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'''हिन्दी विकिपीडिया''', विकिपीडिया का [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] का संस्करण है, जिसका स्वामित्व विकिमीडिया संस्थापन के पास है। हिन्दी संस्करण [[जुलाई]] [[२००३]] में आरम्भ किया गया था और [[१ दिसम्बर]] [[२०१६ ]] तक इस पर {{NUMBEROFARTICLES}} लेख और लगभग {{NUMBEROFUSERS}} पंजीकृत सदस्य हैं।<ref>[http://hi.wikipedia.org/wiki/विशेष:Statistics हिन्दी विकिपीडिया के आँकड़े]</ref> <ref>[http://hi.wikipedia.org/w/api.php?action=query&meta=siteinfo&siprop=statistics एच.टी.एम.एल प्रारुप में आँकड़े]</ref> [[३० अगस्त]] [[२०११]] के दिन यह एक लाख लेखों का आँकड़ा पार करने वाला प्रथम भारतीय भाषा विकिपीडिया बना। यह लेखों की संख्या, सक्रिय सदस्यों, प्रयोक्ताओं की संख्या, सम्पादनों इत्यादि के आधार पर [[भारतीय भाषा|भारतीय भाषाओं]] में उपलब्ध विकिपीडिया का सबसे बड़ा संस्करण है और सभी संस्करणों में पचपनवाँ। और इसे मुख्यतः हिन्दी भाषी लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिया बनाया गया था। चूँकि हिन्दी विकिपीडिया इण्डिक स्क्रिप्ट ([[देवनागरी]]) का प्रयोग करता है इसलिए इसमें जटिल पाठ प्रतिपादन सहायक की आवश्यकता पड़ती है। विकिपीडिया पर ध्वन्यात्मक रोमन वर्णमाला परिवर्तक उपलब्ध है, इसलिए बिना किसी विशेष हिन्दी टाइपिंग सॉफ्टवेर डाउनलोड किये रोमन कुञ्जीपटल का उपयोग देवनागरी में टंकण करने के लिए किया जा सकता है।है
प्रधानमन्त्री मोदी जी
विषय विकसित भारत बनाने के सम्बन्ध में कुछ सुझाव
 
महोदय निवेदन यह है की आप लगातार नये भारत की बातें करते रहे है लेकिन क्या बिना अपनी टेक्नोलॉजी के नये भारत यानि की विकसित भारत की कल्पना कैसे कर सकते है । आज तक इतिहास गवाह है की कोई भी देस बिना अपनी टेक्नोलॉजी के विकसित राष्ट् नहीं बना है वो चाहे अमेरिका हो रसिया हो इंग्लैंड जर्मनी हो फ़्रांस हो  इटली ही स्विट्जरलैंड हो पोलेंड हो या डेनमार्क जापान हो या फिर पडोसी चीन या फिर दक्षिण कोरिया ।  भारत को विकसित भारत बनाने के लिये विभिन्न सेक्टरों में कार्य करने की आवश्यकता है ।
01 सिविल इंजीनिरिंग
 02 मैकेनिकल इंजीनिरिंग 
03 इलेक्ट्रिकल इंजीनिरिंग 
04 कंट्रोल एण्ड इंस्ट्रुमेंटेसन्   इंजिनरिंग
05 आई टी इंजिनरिंग
06एवीएसन इंजिनरिंग
07 एग्रीक्लचर इंजीनिरिंग 08हॉस्पिटल इंक्यूपमेंट इंजिनरिंग आदि।
सिविल इंजीनियरिंग
इस क्षेत्र में आज हम दुनिया के सामने कही नहीं टिक पा रहे है चाहे वो डिजाइन का विषय हो जैसे की दुबई का विश्वविख्यात अल्बुर्ज खलीफा का डिजाइन एक मात्र 70 लाख की आबादी के देस के इंजीनियरों ने बनाया था व् दिल्ली मैट्रों के लिये जो टनल बनाई गयी है उन्हें भी विदेसी इंजिनयरों और विदेसी इंक्यूपमेंट की मदद से ही बनाया गया है । अभी तक हमारे सिविल इंजीनियरों को सरकार की तरफ से कोई ऐसा अवसर नहीं मिल पाया है जो वो अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सके दुनिया में जितने भी नये प्रोजक्ट बने है उन सबमे भारतीयो का योगदान रहा है लेकिन कभी भी भारतियों का नाम नहीं हुआ क्यूंकि जो भी प्रोजक्ट रहे है वो विदेसी थे और उनका श्रेय भी विदेसियों को ही मिला अवसर तो मिलना ही चाहिये ताकि देस के सिविल इंजिनियर ताल थोक कर दुनिया की आँखों में आँखे डाल कर देख सके और कहे ही हममे भी क्षमता है।
मैकेनिकल इंजिनरिंग
