"ऑपरेशन ब्लू स्टार": अवतरणों में अंतर

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:अकाली दल भारत की राजनीतिक मुख्यधारा में रहकर पंजाब और सिखों की माँगों की बात कर रहा था लेकिन उसका रवैया ढुलमुल माना जाता था। जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने इनपर कड़ा रुख़ अपनाया और केंद्र सरकार को दोषी ठहराना शुरु किया। वे विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों और धर्म और उसकी मर्यादा पर नियमित तौर पर भाषण देने लगे। उन्हें एक तबके का समर्थन भी मिलने लगा।
:पंजाब में हिंसक घटनाएँ बढ़ने लगी। सितंबर 1981 में हिंद समाचार - [[पंजाब केसरी]] अख़बार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गई। जालंधर, तरन तारन, अमृतसर, फ़रीदकोट और गुरदासपुर में हुई हिंसक घटनाओं में कई जानें गईं। भिंडरांवाले पर हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगे। पुलिस पर्याप्त सबूत नहीं होने की बात कहकर उनके खिलाफ कार्यवाई करने से बचती रही।
:सितंबर 1981१९८१ में भिंडरांवाले के महता चौक गुरुद्वारे के सामने गिरफ़्तार होने पर वहाँ एकत्र
भीड़ और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई और ग्यारह व्यक्तियों की मौत हो गई। पंजाब में हिंसा का दौर शुरु हो गया। कुछ ही दिन बाद सिख छात्र संघ के सदस्यों ने एयर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया।
:भिंडरांवाले को जनसमर्थन मिलता देख अकाली दल के नेता भी उनके समर्थन में बयान देने लगे। 1982१९८२ ई. में भिंडरांवाले चौक महता गुरुद्वारा छोड़ पहले स्वर्ण मंदिर परिसर में गुरु नानक निवास और इसके कुछ महीने बाद सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करने लगे। अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने के ख़िलाफ़ जुलाई 1982 में अपना 'नहर रोको मोर्चा' छेड़ रखा था जिसके तहत अकाली कार्यकर्ता लगातार गिरफ़्तारियाँ दे रहे थे। इसी बीच स्वर्ण मंदिर परिसर से भिंडरांवाले ने अपने साथी अखिल भारतीय सिख छात्र संघ के प्रमुख अमरीक सिंह की रिहाई के लिए नया अभियान शुरु किया। अकालियों ने अपने मोर्चे का भिंडरांवाले के मोर्चे में विलय कर दिया और धर्म युद्ध मोर्चे के तहत गिरफ़्तारियाँ देने लगे।
:हिंसक घटनाएं और बढ़ीं। पटियाला के पुलिस उपमहानिरीक्षक के दफ़्तर में बम विस्फोट हुआ। पंजाब के उस समय के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह पर भी हमला हुआ। अप्रैल 1983१९८३ में पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक एएस अटवाल की दिन दहाड़े हरिमंदिर साहब परिसर में गोली मार दी गई। पुलिस का मनोबल गिरता चला गया। कुछ महीने बाद पंजाब रोडवेज़ की एक बस में घुसे बंदूकधारियों ने जालंधर के पास कई हिंदुओं को मार डाला।
:इंदिरा गाँधी सरकार ने पंजाब में दरबारा सिंह की काँग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। लेकिन पंजाब की स्थिति बिगड़ती गई। मार्च 1984१९८४ तक हिंसक घटनाओं में २९८ लोग मारे जा चुके थे। इंदिरा गाँधी सरकार की अकाली नेताओं के साथ तीन बार बातचीत हुई. आख़िरी चरण की बातचीत फ़रवरी 1984१९८४ में तब टूट गई जब हरियाणा में सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई. १ जून को भी स्वर्ण मंदिर परिसर और उसके बाहर तैनात केंद्रीय रिज़र्व आरक्षी बल के बीच गोलीबारी हुई।
भिंडरावाले को ऐसा लग रहा था कि, उनके नेतृत्व में पंजाब अपना एक अलग अस्तित्व बना लेगा। यह काम वह हथियारों के बल पर कर सकता है। इसमें उसे पाकिस्तान से सहयोग का भरोसा था। उसने पाकिस्तान की सीमा के निकट स्थित अमृतसर के सिक्खों के सर्वोच्च मंदिर को अपने अभियान के लिए किले के रूप में प्रयुक्त करने की योजना बनायी। संत जरनैल सिंह, कोर्ट मार्शल किए गए मेजर जनरल सुभेग सिंह और सिख सटूडेंट्स फ़ेडरेशन ने स्वर्ण मंदिर परिसर के चारों तरफ़ ख़ासी मोर्चाबंदी कर ली थी। उन्होंने भारी मात्रा में आधुनिक हथियार औ्र गोला-बारूद भी जमा कर लिया था।
1985 ई. में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गाँधी इस समस्या को सुलझाना चाहती थीं। अंततः उन्होंने सिक्खों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के जोखिम को उठाकर भी इस समस्या का अंत करने का निश्चय किया औ्र सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने का आदेश दिया।