"चैत्र": अवतरणों में अंतर

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चैत्रो (चैत्र) बंगाली पंचांग की आखरी मास भी मानी गयी है
 
इस मास को अंग्रेजी पंचांग में मध्य मार्च से मध्य अप्रैल तक( लगभग *) लिया जा सकता है,
* निश्चित नहीं होती*
 
अमावस्या के पश्चात् चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15 वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब यह मास "चित्रा" नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है।
 
हिन्दू पौराणिक मान्यता- भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाशीत होता रहे।
 
पुराण अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार धारण कर प्रलयकाल में अथाह जलराशि से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था, प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत मानी गयी।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/चैत्र" से प्राप्त