देस में सबसे बड़े अवसर इसी क्षेत्र में है ऑटोमोबाइल क्षेत्र भी मैकेनिकल इंजिनरिंग के अंतर्गत आता है लेकिन दुर्भाग्य आज तक देस के पास एक विश्व स्तरीय इंजिन तक नहीं है जेसे की देस में बहुत सी विदेसी कार कम्पनी है और टाटा और महिंद्रा एण्ड महिंद्रा भारत की कम्पनी है लेकिन ये कम्पनी भी विदेसी आयातित इंजिन ही लगा रही है क्या देस में हम एक विश्वस्तरीय इंजिन नहीं बना सकते है ? अगर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाये तो जरूर हम ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अपनी धाक जमा सकते है। जिस दिन सरकार मेटल टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर ध्यान देगी और R&D पर खर्च करना सुरु कर देगी उस दिन भारत अलाय स्टील स्टीलनेस्टील कार्बन स्टील P 91 और T91 जैसे मेटल और इससे भी कही अधिक अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद तैयार कर सकेंगे जब इस तरह की  मेटल टेक्नोलॉजी देस के पास होगी तो फिर थर्मल टर्बाइन गैस टर्बाइन रेल उपकरण हाई प्रेसर पाइप फैक्ट्रियों के लिये बनने वाले उपकरण देस में ही तैयार होने लगेंगे ।पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में भी बहुत कुछ करने की जरुरत है जैसे तेल और गैस की खोज के लिये काम आने वाले उपकरण  रिग  तेल और गैस खोजने वाली मशीन असेम्बल की हुई प्रेसर विसिल रिएक्टर आदि जो आज भी विदेसी आयात पर ही निर्भर है गैस ट्राँस्पोर्टेसन के पाइप आज भी विदेस से ही आते है आगे देस के इंजीनियरों को अवसर मिले तो स्वेदेसी टेक्नोलॉजी से जरूर कर सकते है।इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 
इस क्षेत्र में भी हम बहुत पिछड़े हुऐ है देस में कई सौ इलेक्ट्रिकल उपकरण बनाने की कंपनिया है लेकिन मूल बात पर कोई खर्च नहीं कर रहा है जैसे LT स्विचगियर व् H T स्विचगियर तो कई कम्पनी बना रही है लेकिन ब्रेकर किसी के पास नहीं है रिले किसी के पास नहीं है ब्रेकर तोशिबा और सीमेंस जैसी कम्पनियों के ही लगा रहे है रिले आदि इंग्लिस इलेक्टिक्ल और ABB की लगाती है इतने बड़े देस में अगर किसी कम्पनी के पास ब्रेकर और रिले तक बनाने की क्षमता नहीं है तो फिर कैसे नया भारत बनेगा अब फिर चाहे मोटर हो ट्रांसफॉर्मर हो सबके लिये विदेसी कम्पनियों की तरफ देखा जाता है इस सेक्टर में R&D पर खर्च कर टेक्नोलॉजी विकसित करने की जरुरत है।
कंट्रोल एंड इंस्ट्रूमेंटऐसन
 इस क्षेत्र में बहुत सुधार की आवश्यता है पवार प्लांट रिफाइनरी ऑटोमिक प्लांट से लेकर अविएसन क्षेत्र तक इन उपकरणों की जरुरत होती है लेकिन अधिकांस उपकरण आज तक भी विदेशो से ही आयात किये जाते है इस फिल्ड में भी बहुत कुछ रिसर्च करने की आवश्यता है तांकि देस में ही हमारी खुद की टेक्नोलॉजी से तैयार हो सके ।
आई टी इंजिनरिंग 
आई टी के क्षेत्र में सबसे ज्यादा दुनिया में अपनी धाक भारत ने दिखाई है लेकिन बुनयादी सवाल आज भी वहीँ का वही है क्यूंकि देश के पास आज भी खुदका कोई फोन तक नहीं है आज तक कोई लेपटाप नहीं है आज तक कोई ऐसी डिवाईस नहीं बना पाये है जो एप्पल सैमसंग नोकिया सीमेंस मोटोरोला सोनी पैनासोनिक या फिर चीनी कम्पनियों को टक्कर दे सके इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम करने की जरुरत है जो भारत की कंपनिया अपनी टेक्नोलॉजी से इन्हें टक्कर दे सके ।
एवीएसन इंजीनिरिंग
