"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में , युध्द → युद्ध |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 29:
: ''प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।''
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।<ref>{{cite web
== पर्व का महत्व ==
|