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दूसरे दिन तैमूर ने दिल्ली नगर में प्रवेश किया। पाँच दिनों तक सारा शहर बुरी तरह से लूटा-खसोटा गया और उसके अभागे निवासियों को बेभाव कत्ल किया गया या बंदी बनाया गया। पीढ़ियों से संचित दिल्ली की दौलत तैमूर लूटकर समरकंद ले गया। अनेक बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी तैमूर अपने साथ ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी स्वनियोजित जामा मस्जिद है।
 
तैमूर भारत में केवल लूट के लिये आया था। उसकी इच्छा भारत में रहकर राज्य करने की नहीं थी। अत: 15 दिन दिल्ली में रुकने के बाद वह स्वदेश के लिये रवाना हो गया। 9 जनवरी 1399 को तैमूरउसने [[मेरठ]] पहुंचापर जहांचढ़ाई उसकाकी युद्धऔर क्षत्रीनगर जाटवीरोंको सेलूटा हुआतथा यहांनिवासियों सेको भागकरकत्ल किया। इसके बाद वह [[हरिद्वार]] पहुंचापहुँचा जहाँ जाटोउसने कीआस खापपास सेनाकी नेहिंदुओं उसेकी फिरदो घेरसेनाओं लियाको एकहराया। भीषण[[शिवालिक]] युद्धपहाड़ियों हुआ।<ref>https://m.patrika.com/news/noida/jats-army-defeated-taimur-lang-or-tamerlane-in-meerut-and-haridwar-news-hindi-1471493</ref>हरियाणासे केहोकर एकवह वीर16 हरवीरजनवरी गुलियाको ने[[कांगड़ा]] उसको भाला मारापहुँचा और तैमूरउसपर घोड़ेकब्जा सेकिया। गिर गयाइसके बाद में उसकी सेना उसे उठाकर भाग खड़ी हुई।<ref>https://m.patrika.com/news/noida/jats-army-defeated-taimur-lang-or-tamerlane-in-meerut-and-haridwar-news-hindi-1471493</ref>वह सीधे न जाकर उसे जहाँ रास्ता मिला उसी और भाग खड़ा हुआ, वहउसने [[शिवालिकजम्मू]] पहाड़ियोंपर सेचढ़ाई होकरकी। वहइन 16 जनवरीस्थानों को [[कांगड़ा]]भी सेलूटा होकरखसोटा जम्मूगया कीऔर तरफवहाँ सेके तबाहीअसंख्य करतेनिवासियों हुएको भागकत्ल गया<ref>https://m.patrika.com/news/noida/jats-army-defeated-taimur-lang-or-tamerlane-in-meerut-and-haridwar-news-hindi-1471493</ref>।किया गया। इस प्रकार भारत के जीवन, धन और संपत्ति को अपार क्षति पहुँचाने के बाद 19 मार्च 1399 को पुन: सिंधु नदी को पार कर वह भारतभूमि से अपने देश को लौट गया।
 
भारत से लौटने के बाद तैमूर से सन्‌ 1400 में [[अनातोलिया]] पर आक्रमण किया और 1402 में [[अंगोरा का युद्ध|अंगोरा के युद्ध]] में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन्‌ 1405 में जब वह [[चीन]] की विजय की योजना बनाने में लगा था, उसकी मृत्यु हो गई।
 
भारतीय व कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार वीर गुलिया के भाले का घाव ही उसकी मौत का कारण था।<ref>https://m.patrika.com/news/noida/jats-army-defeated-taimur-lang-or-tamerlane-in-meerut-and-haridwar-news-hindi-1471493</ref>
 
== क्रूर ==