"खड़ीबोली": अवतरणों में अंतर
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खड़ी से अर्थ है खरी अर्थात शुद्ध अथवा ठेठ हिंदी बोली । शुद्ध अथवा ठेठ हिंदी बोली या भाषा को उस समय खरी या खड़ी बोली के नाम से संबोधित किया गया जबकि हिंदुस्तान में अरबी फारसी और हिंदुस्तानी शब्द मिश्रित उर्दू भाषा का चलन था या दूसरी तरफ अवधी या ब्रज भाषा का। ठेठ या शुद्ध हिंदी का चलन न था । यह लगभग 18वी शताब्दी के आरम्भ का समय था जब कुछ हिंदी गद्यकारों ने ठेठ हिंदी में लिखना शुरू किया । इसी ठेठ हिंदी को खरी हिंदी या खडी हिंदी बोली कहा गया । '''खड़ी बोली''' से तात्पर्य खड़ी बोली [[हिंदी]] से है जिसे [[भारतीय संविधान]] ने [[राजभाषा]] के रूप में स्वीकृत किया है। [[भाषाविज्ञान]] की दृष्टि से इसे आदर्श (स्टैंडर्ड) हिंदी, उर्दू तथा हिंदुस्तानी की मूल आधार स्वरूप [[बोली]] होने का गौरव प्राप्त है। खड़ी बोली पश्चिम रुहेलखंड, [[गंगा]] के उत्तरी दोआब तथा [[अंबाला]] जिले की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा [[मातृभाषा]] के रूप में बोली जाती है। इस प्रदेश में [[रामपुर]], [[बिजनौर]], [[मेरठ]], [[मुजफ्फरनगर]], मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं।
खड़ी बोली वह बोली है जिसपर [[ब्रजभाषा]] या [[अवधी]] आदि की छाप न हो। ठेंठ हिंदी। आज की राष्ट्रभाषा हिंदी का पूर्व रूप। इसका इतिहास शताब्दियों से चला आ रहा है। यह परिनिष्ठित पश्चिमी हिंदी का एक रूप है।
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