"बौद्ध-दलित आंदोलन": अवतरणों में अंतर

बोद्ध से दलित आन्दोलन
भीमराव आंबेडकर जी का दलित -बोद्ध आन्दोलन
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{{स्रोतहीन|date=फ़रवरी 2017|गौतम बुध नगर=}}
[[चित्र:Diksha Bhumi.jpg|thumb|[[दीक्षाभूमि, नागपुर]]]]
यह [[हिंदू धर्म]] की [[वर्णाश्रम]] व्यवस्था में सबसे नीचे के पायदान पर रखे गए लोगों द्वारा अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन के लिए बीसबीं सदी में चलाया गया आंदोलन है। इसका [[भीमराव अंबेडकर|डॉ॰ भीमराव अंबेडकर]] जी जैसे नेताओं द्वारा दलितों के लिए चलाए गए आंदोलनों से गहरा संबंध है। अंबेडकरभीमराव आम्बेडकर जी मानते थे कि की हिन्दू धर्म मे दलितों का हिंदूराजनितिक धर्मऔर के भीतरसामाजिक रहकरतोर सामाजिकपर इनका उत्थान संभव नहीं हो सकता है। इसी विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने [[१४ अक्टूबर]] [[1956]] ई. को अपने 10,00,000 अनुयायियों के साथ [[नागपुर]] में [[बौद्ध धर्म]] स्वीकार किया। उन्होंने अपने समर्थकों को 22 बौद्ध प्रतिज्ञाओं का अनुसरण करने की सलाह दी। इस आंदोलन को श्रीलंकाइश्रीलंका [[बौद्ध]] भिक्षुओं का भरपूर समर्थन मिला।
 
 
बुद्ध दलित मूवमेंट को दलित समाज को सामाजिक और पोलिटिकल स्तर पर मजबूत व अटूट बनाने के लिए भारत में भीम राव आंबेडकर जी ने शरू किया था| इसमें एक नया बौद्ध धर्म जिसको नावयान कहा गया बोध्द धर्म मे स्थापित किया गया है । इस नव्यान को भीमयान भी कहा गया है| इस भीम यान मे २२ शपथ है जो एक दलित से बोद्ध बन्ने पर ली जाती उसके बाद ही बोद्ध धर्म को स्वीकार किया जाता है | बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म का एक सामाजिक और राजनीतिक रूप से बदलाव किया है। यह आंदोलन 1956 मे भीमराव आंबेडकर जी द्वारा आधा मिलियन दलित जिनहे अछूत कहा उन्होंने नवयान बुद्धिज़्म मे बदला है ।उन्होंने हिंदुत्व को छोड दिया और जति प्रथा का विरोध किया व दलित जाती का प्रचार किया।बाबा साहेब ने दलितों व् सम्पूर्ण व संपन्न के उत्थान के लिए बहुत दुःख पूर्ण जीवन व्यतीत किया है |
बुद्ध दलित मूवमेंट को समाजक पोलिटिकल द्वारा दलत भारत में बी र अबंदकर ने शरू किया था
इसने एक नया बौद्ध धर्म जिसको नावयान कहा। इस आंदोलन ने बौद्ध धर्म का एक सामाजिक और राजनीतिक रूप से रुख किया है।<ref name="Robinson2003p192">{{cite book|author=Gary Tartakov|editor=Rowena Robinson|title=Religious Conversion in India: Modes, Motivations, and Meanings|url=https://books.google.com/books?id=eNsoAAAAYAAJ|year=2003|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-566329-7|pages=192–213}}</ref><ref>{{cite book|author=Christopher Queen|editor=Steven M. Emmanuel|title=A Companion to Buddhist Philosophy|url=https://books.google.com/books?id=P_lmCgAAQBAJ|year=2015|publisher=John Wiley & Sons|isbn=978-1-119-14466-3|pages=524–525}}</ref>
यह आंदोलन 1956 मे अब्दकर द्वारा आधा मिलियन दलित जिनहे अछूत कहा उन्होंने अबेदकर व नावयान बुद्धिज़्म को बदला।
उन्होंने हिदुतव को छोडदिया और जति प्रथा का विरोध किया व डालती जाती का प्रचार किया।
 
उन्होंने हमेशा से ही समता को महत्व दिया है और जब सभी धर्मो और संगठनो का गहन अध्यन करने के बाद ही उन्होंने बोद्ध धर्म का रास्ता अपनाया | बोद्ध धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो समता करुना और सद्भावना का प्रतीक है |दलित को
==सन्दर्भ==
 
==न्दर्भ==
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