"जॉन मिल्टन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→दुःख की रचनात्मक परिणति: विवरण जोड़ा। |
→दुःख की रचनात्मक परिणति: विवरण जोड़ा। |
||
पंक्ति 30:
दृष्टिहीन हो जाने पर लोगों की घृणा तथा उपहास सहते हुए भी मिल्टन ने अपनी आजीवन संचित कामना का प्रतिफल '''[[पैराडाइज लॉस्ट]]''' (स्वर्ग से निष्कासन) के रूप में सृजित किया। अपनी इस अमर कृति में मिल्टन ने एक साथ काव्य, नाटक, व्यंग्य, राजनीति, धर्म-दर्शन -- सबकी समेकित अभिव्यक्ति कर डाली है। बाइबल की कथावस्तु पर आधारित इस महाकाव्य में उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक उत्थान-पतन की छायात्मक पुट देते हुए अपने परिपक्व वैचारिक निष्कर्षों को उपस्थापित किया, साथ ही विभिन्न ज्ञान-विज्ञान के विषयों को भी अंतर्निहित कर दिया है। यह सार्वकालिक महान् महाकाव्य 1667 ई० में प्रकाशित हुआ तथा '''पैराडाइज रिगेण्ड''' (स्वर्ग की पुनःप्राप्ति) और '''सैम्सन एगोनिस्टिस''' दोनों साथ-साथ 1671 ई० में।
पैराडाइज लॉस्ट की वास्तविक समाप्ति पैराडाइज रिगेण्ड में हुई है। पैराडाइज लॉस्ट की तुलना में यह चार सर्गों का अल्पकाय खण्डकाव्य है। इस खण्डकाव्य की परिसमाप्ति पूर्णतया धर्म-दर्शन की विवेचना करते हुए सुखान्त रूप में हुई है। पूर्व महाकाव्य में आदम के निर्वासन रूपी दुःखान्त के बाद यहाँ नाटकीय रूप से शैतान की पराजय तथा मसीहा की विजय के वर्णन से समस्त काव्यकृति की सुखान्त परिणति हुई है।
शेक्सपियर के बाद मिल्टन ही अंग्रेजी का महानतम कवि है। दूसरे शब्दों में इसका आशय है कि वह नाट्य साहित्य के बाहर अंग्रेजी का महानतम कवि है।<ref>अंग्रेजी साहित्य का इतिहास, पूर्ववत्, पृ०-99.</ref>
|