"पेशवा": अवतरणों में अंतर

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== रघुनाथराव उर्फ राघोबा ==
'''{{मुख्य|रघुनाथराव}}'''
जन्म १७३४ : मृत्यु १७८४। पेशवा बालाजी बाजीराव का अनुज रघुनाथराव महत्वाकांक्षी तथा साहसी तो था; किंतु साथ ही स्वार्थी, लालची और दंभी भी था। बालाजीराव के समय में राघोबा के नेतृत्व में उत्तरी भारत के दो सैनिक अभियानों की असफलता, पानीपत के युद्ध की पृष्ठभूमि के रूप में, महाराष्ट्र के लिये बड़ी अनिष्टकारक प्रमाणित हुई। अल्पव्यस्क किंतु प्रतिभासंपन्न माधवराव के पदासीन होने पर उसे अपने प्रभुत्व में रखने के ध्येय से राघोबा ने मराठों के परम शत्रु निजाम से समझौता कर, आलेगाँव मे माधवराव को पराजित कर (१७६२), उसे बंदी बना लिया। किंतु माधवराव ने शीघ्र ही अपनी पूर्ण सत्ता स्थापित कर ली (१७६३)। राघोबा को बड़े अनुशासन में रहना पड़ा। माधवराज के मृत्युपरांत नारायणराव के पेशवा बनने पर राघोवा ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र आयोजित किया, जिससे उसकी हत्या हो गई (१७७३)। अब राघोबा का पेशवा घोषित होने का स्वप्न सार्थक हुआ (१० अक्टूबर १७७३)। किंतु तत्काल ही नारायणराव की विधवा के पुत्र होने पर नानाफड़नवीस के नेतृत्व में राघोवा के विरुद्ध सफल विरोध उठ खड़ा हुआ। राघोबा ने अँग्रेजों की सहायता से पदासीन होने के उद्देश्य से उनसे सूरत की संघि की (१७७५) जिससे आँग्ल[[आंग्ल-मराठा- युद्ध]] का सूत्रपात हुआ, किंतु वह अँग्रेजों की कठपुतली मात्र बना रहा। अंतत: युद्ध की समाप्ति पर सालबाई की संधि (१७८२) के अनुसार पेशवा दरबार द्वारा राघोबा को पच्चीस हजार रूपए मासिक पेंशन प्रदान की गई। भग्नहृदय राघोवाराघोबा की ४८ वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।
 
== माधवराव द्वितीय ==
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