अविएसन क्षेत्र में भारत बहुत पिछड़ा हुआ है वो चाहे सिविल अविएसन हो या डिफेन्स एवीएसन हो सिविल अविएसन क्षेत्र में आज भी बोईंग और एयर बस जैसी विदेसी कम्पनियों की धाक है और डिफेन्स क्षेत्र में  सुखोई F35 राफेल मिराज जगुवार जैसी कम्पनियों को ही महारत हासिल है देस ने तेजस के रूप में लाइट कमबेक्ट एयर क्राफ्ट बनाया है जिसमें इंजिन GE  कम्पनी का लगा है अगर देस फाइटर प्लेन और सिविल प्लेन बना ले तो जो बहुत बड़ी धनराशि बचाई जा सकती है इसीलिये इस क्षेत्र में व्यापक रिसर्च की आवश्यता है ।
एग्रीकल्चर इंजिनरिंग 
कृषि के क्षेत्र में आज सबसे ज्यादा परेसानी चल रही है सबसे मूल प्र्शन तो ये ही है की किसान को अपनी उपज का सही कीमत कैसे मिले इजराइल जैसा छोटा सा देस हमसे कोसों दूर निकल गया है वहां की सरकारों  इंजीनियरों व् कृषि वेज्ञानीकों ने इस तरह का कार्य किया है की आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के विकसित देस भी इजराइल से सीख रहे है हमारे देस की जलवायु व् मिटटी बहुत उपजाऊ है अतः इस क्षेत्र में इंजीनियरों व् वेज्ञानिको को व्यापक रिसर्च की जरुरत है इस क्षेत्र में R&D पर कार्य हो और जिम्मेदारी तय हो जिससे किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य मिले और लागत से तीन गुना मिले।
हॉस्पिटलइंक्यूपमेंट इंजीनियरिंग
स्वास्थ क्षेत्र आज देस के आम आदमी की पहुँच से बहुत दूर निकल चूका है इलाज करवाना क्यूंकि जो इंक्यूपमेंट है वो बहुत मंहगे है जैसे MRI मशीन CT स्केन मशीन इंज्योग्राफी मशीन अल्ट्रा साउंड मशीन प्लेटलेट्स मशीन आदि अन्य छोटे छोटे उपकरण तक विदेसों से ही आयात होते है क्यूंकि अभी तक देस में इस तरह के उपकरण तैयार करने की तरफ ध्यान ही नहीं गया है अगर ये उपकरण देस में ही देस के युवाओ द्वारा ईजाद की हुई तकनीक से बनने लगेंगे तो इलाज बहुत सस्ता हो सकता है ।
मोहोदय मैने जो प्र्शन उठाये है अगर इन पर अमल किया जाता है तो हर वर्ष लगभग सरकार को 50 हजार करोड़ का बजट रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिये खर्च करना होगा मैने कुल 8 मुददे गिनवाये है लेकिन जब इनका विस्तार होगा तो ये लगभग 300 के करीब होंगे । हम भारतीयो ने जब भी किसी चीज को करने की ठानी है उसमे कामयाब जरूर हुऐ साठ के दशक में सरकार ने हरित क्रांति का। बीड़ा उठाया था और देस खादन्य में आत्म निर्भर हुआ सत्तर के दशक में सरकार ने थाना और बैंकों का राष्टीयकरण किया और कामयाब हुऐ अस्सी के दसक में सरकार ने कम्प्यूटर क्रांति की ठानी जिसका परिणाम आज सामने है गांव गांव और घर घर तक कम्प्यूटर पहुच गये है । 90 के दशक में सरकार ने बहुराष्टीय कम्पनियो के जरिये विदेसी निवेश के द्वार खोले तो देस में आमूल चुल परिवर्तन आया और युवाओं को रोजगार के अवसर मिले इक्कीसवी सदी का पहला दसक संचार क्रांति के क्षेत्र में भारत के नाम रहा सरकार ने ठाना की जन जन तक मोबाईल फोन पहुंचना चाहिये और आज जनजन मोबाइल फोन से जुड़ा है सरकारों ने ठाना की भारत को पोलिया मुक्त भारत बनाना है केंद्र और राज्यों के भरपूर योगदान से आज भारत पोलियों मुक्त है । हम भारतियों में क्षमता बहुत है आज देस का युवा हर चुनोती को स्वीकार करने को खड़ा है बस सरकार एक अवसर मुहैया कराये हम जरूर कामयाब होकर दिखाएंगे मेरे सुझावों की भाषा शैली हो सकता है उचित ना हो लेकिन मेरा मन्तव्य राष्ट् के निर्माण मैं जितना हो सकता अपनी क्षमता के अनुसार आपसे साझा कर रहा हूँ । धन्यवाद   
 आपका
पवन पंडित
ग्राम  सालारपुर कलां
जिला गौतम बुद्ध नगर
यूपी फोन न0  9873568820
 
== विशेष उपलब्धियाँ ==