"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर

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: ''प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।''
 
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।<ref>{{cite web |url=http://www.rashtriyasahara.com/NewsDetailFrame.aspx?newsid=48471&catid=39&vcatname=%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%A8|title=पर्व/बसंत पंचमी (11 फरवरी) : विघा और बुद्धि प्रदाता मां शारदा |accessmonthday=[[8 मार्च]]|accessyear=[[2008]]|format= |publisher=राष्ट्रीय सहारा|language=}}</ref> पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन [[पतंग]] उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2004/02/040213_pakistan_kite.shtml|title=वसंत पर पतंग की उड़ान|accessmonthday=[[8 मार्च]]|accessyear=[[2008]]|format=एसएचटीएमएल |publisher=बीबीसी|language=}}</ref>Suraj jat
 
== पर्व का महत्व ==