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'''वाचस्पति मिश्र''' (९०० - ९८० ई) [[भारत]] के [[दार्शनिक]] थे जिन्होने अद्वैत वेदान्त का [[भामती]] नामक सम्प्रदाय स्थापित किया। वाचस्पति मिश्र ने [[नव्य-न्याय]] दर्शन पर आरम्भिक कार्य भी किया जिसे [[मिथिला]] के १३वी शती के [[गंगेश उपाध्याय]] ने आगे बढ़ाया।
 
[[File:वादावली.pdf|thumb|वादावली]]
[[File:ब्रह्मसूत्र शांकर भाष्य सानुवाद भामती सहित.jpg|thumb|ब्रह्मसूत्र, शांकर भाष्य, '''सानुवाद भामती''' सहित के प्रकाशित संस्करण की झलक]]
 
== जीवनी ==
वाचस्पति मिश्र प्रथम मिथिला के ब्राह्मण थे जो भारत और [[नेपाल]] सीमा के निकट [[मधुबनी]] के पास अन्धराठाढी गाँव के निवासी थे। इन्होने [[वैशेषिक दर्शन]] के अतिरिक्त अन्य सभी पाँचो आस्तिक दर्शनों पर टीका लिखी है। उनके जीवन का वृत्तान्त बहुत कुछ नष्ट हो चुका है। ऐसा माना जाता है कि उनकी एक कृति का नाम उनकी पत्नी '''भामती''' के नाम पर रखा है।