्रभावित व्यक्ति को सोने ना दें और हर पल नजर रखें
* होश न आने पर ABC रूल अपनाएं
* जितना जल्दी हो सके मरीज़ को अस्पताल पहुंचाएं।<ref>{{cite web
| title=प्राथमिक चिकित्सा की पूरी जानकारी First Aid in Hindi
| date=2016-08-07
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== अस्थिभंग का प्राथमिक सामान्य उपचार ==
* चोट के स्थान से यदि रक्तस्त्राव हो रहा हो तो प्रथमत: उसका उपचार करें।
* बड़ी चौकसी के साथ बिना बल लगाए, अंग को यथासाध्य अपने स्वभाविक स्थान पर बैठा दें।
* चपतियों (splints), पट्टियों (bandages) और लटकानेवाली पट्टियों, अर्थात् झोलों, के प्रयोग से भग्न अस्थिवाले भाग को यथासंभव स्वाभाविक स्थान पर बनाए रखने की चेष्टा करें।
* जब संशय हो कि हड्डी टूटी है या नहीं, तब भी उपचार उसी भाँति करें जैसा हड्डी टूटने पर होना चाहिए।
== मोच (sprains) का प्राथमिक उपचार ==
* जोड़ को अपनी प्राकृतिक दशा में लाकर उसपर खींचकर पट्टी बाँधें और उसे पानी से तर रखें, तथा 3. इससे भी आराम ने मिलने पर पट्टी फिर से खोलकर बाँधें।
== रक्तस्राव का प्राथमिक उपचार ==
[[चित्र:US Navy 030322-M-6270B-010 A U.S. Navy Corpsman assigned to the 15th Marine Expeditionary Unit (Special Operations Capable) gives first aid to an injured Iraqi citizen.jpg|right|thumb|300px]]
* अंगों के टूटने की अवस्था को छोड़कर अन्य सभी अवस्थाओं में जिस अंग से रक्तस्त्राव हो रहा हो उसे ऊँचा रखें;
* कपड़े हटाकर घाव पर हवा लगने दें तथा रक्तस्त्राव के भाग को ऊँगली से दबा रखें;
* बाहरी वस्तु, जैसे शीशा, कपड़े के टुकड़े, बाल आदि, को घाव में से निकाल दें;
* घाव के आसपास के स्थान पर जीवाणुनाशक तथा बीच में रक्तस्त्रावविरोधी दवा लगाकर रुई, गाज (gauze) या लिंट (lint) रखकर बाँध देना चाहिए।
== अचेतनावस्था का प्राथमिक उपचार ==
[[बेहोशी]] पैदा करनेवाले कारणों से घायल को दूर कर देना तथा अचेतनावस्था के उपचार के साधारण नियमों को यथासंभव काम में लाना चाहिए।
== डूबने, फाँसी, गलाघुटने तथा बिजली लगने का प्राथमिक उपचार ==
डूबे हुए व्यक्ति को [[कृत्रिम श्वसन|कृत्रिम रीति]] से सर्वप्रथम श्वास कराएँ तथा गीले कपड़े उतारकर उसका शरीर सूखे वस्त्रों में लपेटें। इसके पश्चात उसके पेट तथा फेफड़ोंं से पानी निकालने की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए। कृत्रिम श्वास देने के लिए उसे पेट के बल सूखी जमीन पर लिटाकर अपने शरीर के भार उसके पीठ पर पर दबाव डालें। रोगी की पीठ पर दबाव पड़ने से उसके पेट तथा फेफड़ोंं में भ्ारा पानी बाहर निकल जाएगा। अब प्राथमिक चिकित्सा करने वाले को रोगी को कृत्रिम श्वास देने की प्रक्रिया तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि रोगी की श्वास प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से चालू न हो जाए।
फाँसी लगाए हुए व्यक्ति के नीचे के अंगों को पकड़कर तुरंत शरीर उठा दें, ताकि उसके गले की रस्सी का कसाव कम हो जाए। रस्सी का कसाव कम हाने पर रस्सी काटकर गला छुड़ा दें। फिर कृत्रिम श्वास लिवाएँ। गला घुटने की अवस्था में पीठ पर स्कैपुला (scapula) के बीच में
== विष (जहर) का प्राथमिक उपचार ==
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