"बेलवन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Belvan (43).jpg|अंगूठाकार|दाएँ|SHRI MAHALAXMI TEMPLE]]
'''वृंदावन''' मथुरा के यमुना पार स्थित जहांगीरपुर ग्राम (डांगौली/ मांट)का बेलवन लक्ष्मी देवी की तपस्थली है। यह स्थान अत्यंत सिद्ध है। यहां लक्ष्मी माता का भव्य मंदिर है। इस स्थान पर पौष माह में चारो ओर लक्ष्मी माता की जय जयकार की गूंज सुनाई देने लग जाती है। दूर-दराज के असंख्य श्रद्धालु यहां अपनी सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करने आते हैं। यहां पौष माह के प्रत्येक गुरुवार को विशाल मेला जुडता है। प्राचीन काल में इस स्थान पर बेल के वृक्षों की भरमार थी। इसी कारण यह स्थान बेलवन के नाम से प्रख्यात हुआ। कृष्ण-बलराम यहां अपने सखाओं के साथ गायें चराने आया करते थे। श्रीमद्भागवत में इस स्थान की महत्ता का विशद् वर्णन है। भविष्योत्तरपुराण में इसकी महिमा का बखान करते हुए लिखा है:
'''तप: सिद्धि प्रदायैवनमोबिल्ववनायच।जनार्दनप्रदायैवनमोबिल्ववनायच।
जनार्दन नमस्तुभ्यंविल्वेशायनमोस्तुते॥
 
भगवान् श्री कृष्ण ने जब सोलह हजार एक सौ आठ गोपिकाओं के साथ दिव्य महारासलीला की तब माता लक्ष्मी देवी के हृदय में भी इस लीला के दर्शन करने की इच्छा हुई और वह बेलवन जा पहुंची, परंतु उसमें गोपिकाओं के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश वर्जित था। अत: उन्हें ललिता सखी ने यह कह कर दर्शन करने से रोक दिया कि आपका ऐश्वर्य लीला से सम्बन्ध है, जबकि वृंदावन माधुर्यमयीलीला का स्थान है। अत:लक्ष्मी माता वृंदावन की ओर अपना मुख करके भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना करने लग गईं। भगवान् श्रीकृष्ण जब महारासलीला करके अत्यंत थक गए तब लक्ष्मी माता ने अपनी साडी से अग्नि प्रज्वलित कर उनके लिए खिचडी बनाई। इस खिचडी को खाकर भगवान् श्रीकृष्ण उनसे अत्यधिक प्रसन्न हुए।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बेलवन" से प्राप्त